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रीवा में चिकित्सा का चमत्कार हार्ट अटैक का इलाज देशी दारू से, दो मरीजों की जान बचाई

रीवा में चिकित्सा का चमत्कार हार्ट अटैक का इलाज देशी दारू से, दो मरीजों की जान बचाई



हृदय रोगों के इलाज में हर दिन नई तकनीकों और उपचार पद्धतियों का विकास हो रहा है। लेकिन जब रीवा सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में हार्ट अटैक के दो मरीजों का इलाज अल्कोहल (देशी दारू) से किया गया और उनकी जान बचाई गई, तो यह घटना चिकित्सा जगत में चर्चा का विषय बन गई। इस अनोखे उपचार ने एक बार फिर साबित कर दिया कि सही ज्ञान और साहस के साथ सीमित संसाधनों में भी असंभव को संभव बनाया जा सकता है।
रीवा सुपर स्पेशलिटी अस्पताल के हृदय रोग विशेषज्ञ, डॉ. वीडी त्रिपाठी और उनकी टीम ने चिकित्सा के क्षेत्र में एक नई मिसाल पेश की। हार्ट अटैक से पीड़ित दो गंभीर मरीजों का इलाज करने के दौरान जब पारंपरिक उपचार पद्धतियां कारगर साबित नहीं हुईं, तब टीम ने एथेनॉल (शुद्ध अल्कोहल) का उपयोग कर जीवन बचाने का साहसी निर्णय लिया।

दो मरीज, जिनकी धमनियों में रक्त प्रवाह पूरी तरह से बाधित हो गया था, को अस्पताल लाया गया।
मरीजों की स्थिति गंभीर थी और त्वरित निर्णय लेना अनिवार्य था।
एंजियोप्लास्टी जैसे महंगे विकल्प मरीजों के लिए संभव नहीं थे।
टीम ने विशेष प्रक्रिया के तहत नियंत्रित मात्रा में एथेनॉल (देशी दारू) का उपयोग किया।
प्रक्रिया का तरीका
एथेनॉल को नसों के माध्यम से दिल तक पहुंचाया गया।
एथेनॉल ने रक्त वाहिकाओं में मौजूद थक्के (क्लॉट) को घोलने में मदद की।इससे रक्त प्रवाह तुरंत शुरू हुआ और हृदय को ऑक्सीजन मिलने लगी।
मरीजों को मॉनिटरिंग के बाद स्थिर स्थिति में डिस्चार्ज किया गया।
हार्ट अटैक के पीछे के कारण धमनियों में रुकावट
कोलेस्ट्रॉल और फैटी प्लाक के जमाव से रक्त प्रवाह रुक जाता है। हाई ब्लड प्रेशर यह धमनियों पर अतिरिक्त दबाव डालता है।तनाव और जीवनशैली
अनियमित खानपान, धूम्रपान, और शारीरिक सक्रियता की कमी।लक्षण सीने में भारीपन या दर्द।सांस लेने में कठिनाई।
अत्यधिक पसीना और चक्कर आना।अल्कोहल आधारित चिकित्सा
अल्कोहल, विशेष रूप से एथेनॉल, चिकित्सा जगत में नियंत्रित परिस्थितियों में थक्के घोलने और रक्त प्रवाह को पुनः चालू करने के लिए उपयोग किया जाता है।
कैसे काम करता है? थक्का घोलना
एथेनॉल रक्त वाहिकाओं में फंसे थक्के को तोड़ने में मदद करता है। रक्त प्रवाह सुधारना
एथेनॉल का हल्का प्रभाव धमनियों को आराम देता है।
इमरजेंसी उपयोग
यह तकनीक तब उपयोगी होती है जब पारंपरिक उपचार उपलब्ध न हो।
एथेनॉल नियंत्रित मात्रा में उपयोग किया जाता है।
इसे केवल विशेषज्ञ डॉक्टर की निगरानी में ही किया जा सकता है। वैज्ञानिक दृष्टिकोण
यह तकनीक अब तक सीमित प्रयोगों में सफल रही है।
विकसित देशों में आपात स्थितियों में इस पद्धति का उपयोग किया जाता है।
रीवा का योगदान
सीमित संसाधनों में इस प्रक्रिया को अपनाकर जीवन बचाने की यह घटना भारत के चिकित्सा क्षेत्र के लिए गर्व की बात है।
रीवा सुपर स्पेशलिटी अस्पताल की यह घटना चिकित्सा विज्ञान के नवाचार और साहस का प्रतीक है। यह साबित करता है कि सही ज्ञान और दृढ़ निश्चय के साथ असंभव को संभव किया जा सकता है।
“रीवा का अल्कोहल चमत्कार जब विज्ञान और मानवीय प्रयास ने हृदय रोगियों को जीवनदान दिया”

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