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अमरकंटक नर्मदा महोत्सव 2025  श्रद्धा, भक्ति और सांस्कृतिक वैभव का दिव्य समागम

अमरकंटक नर्मदा महोत्सव 2025  श्रद्धा, भक्ति और सांस्कृतिक वैभव का दिव्य समागम


नर्मदा की महाआरती में गूंजे मंत्रोच्चार, भक्तिमय संध्या में बही आध्यात्मिकता की बयार
✍️ विशेष रिपोर्ट | अनूपपुर, अमरकंटक | 5 फरवरी 2025
भारत की प्राचीनतम और पुण्यसलिला नदियों में अग्रणी माँ नर्मदा की महिमा का वर्णन करना मानो स्वयं उनकी लहरों की शीतलता और शाश्वत धारा को शब्दों में समाहित करने जैसा है। सतपुड़ा और विंध्य पर्वतमालाओं के हृदयस्थल में स्थित अमरकंटक सदियों से आध्यात्मिकता और प्राकृतिक सौंदर्य का केंद्र रहा है। इसी धरा पर अमरकंटक नर्मदा महोत्सव 2025 का आयोजन हुआ, जिसने श्रद्धा, भक्ति, संस्कृति और लोक परंपराओं की अनुपम छटा बिखेरी। इस आयोजन ने न केवल भक्तों को आस्था में डुबो दिया, बल्कि माँ नर्मदा के पावन तट पर भारतीय सांस्कृतिक धरोहर की अलौकिक झलक भी प्रस्तुत की

महाआरती  शंख, मंत्रोच्चार और दीपों की स्वर्णिम आभा में नर्मदा की दिव्य वंदना
द्वितीय दिवस की संध्या, जब अमरकंटक की पुण्यभूमि पर सूरज की किरणें अस्ताचल की ओर बढ़ रही थीं, तब नर्मदा महोत्सव 2025 के अंतर्गत माँ नर्मदा की भव्य महाआरती का आयोजन किया गया। अमरकंटक के दक्षिणी तट पर अवस्थित नर्मदा घाट सैकड़ों दीपों की ज्योति से जगमगा उठा। मंत्रोच्चार, शंखनाद और ‘हर-हर नर्मदे’ के गगनभेदी उद्घोष ने पूरे वातावरण को भक्तिरस से सराबोर कर दिया।
इस पावन अनुष्ठान में मध्य प्रदेश शासन के कुटीर एवं ग्रामोद्योग राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री दिलीप जायसवाल, विधायक पुष्पराजगढ़ श्री फुंदेलाल मार्को, डीआईजी शहडोल जोन सविता सुहाने, कलेक्टर श्री हर्षल पंचोली, पुलिस अधीक्षक श्री मोतीउर रहमान, जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्री तन्मय वशिष्ठ शर्मा सहित अनेक गणमान्य व्यक्तित्वों ने हिस्सा लिया। पुरोहितों द्वारा विधि-विधान से सम्पन्न की गई इस महाआरती में हजारों श्रद्धालुओं ने भाग लेकर माँ नर्मदा की भक्ति में स्वयं को निमग्न किया।
लेजर लाइट शो नर्मदा के अवतरण का अद्भुत प्रदर्शन
महाआरती के पूर्व एक विशेष लेजर लाइट शो के माध्यम से माँ नर्मदा के उद्गम, पौराणिक महिमा और आध्यात्मिक प्रभाव को प्रदर्शित किया गया। यह बताया गया कि भगवान शंकर ने मैकल पर्वत पर 84,000 वर्षों तक घोर तपस्या की, जिसके फलस्वरूप उनके कंठ से अमृत की एक बूंद धरती पर गिरी, जिससे माँ नर्मदा का जन्म हुआ। इस शो ने भक्तों को दिव्यलोक का अनुभव कराया और उनकी श्रद्धा को और अधिक गहरा किया
भक्ति संध्या में बहे श्रद्धा के सुर  हंसराज रघुवंशी के भक्तिगीतों में झूमे श्रद्धालु

