
दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 किसकी होगी ताजपोशी?
दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 के लिए मतदान संपन्न हो चुका है, जिसमें शाम 5 बजे तक 57.70% मतदान दर्ज किया गया। पिछले चुनावों की तुलना में यह मतदान प्रतिशत थोड़ा कम है, जो मतदाताओं की बदलती प्राथमिकताओं और चुनावी परिदृश्य में हो रहे परिवर्तनों का संकेत देता है।
पिछले चुनावों की तुलना
2020 के विधानसभा चुनाव में, दिल्ली में 62.59% मतदान हुआ था, जिसमें आम आदमी पार्टी (AAP) ने 70 में से 62 सीटों पर जीत हासिल की थी। भारतीय जनता पार्टी (BJP) को 8 सीटें मिली थीं, जबकि कांग्रेस (INC) एक भी सीट नहीं जीत सकी थी। इस बार के 57.70% मतदान के साथ, यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि क्या यह कमी किसी विशेष पार्टी के लिए लाभकारी या हानिकारक साबित होती है।

एग्जिट पोल और संभावित परिणाम
विभिन्न एग्जिट पोल्स के अनुसार, इस बार का मुकाबला काफी कड़ा होने की संभावना है। कुछ एग्जिट पोल्स में BJP को बढ़त मिलती दिख रही है, जबकि अन्य में AAP की सत्ता बरकरार रहने का अनुमान है। कांग्रेस भी कुछ सीटों पर प्रभाव डाल सकती है, जिससे त्रिकोणीय मुकाबले की संभावना बनती है।
इस चुनाव में प्रमुख मुद्दों में भ्रष्टाचार, विकास, शिक्षा, स्वास्थ्य, और बुनियादी सुविधाओं का अभाव शामिल रहे। AAP ने अपने पिछले कार्यकाल में किए गए कार्यों, जैसे मुफ्त बिजली-पानी, शिक्षा और स्वास्थ्य सुधारों को प्रमुखता से उठाया। वहीं, BJP ने राष्ट्रीय मुद्दों, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नीतियों, और AAP सरकार पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों को चुनावी मंच पर रखा। कांग्रेस ने भी अपने पारंपरिक वोट बैंक को साधने की कोशिश की, लेकिन उसकी प्रभावशीलता पर सवाल बने रहे।

चुनावी समीकरण और संभावनाएँ
AAP की लोकप्रियता उसके विकास कार्यों और जनहितैषी नीतियों पर आधारित रही है। हालांकि, हाल ही में पार्टी के कुछ नेताओं पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों ने उसकी छवि को धक्का पहुंचाया है। BJP ने इस मौके का फायदा उठाते हुए मतदाताओं को अपनी ओर आकर्षित करने की कोशिश की है। कांग्रेस, जो पिछले चुनाव में शून्य पर थी, इस बार कुछ सीटों पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराने की उम्मीद कर रही है।
दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 के परिणाम 8 फरवरी को घोषित होंगे। फिलहाल, एग्जिट पोल्स और मतदान प्रतिशत के आधार पर स्पष्ट रूप से कुछ कहना कठिन है। यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या AAP अपनी सत्ता बरकरार रख पाएगी, या BJP 27 साल बाद दिल्ली की सत्ता में वापसी करेगी, या फिर कांग्रेस अपनी खोई हुई जमीन वापस पाने में सफल होगी। अंततः, दिल्ली के मतदाताओं का निर्णय ही तय करेगा कि राजधानी की बागडोर किसके हाथ में होगी।



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