
जब मां की ममता ने मिटा दिए मजहब के फासले
ममता की अनूठी परीक्षा कोख के रिश्ते पर भारी पड़ा गोद का प्यार
छत्तीसगढ़ के दुर्ग में एक अस्पताल के गलियारों में जन्मी एक गलती ने ममता को एक अनूठी परीक्षा में डाल दिया। यहां 23 जनवरी को जिला अस्पताल में दो बच्चों ने जन्म लिया—एक साधना की कोख से और दूसरा शबाना की कोख से। दोनों ही बच्चों का जन्म ऑपरेशन से हुआ और नर्सों ने उन्हें टैग लगाकर उनकी पहचान सुरक्षित करने की कोशिश की। लेकिन शायद नियति को कुछ और ही मंजूर था।
बच्चों को नहलाने-धुलाने और देखरेख के दौरान अस्पताल स्टाफ से एक चूक हो गई, और संभवतः दोनों नवजात बच्चे आपस में बदल गए। हफ्ते भर बाद, जब शबाना अपने बच्चे की नियमित जांच के लिए अस्पताल पहुंची, तो टैग नंबर अलग मिला। मिलान करने पर खुलासा हुआ कि शबाना का बच्चा साधना की गोद में पल रहा है और साधना का बच्चा शबाना के पास है।
कोख का रिश्ता बनाम गोद का लगाव
जब शबाना ने यह सच जाना, तो उसने अपना बच्चा वापस मांगा, लेकिन साधना के लिए यह स्वीकारना आसान नहीं था। जिस बच्चे को उसने सात दिन अपनी गोद में रखा, उसे अपना दूध पिलाया, अपनी बाहों में लोरी सुनाई, उसे छोड़ना उसके लिए असंभव सा लग रहा था।
साधना की ममता का यह रूप अद्भुत था—जहां धर्म, जाति या खून का कोई बंधन मायने नहीं रखता था, सिर्फ एक मासूम बच्चे की मुस्कान और उसके स्पर्श का जादू था। सीने के सात दिन कोख के नौ महीनों पर भारी पड़ने लगे।
धर्म की सीमाएं तोड़ती मां की ममता
शबाना और उसके परिवार को पहले से शक था कि जन्म के समय ली गई तस्वीर और गोद में मौजूद बच्चे में कोई समानता नहीं थी। उन्होंने इस बात को अस्पताल प्रशासन से साझा भी किया, लेकिन साधना के लिए यह महज एक गलती नहीं थी—यह उसकी ममता की परीक्षा थी।
जब इस मामले को सुलझाने के लिए अस्पताल की एक्सपर्ट टीम ने दोनों परिवारों को समझाने की कोशिश की, तो साधना के शब्द थे—
“मुझे फर्क नहीं पड़ता कि ये बच्चा मेरी कोख से जन्मा है या नहीं, यह मेरी गोद में पला है, मेरी सांसों में समाया है।”
DNA से तय होगा रिश्ता, पर क्या बदल पाएगा प्यार?
अब मामला DNA टेस्ट तक पहुंच गया है। विज्ञान यह तय करेगा कि कौन सा बच्चा किसका है, लेकिन क्या कोई वैज्ञानिक परीक्षण साधना के दिल से उस लगाव को मिटा सकता है जो उसने सात दिनों में महसूस किया?
आज के दौर में, जहां धर्म के नाम पर दीवारें खड़ी की जाती हैं, साधना की ममता ने एक मिसाल कायम कर दी—कि मां की ममता हर मजहब से ऊपर होती है।
ममता का अनोखा संदेश
यह घटना हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि क्या एक मां के लिए उसका बच्चा सिर्फ खून और DNA का रिश्ता होता है? या फिर वो ममता होती है, जो नाल से नहीं, बल्कि स्पर्श और अपनापन से जन्म लेती है?
साधना की गोद में पल रहा बच्चा आज यह संदेश दे रहा है कि दुनिया में मजहब से बड़ा कोई रिश्ता नहीं—बस मां की ममता ही सबसे बड़ी सच्चाई है।
“सीने के सात दिन, कोख के नौ महीनों से भारी पड़ गए!”



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