
17 वर्षीय काम्या कार्तिकेयन ने रचा इतिहास बनीं सात महाद्वीपों की सबसे ऊंची चोटियों पर चढ़ने वाली सबसे कम उम्र की महिला
मुंबई के नेवी चिल्ड्रेन स्कूल की छात्रा काम्या कार्तिकेयन ने 17 साल की उम्र में एक अद्भुत उपलब्धि हासिल करते हुए दुनिया की सबसे कम उम्र की महिला बनकर इतिहास रच दिया है। उन्होंने सात महाद्वीपों की सबसे ऊंची चोटियों पर सफलतापूर्वक चढ़ाई कर अपने साहस, दृढ़ संकल्प और समर्पण का अद्वितीय उदाहरण प्रस्तुत किया है।
काम्या का पर्वतारोहण का सपना मात्र 10 वर्ष की उम्र में शुरू हुआ। एक साधारण बच्चे की तरह दिखने वाली इस लड़की ने बचपन में ही हिमालय की चोटियों से प्रेरणा लेकर पर्वतारोहण की शुरुआत की। उनके माता-पिता भारतीय नौसेना में कार्यरत होने के कारण उन्हें अनुशासन और साहस का प्रशिक्षण बचपन से ही मिला।
सात चोटियों पर विजय
काम्या ने अपनी यात्रा में सात महाद्वीपों की सबसे ऊंची चोटियों पर चढ़ाई की, जिन्हें “सेवन समिट्स” कहा जाता है। उनकी उपलब्धियां
1. माउंट एवरेस्ट (एशिया) – 8,849 मीटर
2. अकोंकागुआ (दक्षिण अमेरिका) – 6,961 मीटर
3. डेनाली (उत्तरी अमेरिका) – 6,190 मीटर
4. किलिमंजारो (अफ्रीका) – 5,895 मीटर
5. विन्सन मासिफ (अंटार्कटिका) – 4,892 मीटर
6. एल्ब्रुस (यूरोप) – 5,642 मीटर
7. कोसियुस्जको (ऑस्ट्रेलिया) – 2,228 मीटर
इन चोटियों पर चढ़ाई के दौरान उन्होंने न केवल प्रतिकूल मौसम और भौगोलिक परिस्थितियों का सामना किया, बल्कि अपने मानसिक और शारीरिक धैर्य को भी साबित किया।
पढ़ाई और पर्वतारोहण का संतुलन
काम्या ने न केवल अपनी पर्वतारोहण यात्रा में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया, बल्कि अपनी पढ़ाई में भी अनुकरणीय सफलता प्राप्त की। उन्होंने अपनी शैक्षणिक जिम्मेदारियों और पर्वतारोहण प्रशिक्षण के बीच अद्भुत संतुलन बनाए रखा।
काम्या ने अपनी इस उपलब्धि के माध्यम से युवा पीढ़ी को यह संदेश दिया है कि बड़े सपनों को साकार करने के लिए आत्मविश्वास, कड़ी मेहनत और अटूट विश्वास की आवश्यकता होती है। उन्होंने कहा, “कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं होता, बस उसे पाने की चाह और मेहनत होनी चाहिए।
सम्मान और प्रेरणा
काम्या की इस ऐतिहासिक उपलब्धि ने उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता दिलाई। वह आज भारत के लिए गर्व का प्रतीक बन गई हैं। काम्या के साहस ने न केवल भारतीय युवाओं को बल्कि पूरे विश्व को प्रेरित किया है।
काम्या कार्तिकेयन साहस और धैर्य की प्रतीक है। उनकी यह उपलब्धि न केवल उनके व्यक्तिगत जीवन में बल्कि पूरे युवा वर्ग के लिए प्रेरणादायक है। उनका यह सफर साबित करता है कि मेहनत और समर्पण से हर असंभव लक्ष्य को संभव बनाया जा सकता है।



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