इस सांस्कृतिक पर्व की सबसे विशेष कड़ी रही सुप्रसिद्ध भजन गायक बाबा हंसराज रघुवंशी की प्रस्तुति। जब उन्होंने अपनी सुमधुर वाणी में –
✅ “जय शिव शंभू…”
✅ “राधे-राधे…”
✅ “लगी तो तुमसे लगन मेरे शंकरा…”
✅ “मेरा भोला है भंडारी…”
✅ “शिव कैलाश के वासी…”
जैसे भक्तिगीत प्रस्तुत किए, तो श्रोता आत्मविभोर हो उठे। कुछ क्षणों के लिए ऐसा प्रतीत हुआ मानो समय का पहिया थम गया हो और साक्षात शिवलोक की अनुभूति हो रही हो। हजारों की संख्या में उपस्थित श्रद्धालु उनकी आवाज़ के जादू में खो गए और पूरी रात भक्तिरस में डूबे रहे।
प्राकृतिक सौंदर्य और आध्यात्मिक ऊर्जा का संगम  अमरकंटक बना धार्मिक एवं पर्यटन नगरी का केंद्र
अमरकंटक केवल धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि इसकी प्राकृतिक सुंदरता भी विश्व विख्यात है। इसी को बढ़ावा देने के लिए महोत्सव के तीसरे दिन योगाभ्यास और ट्रैकिंग गतिविधियाँ आयोजित की गईं।

योग एवं आध्यात्मिक चेतना का प्रवाह
सुबह 7:00 से 8:00 बजे तक मैकल पार्क में आईजीएनटीयू के योग प्रशिक्षक डॉ. श्याम सुंदर पाल के निर्देशन में योग साधना आयोजित हुई, जिसमें सैकड़ों योग प्रेमियों, युवाओं, पर्यटकों और प्रशासनिक अधिकारियों ने भाग लिया।
ट्रैकिंग एडवेंचर  प्रकृति के साथ संवाद
वन विभाग द्वारा शंभूधारा से कपिलधारा रूट तक एडवेंचर ट्रैकिंग कराई गई, जिसमें युवाओं ने अद्भुत उत्साह और उमंग का प्रदर्शन किया। इस पहल का उद्देश्य अमरकंटक को पर्यटन के वैश्विक मानचित्र पर स्थापित करना था।
महोत्सव का समापन  नर्मदा तट पर अंतिम दिवसीय महाआरती और साधु-संतों का अभिनंदन
महोत्सव के अंतिम दिन पुनः नर्मदा घाट पर महाआरती का आयोजन किया गया, जिसमें मध्य प्रदेश कोल विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष श्री रामलाल रौतेल, कमिश्नर शहडोल संभाग श्रीमती सुरभि गुप्ता और कलेक्टर श्री हर्षल पंचोली ने आस्था की ज्योति प्रज्वलित की।
इस दौरान श्रद्धालुओं के मन में गूंज रहे थे –
✨ “हर हर नर्मदे!”
✨ “नर्मदे हर!”
✨ “ओं नमः शिवाय!”
महाआरती की समापन बेला में साधु-संतों और पुजारियों का विशेष सम्मान किया गया। परंपरागत गोंडी चित्रकला भेंट कर बाबा हंसराज रघुवंशी को सम्मानित किया गया। साधु-संतों ने भी इस भव्य आयोजन की सराहना करते हुए आयोजकों को शुभकामनाएँ दीं। नर्मदा महोत्सव 2025 – संस्कृति, अध्यात्म और पर्यटन का दिव्य संगम

अमरकंटक नर्मदा महोत्सव 2025 न केवल एक धार्मिक अनुष्ठान था, बल्कि इसने भारत की समृद्ध संस्कृति, भक्ति परंपरा और प्राकृतिक धरोहर को भी एक नई पहचान दी।
✅ भव्य महाआरती में आध्यात्मिक उल्लास
✅ लेजर लाइट शो से नर्मदा महिमा का अभूतपूर्व प्रदर्शन
✅ भजन संध्या ने भक्तों को शिवमय किया
✅ योग साधना एवं ट्रैकिंग गतिविधियों से स्वास्थ्य और पर्यटन को बढ़ावा
✅ संतों और पुजारियों का अभिनंदन, भारतीय संस्कृति का सम्मान
यह महोत्सव श्रद्धा, भक्ति, अध्यात्म, प्रकृति और पर्यटन का एक अनुपम संगम बना। नर्मदा की लहरों में स्नान करते हुए, मंत्रों की गूंज में डूबते हुए और दीपों की ज्योति में निहारते हुए, श्रद्धालुओं ने जीवन के वास्तविक सार को आत्मसात किया।

“जय नर्मदा! जय अमरकंटक!”

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