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बाघिन का जालेश्वर में निवास यह दर्शाता है कि यह स्थल दिव्य ऊर्जा और सुरक्षा का स्थान है।

बाघिन का जालेश्वर में निवास यह दर्शाता है कि यह स्थल दिव्य ऊर्जा और सुरक्षा का स्थान है।

जालेश्वर प्रकृति और आस्था का अद्भुत संगम, बाघिन का निवास बना आध्यात्मिक संदेश
मध्य प्रदेश के अमरकंटक क्षेत्र में स्थित जालेश्वर मंदिर, जो प्रकृति और आस्था के अटूट संगम का प्रतीक है, इन दिनों चर्चा का केंद्र बना हुआ है। यहां विगत चार दिनों से एक कॉलर आईडी वाली बाघिन ने मंदिर के समीप अपना डेरा जमाया हुआ है। इस क्षेत्र में वन्यजीवों का विचरण एक सामान्य घटना है, लेकिन इस बार बाघिन का निरंतर निवास आस्था और प्रकृति के बीच गहरे संबंध को दर्शाता है।
इसके साथ ही, तुलरा के बिरासनी देवी मंदिर के पास दो प्रवासी हाथी भी पहुंचे हैं, जिन्होंने 29 दिनों की यात्रा के बाद यहां विश्राम किया। इन घटनाओं ने क्षेत्र में प्रकृति और धर्म का अद्वितीय संगम प्रस्तुत किया है।
जालेश्वर आस्था और प्रकृति का पवित्र स्थल
जालेश्वर मंदिर शिवजी का पवित्र स्थान है, जो अद्वितीय प्राकृतिक सुंदरता से घिरा हुआ है। यह स्थल न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि वन्यजीव संरक्षण और प्रकृति के अद्वितीय संतुलन का भी प्रतीक है। बाघिन का यहां निवास यह दर्शाता है कि यह क्षेत्र न केवल मानवों के लिए, बल्कि वन्यजीवों के लिए भी एक सुरक्षित और आध्यात्मिक शरणस्थली है।
बाघिन का निवास धार्मिक और पर्यावरणीय संदेश
धार्मिक दृष्टिकोण सनातन धर्म में बाघ शक्ति और साहस का प्रतीक है। यह देवी दुर्गा का वाहन भी है।
प्राकृतिक दृष्टिकोण बाघिन का मंदिर के पास रहना इस बात का संकेत है कि प्रकृति और धर्म का गहरा संबंध है। यह दर्शाता है कि प्राकृतिक आवास और आध्यात्मिक स्थल सह-अस्तित्व का उदाहरण प्रस्तुत करते हैं।
बिरासनी देवी मंदिर और हाथियों का आगमन
तुलरा के जंगलों में स्थित बिरासनी देवी मंदिर भी धार्मिक और प्राकृतिक दृष्टि से अत्यधिक महत्वपूर्ण है। यहां दो प्रवासी हाथी पहुंचे, जो 29 दिनों की यात्रा के बाद यहां विश्राम कर रहे हैं। हाथियों ने रास्ते में कई ग्रामीण क्षेत्रों से गुजरते हुए जंगल और खेतों में अपना भोजन किया।
प्राकृतिक और धार्मिक संदेश
1. प्रकृति का संतुलन जालेश्वर और बिरासनी देवी मंदिर दोनों यह दर्शाते हैं कि धार्मिक स्थलों का संरक्षण केवल मानवों के लिए नहीं, बल्कि वन्यजीवों के लिए भी जरूरी है।
2. सह-अस्तित्व हाथियों और बाघिन का इन स्थलों पर पहुंचना सह-अस्तित्व और पर्यावरण संरक्षण का प्रतीक है।
3. आध्यात्मिक ऊर्जा इन स्थलों पर वन्यजीवों का निवास यह दर्शाता है कि ये स्थान दिव्य और सकारात्मक ऊर्जा से परिपूर्ण हैं।जालेश्वर का वैश्विक संदर्भ
थाईलैंड का टाइगर टेम्पल जहां बौद्ध भिक्षु बाघों के साथ सह-अस्तित्व में रहते हैं।
अफ्रीका के मवूया मंदिर जहां जंगली जानवरों को पवित्र माना जाता है।
भारत के सुंदरवन जहां बाघों को धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व दिया जाता है।वन विभाग की सक्रियता
वन विभाग के अधिकारी इन वन्यजीवों पर निरंतर निगरानी बनाए हुए हैं। ग्रामीणों को सतर्क रहने और वन्यजीवों से दूरी बनाए रखने की सलाह दी गई है।

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One response to “बाघिन का जालेश्वर में निवास यह दर्शाता है कि यह स्थल दिव्य ऊर्जा और सुरक्षा का स्थान है।”

  1. Rajbhan Tiwari Avatar
    Rajbhan Tiwari

    100%True

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