
ईसा मसीह (जीसस क्राइस्ट) ईसाई धर्म के संस्थापक और एक महान आध्यात्मिक गुरु थे। उन्हें भगवान का पुत्र और मानव जाति के उद्धारकर्ता माना जाता है। उनके जीवन, शिक्षाओं, और चमत्कारों ने दुनिया भर में करोड़ों लोगों को प्रेरित किया है। उनके जन्म से लेकर उनके पुनरुत्थान तक की घटनाएं अनगिनत रहस्यों और चमत्कारों से भरी हुई हैं।
प्रभु ईसा का जन्म लगभग 4 ईसा पूर्व (बीसी) में हुआ माना जाता है। उनका जन्म बेथलेहेम के एक अस्तबल में हुआ था। उनकी माता मरियम (मैरी) और पिता यूसुफ (जोसफ) साधारण परिवार से थे। उनकी माता ने दिव्य संदेश के अनुसार में उन्हें जन्म दिया
उनके जन्म के समय एक विशेष तारा दिखाई दिया, जिसे बेतलेहम का तारा कहा जाता है।
तीन ज्योतिषविद (मजिस) दूर देशों से आकर उन्हें उपहार भेंट करने आए।हरोद का भय
राजा हेरोद ने उनकी लोकप्रियता से भयभीत होकर सभी नवजात शिशुओं को मरवा दिया। मरियम और यूसुफ उन्हें लेकर मिस्र चले गए।
ईसा मसीह ने बचपन से ही असाधारण ज्ञान और आध्यात्मिक समझ दिखाई। 12 वर्ष की आयु में उन्होंने यरूशलेम के मंदिर में विद्वानों को अपने सवालों और उत्तरों से चकित कर दिया।
उनके शुरुआती जीवन के बारे में बाइबिल में बहुत कम जानकारी है, जिसे साइलेंट ईयर्स कहा जाता है।
बपतिस्मा और सार्वजनिक सेवा का आरंभ
30 वर्ष की आयु में, उन्हें जॉन द बैपटिस्ट ने बपतिस्मा दिया। इस घटना के बाद उन्होंने सार्वजनिक सेवा आरंभ की।
काना में जल को अंगूर के रस में बदलना: उनका पहला चमत्कार।
बीमारों को ठीक करना उन्होंने कुष्ठरोगियों, अंधों, और अपंगों को चंगा किया।
भूखों को भोजन देना उन्होंने पांच रोटियों और दो मछलियों से हजारों लोगों को भोजन कराया।
मृतकों को जीवित करना लाजर को मृत्यु के चार दिन बाद पुनर्जीवित किया।
प्रकृति पर अधिकार उन्होंने समुद्र को शांत किया और पानी पर चलने का चमत्कार किया
प्रेम, क्षमा, और नम्रता उनके प्रमुख उपदेश थे।
उन्होंने कहा, जो तुम्हें थप्पड़ मारे, उसे दूसरा गाल भी दिखाओ।
स्वर्ग का राज्य गरीबों और पवित्र हृदय वालों का है।
गुप्त और अद्भुत तथ्य उनका गुप्त ज्ञान
ईसा मसीह ने कई ऐसे उपदेश दिए जो सीधे नहीं समझाए गए। उन्हें “परबल” या दृष्टांत कहा जाता है। इन दृष्टांतों में छिपे संदेश उनके अनुयायियों के लिए गहरे अर्थ रखते अज्ञात वर्ष
उनके 12 से 30 वर्ष के जीवन की घटनाओं के बारे में बाइबिल चुप है। कुछ सिद्धांतों के अनुसार, उन्होंने इस समय भारत, तिब्बत, और मिस्र जैसे देशों में यात्रा की और वहां के धर्मग्रंथों का अध्ययन किया।गोल्डन वेरोनिका का रहस्य
जब वह सूली पर चढ़ने के लिए जा रहे थे, तब एक महिला वेरोनिका ने उनके चेहरे से पसीना पोंछा। उनके चेहरे की छवि कपड़े पर अंकित हो गई। यह कपड़ा “वेरोनिका की वेल” के नाम से प्रसिद्ध है।पुनरुत्थान का प्रमाण
उनके पुनरुत्थान के बाद, उनके शिष्यों ने दावा किया कि उन्होंने ईसा को जीवित देखा और उनके साथ भोजन किया। यह घटना ईसाई धर्म का आधार बनी।
सूली पर चढ़ाया जाना और पुनरुत्थान धोखे का शिकार
उनके शिष्य यहूदा इस्करियोती ने उन्हें चांदी के 30 सिक्कों के लिए धोखा दिया।सूली पर मृत्यु
उन्हें शुक्रवार को सूली पर चढ़ाया गया, जिसे “गुड फ्राइडे” कहा जाता है।
तीसरे दिन (ईस्टर) वह मृतकों में से पुनर्जीवित हुए।
ईसा मसीह के शिष्यों, विशेष रूप से पतरस और पौलुस ने उनके संदेश को दुनिया भर में फैलाया।
समकालीन अनुसंधान और रहस्यशव कपड़ा (श्रोड ऑफ ट्यूरिन)
एक कपड़ा जिसे उनके शव से जोड़ा जाता है, आज भी शोध का विषय है। इस पर उनकी छवि अंकित है।भारत में ईसा मसीह
कुछ मान्यताओं के अनुसार, ईसा का भारत से गहरा संबंध था। माना जाता है कि उन्होंने कश्मीर में जीवन के अंतिम वर्ष बिताए।
ईसा मसीह का जीवन प्रेम, दया और बलिदान का प्रतीक है। उनके चमत्कार, उपदेश, और जीवन ने पूरी मानवता को प्रभावित किया।




Leave a Reply