
1 जनवरी 2025 को मिजोरम की राजधानी आइजोल के डर्टलांग स्थित सिनॉड हॉस्पिटल में भारत के पहले ‘जेनरेशन बीटा’ शिशु का जन्म हुआ। इस नवजात का नाम रैंकी रेमरुआटडिका ज़ाडेंग रखा गया है।
जेनरेशन बीटा एक नई पीढ़ी की शुरुआत
‘जेनरेशन बीटा’ उन बच्चों की पीढ़ी है, जिनका जन्म 1 जनवरी 2025 से 2039 के बीच होगा। इससे पहले, 2010 से 2024 के बीच जन्मे बच्चों को ‘जेनरेशन अल्फा’ के रूप में जाना जाता है। जेनरेशन बीटा के बच्चे एक ऐसे युग में बड़े होंगे, जहां आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और तकनीकी प्रगति जीवन के हर पहलू में गहराई से समाहित होंगी।
जेनरेशन बीटा की विशेषताएं
विशेषज्ञों का मानना है कि जेनरेशन बीटा के बच्चे डिजिटल दुनिया में सहज होंगे, जहां शिक्षा, नौकरी, स्वास्थ्य और मनोरंजन के क्षेत्रों में AI की महत्वपूर्ण भूमिका होगी। यह पीढ़ी तकनीकी प्रगति के साथ-साथ पर्यावरणीय चुनौतियों, जलवायु परिवर्तन और शहरीकरण जैसी समस्याओं का सामना करेगी।
दुनिया में जेनरेशन बीटा की शुरुआत
1 जनवरी 2025 से विश्वभर में जेनरेशन बीटा की शुरुआत हुई है। हालांकि, भारत में रैंकी रेमरुआटडिका ज़ाडेंग को इस पीढ़ी का पहला शिशु माना जा रहा है, जो मिजोरम के आइजोल में जन्मा।
इस ऐतिहासिक घटना ने मिजोरम और पूरे भारत में उत्साह और गर्व का माहौल पैदा किया है, क्योंकि यह देश में एक नई पीढ़ी की शुरुआत का प्रतीक है।




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