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बीजेपी जिलाध्यक्षों की सूची रात बारह बजे आयेगी लेकिन …….

बीजेपी जिलाध्यक्षों की सूची रात बारह बजे आयेगी लेकिन …….

जमाई हुई जड़ों की भूख जिलाध्यक्ष पद पर धनबल का दबदबा!”
कार्यकर्ताओं का संघर्ष और नेताओं की राजनीति
राजनीति में सियासी खेल हमेशा से रोचक रहा है, लेकिन जिलाध्यक्ष पद की दौड़ में इस बार जो तमाशा देखने को मिल रहा है,।

वह पार्टी के असली योद्धा, जो संगठन को अपनी मेहनत और निष्ठा से आगे बढ़ाते हैं, आज भी साइडलाइन हैं। वहीं दूसरी ओर, जो पहले से ही पार्टी के कई पदों पर “जड़ जमाए” बैठे हैं, वे अब इस कुर्सी को हथियाने के लिए जनबल और धनबल दोनों का खेल खेल रहे हैं।
सवाल यह है कि जब प्रतिभाशाली कार्यकर्ताओं को मौका नहीं मिलेगा, तो संगठन की असली ताकत कहां जाएगी?
जिलाध्यक्ष पद: जनबल, धनबल और कार्यकर्ताओं की अनदेखी
कुछ नेता, जो पहले ही संगठन में बड़े पदों पर “आराम फरमा” रहे हैं, अब जिलाध्यक्ष पद के लिए भी मैदान में हर तरह से लगे हुये  हैं।
उनके पास न तो कोई नई योजना है, न संगठन को आगे ले जाने की प्रतिबद्धता।
लेकिन धनबल और व्यक्तिगत प्रभाव के बल पर ये नेता पद की दौड़ में सबसे आगे हैं। एक जिले में दो जिलाध्यक्ष के लिए पार्टी विचार कर सकती है।
प्रतिभाशाली कार्यकर्ताओं की अनदेखी
पार्टी के ऐसे कार्यकर्ता, जो जमीन से जुड़े हुए हैं और संगठन को बेहतर बना सकते हैं, उन्हें फिर से हाशिए पर डाल दिया गया है।
इन कार्यकर्ताओं की मेहनत और प्रतिबद्धता को दरकिनार कर, केवल उन्हीं नेताओं को बढ़ावा दिया जा रहा है, जो “चमक-दमक” और “पद-प्रतिष्ठा” में विश्वास रखते है
भोपाल का सियासी खेल कार्यकर्ताओं के सपने और नेताओं की हकीक अनूपपुर में हर कोई “रात 12 बजे लिस्ट आएगी” का इंतजार कर रहा है।
कार्यकर्ता रातभर सोशल मीडिया पर अपनी उम्मीदें जगाए बैठे रहते हैं।
कार्यकर्ताओं का दर्द
पार्टी के वास्तविक सिपाही—कार्यकर्ता—सोच रहे हैं कि आखिर उनकी मेहनत का क्या फायदा, जब नेतृत्व का हर पद उन्हीं लोगों के लिए आरक्षित हो, जो “जनबल” और “धनबल” के खेल में माहिर हैं। सूत्रों के मुताबिक तीन लोगों का पैनल बनाया गया था फिर दो नाम पैनल में और जोड़े गए अब  अनूपपुर जिले से दावेदारी सूची की संख्या में पांच हो गई ।
अनूपपुर में धनबल और जनबल का गठजोड़ धनबल का बोलबाला
जिलाध्यक्ष पद के इस सियासी खेल में कुछ दावेदार ऐसे भी हैं, जो केवल धनबल के सहारे इस पद को पाना चाहते हैं।
ये नेता कार्यकर्ताओं को केवल भीड़ जुटाने का माध्यम मानते हैं।
असली मुद्दे—संगठन को मजबूत करना और कार्यकर्ताओं की स्थिति सुधारना—इनकी प्राथमिकता में कहीं नहीं है।
प्रतिभाशाली कार्यकर्ताओं का संघर्ष
अनूपपुर में कई ऐसे कार्यकर्ता हैं, जो अपने अनुभव और मेहनत से संगठन को नई दिशा दे सकते हैं।
लेकिन इन्हें हर बार “आपकी बारी अगली बार” कहकर चुप करा दिया जाता है।
नतीजा यह है कि जिलाध्यक्ष पद पर वही नेता आसीन हो जाते हैं, जो “धनबल” और “राजनीतिक जोड़तोड़” में माहिर हैं।
कार्यकर्ता बनाम पदलोलुप  नेता एक ही चेहरे, हर पद पर
इस बार के जिलाध्यक्ष पद की दौड़ ने यह साफ कर दिया है कि संगठन के बड़े पद केवल “गिने-चुने चेहरों” के लिए आरक्षित हैं।
ऐसे लोग, जो पहले से पार्टी में कई पदों पर बैठे हैं, अब इस पद के लिए भी अपना दावा ठोक रहे हैं।
कार्यकर्ताओं का सवाल है—क्या पार्टी में नए और प्रतिभाशाली लोगों के लिए कोई जगह नहीं है?
प्रतिभा का गला घोंटती राजनीति
नेतृत्व का यह रवैया पार्टी के भविष्य के लिए खतरनाक है।
जब प्रतिभावान कार्यकर्ताओं को मौका नहीं मिलेगा, तो संगठन की ताकत धीरे-धीरे कमजोर हो जाएगी।
कार्यकर्ता भी संगठन के सच्चे सिपाही, लेकिन हमेशा हाशिए पर
संगठन की रीढ़
पार्टी के कार्यकर्ता ही संगठन की असली ताकत हैं।
ये लोग हर परिस्थिति में पार्टी का झंडा ऊंचा रखते हैं।
चुनावी मैदान से लेकर सोशल मीडिया तक, हर जगह इनकी मेहनत दिखती है।
लेकिन पद की दौड़ में इन कार्यकर्ताओं का कोई स्थान नहीं है।
उनकी मेहनत और निष्ठा को हमेशा नजरअंदाज किया जाता है।
उन्हें केवल “नेता का समर्थन” जुटाने का माध्यम माना जाता है।
पार्टी को चाहिए कि वह जिलाध्यक्ष पद के लिए केवल “धनबल” और “राजनीतिक रसूख” को नहीं, बल्कि कार्यकर्ताओं की मेहनत और प्रतिभा को प्राथमिकता दे इससे संगठन मजबूत होगा।
साथ ही, कार्यकर्ताओं का विश्वास भी पार्टी में बना रहेगा।
पुराने और जड़ जमाए चेहरों के बजाय, पार्टी को नए और ऊर्जावान नेताओं को मौका देना चाहिए।
कार्यकर्ताओं की मेहनत, नेताओं का फायदा
जिलाध्यक्ष पद का यह सियासी खेल दिखाता है कि राजनीति में प्रतिभा और मेहनत से ज्यादा महत्व जनबल और धनबल का है।
जब तक पार्टी कार्यकर्ताओं को प्राथमिकता नहीं देगी, तब तक संगठन के भीतर असंतोष बढ़ता रहेगा।
नेताओं को चाहिए कि वे कार्यकर्ताओं की मेहनत का सम्मान करें, वरना राजनीति का यह खेल  पार्टी के लिए नुकसानदेह साबित हो सकता है।
आखिरकार, जिलाध्यक्ष पद का सियासी खेल  सिर्फ नेताओं के फायदे का खेल है, और कार्यकर्ताओं की मेहनत एक बार फिर हाशिए पर रह जाएगी।

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Kailash Pandey
Anuppur
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