
भारत में सड़क दुर्घटनाओं की संख्या लगातार बढ़ रही है, खासकर हिट एंड रन मामलों में। ऐसे मामलों में, जब कोई वाहन चालक दुर्घटना करके भाग जाता है, तो घायल या मृतक के परिवार के लिए न्याय और मुआवजा प्राप्त करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है। मोटर वाहन अधिनियम और सरकार की विभिन्न नीतियाँ ऐसे मामलों में मुआवजा दिलाने का प्रावधान करती हैं। इसके अलावा, पुलिस की त्वरित कार्रवाई और जांच प्रक्रिया का भी अहम योगदान होता है।
हिट एंड रन मामलों में मुआवजा प्रावधान
हिट एंड रन दुर्घटनाओं में, जहाँ दोषी वाहन चालक की पहचान नहीं हो पाती, केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के प्रावधान के तहत सोलैटियम फंड स्कीम लागू होती है।
1. मृत्यु की स्थिति में मुआवजा
मृतक के परिवार को ₹2 लाख तक का मुआवजा दिया जाता है।
2. घायल होने की स्थिति में मुआवजा
गंभीर रूप से घायल यात्री को ₹50,000 तक का मुआवजा मिलता है।
मुआवजा पाने की प्रक्रिया
दुर्घटना की रिपोर्ट पुलिस में दर्ज कराई जाती है।
मुआवजे का दावा जिला प्रशासन या अधिकृत प्राधिकरण के माध्यम से किया जाता है।
राज्य सरकार मुआवजा राशि सोलैटियम फंड से जारी करती है।
पुलिस की जिम्मेदारी और कार्रवाई
हिट एंड रन मामलों में पुलिस की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। दुर्घटनाग्रस्त यात्री की मदद और दोषी वाहन की पहचान के लिए पुलिस को त्वरित और निष्पक्ष तरीके से कार्य करना होता है।
1. एफआईआर दर्ज करना
दुर्घटना की सूचना मिलने पर तुरंत एफआईआर दर्ज करना पुलिस का प्राथमिक कर्तव्य है।
2. घायल को चिकित्सा सुविधा
पुलिस को प्राथमिकता के आधार पर घायल को नजदीकी अस्पताल में पहुंचाना चाहिए।
3. दोषी वाहन की पहचान
घटनास्थल से सबूत एकत्र करना, जैसे सीसीटीवी फुटेज, गवाहों के बयान, और वाहन के टायर के निशान।
4. मृतक के परिवार को सहायता
मृतक के परिजनों को मुआवजा पाने के लिए आवश्यक दस्तावेज तैयार करने और प्रक्रिया समझाने में मदद करना।
पैदल यात्री और मोटरसाइकिल सवार के मामले में क्या होगा?
1. मोटरसाइकिल सवार
यदि दुर्घटनाग्रस्त व्यक्ति मोटरसाइकिल सवार है और वाहन चालक फरार हो गया है, तो पीड़ित का इलाज कैशलेस बीमा पॉलिसी के तहत किया जा सकता है, बशर्ते वाहन बीमित हो।
थर्ड पार्टी बीमा के तहत पीड़ित परिवार मुआवजा दावा कर सकता है।
2. पैदल यात्री
पैदल यात्री के मामले में, यदि वाहन चालक की पहचान नहीं हो पाती, तो सोलैटियम फंड स्कीम के तहत मुआवजा प्रदान किया जाता है।
पुलिस की जांच के आधार पर जिला प्रशासन मुआवजा राशि जारी
घटनास्थल पर पुलिस की त्वरित कार्रवाई के उदाहरण
हाल ही में, मध्य प्रदेश के एक राष्ट्रीय राजमार्ग पर हिट एंड रन मामले में पुलिस ने घटनास्थल से प्राप्त सीसीटीवी फुटेज की मदद से दोषी वाहन चालक को 24 घंटे के भीतर गिरफ्तार किया। मृतक के परिवार को जिला प्रशासन ने ₹2 लाख की मुआवजा राशि जारी की ।
न्याय के लिए आवश्यक दस्तावेज और प्रक्रिया
1. एफआईआर की प्रति
मुआवजे के लिए आवश्यक है कि पुलिस द्वारा एफआईआर दर्ज हो।
2. चिकित्सा रिपोर्ट
घायल के इलाज से संबंधित रिपोर्ट और मृत्यु के मामले में पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट आवश्यक होती है।
3. बीमा दस्तावेज
यदि दुर्घटनाग्रस्त व्यक्ति मोटरसाइकिल चला रहा था और वाहन बीमित है, तो बीमा दस्तावेज जमा करने होंगे।
4. गवाहों के बयान
गवाहों के बयान से हादसे की सत्यता सिद्ध करने में मदद मिलती है।
हिट एंड रन मामलों में, दोषी वाहन चालक की पहचान न होने के बावजूद पीड़ित या उसके परिवार को मुआवजा दिलाने के लिए कानूनी प्रावधान मौजूद हैं। पुलिस की त्वरित कार्रवाई और निष्पक्ष जांच से न केवल न्याय सुनिश्चित होता है, बल्कि पीड़ित परिवार को आर्थिक सहायता भी मिलती है। सरकार द्वारा सोलैटियम फंड और थर्ड पार्टी बीमा जैसे प्रावधान ऐसे मामलों में राहत प्रदान करने के लिए बनाए गए हैं।
“सड़क पर दुर्घटना का जिम्मेदार कौन? पुलिस की भूमिका और मुआवजा पाने की प्रक्रिया से जुड़े इन प्रावधानों की जानकारी हर नागरिक के लिए जरूरी है।”



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