
पीथमपुर। युनियन कार्बाइड के जहरीले कचरे को पीथमपुर के रामकी उद्योग में जलाने के फैसले ने लोगों के आक्रोश को भड़का दिया है। कांग्रेस ने इस मुद्दे पर भाजपा सरकार को कटघरे में खड़ा करते हुए महाराणा प्रताप बस स्टैंड पर विशाल धरना प्रदर्शन किया। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी के नेतृत्व में हुए इस विरोध प्रदर्शन में हजारों कार्यकर्ताओं ने सरकार के खिलाफ आवाज बुलंद की।
भाजपा मौत का कुआं खोद रही है
धरना स्थल पर गरजते हुए जीतू पटवारी ने कहा, रामकी में लगाई गई यह फैक्ट्री कोई उद्योग नहीं, बल्कि मौत का कुआं है। भाजपा सरकार ने जनता के स्वास्थ्य और भविष्य से खिलवाड़ करते हुए पीथमपुर को जहरीले कचरे का ठिकाना बना दिया है। ये केवल कचरा नहीं, बल्कि लाखों परिवारों के जीवन का सवाल है।
उन्होंने कहा, 1984 में भोपाल गैस त्रासदी ने लाखों लोगों की जान ले ली थी। अब उसी कचरे को जलाने के लिए रामकी में मौत का सामान लाया गया है। जब जहरीली हवा चलेगी, तो भाजपा नेता पहले मरेंगे, फिर कांग्रेस का नंबर आएगा।
भाजपा पर प्रहार जनता की मौत का सामान भेजा गया
कांग्रेस नेताओं ने भाजपा पर आरोप लगाते हुए कहा कि रामकी उद्योग लगाने के नाम पर यहां मौत का सामान भेजा गया है। भाजपा सरकार ने उद्योगपतियों के हित में काम करते हुए जनता के जीवन को दांव पर लगा दिया है। जब तक रामकी की दुकान बंद नहीं होगी, कांग्रेस का आंदोलन जारी रहेगा।
पूर्व मंत्री सज्जन सिंह वर्मा, विधायक भंवर सिंह शेखावत, सुरेंद्र सिंह हनी बघेल और प्रताप गेवाल समेत अन्य वरिष्ठ नेताओं ने कहा कि यह केवल राजनीतिक मुद्दा नहीं है, बल्कि आम जनता की जिंदगी और स्वास्थ्य का सवाल है।
रामकी की आड़ में मौत का रावण
प्रदर्शन में शामिल कार्यकर्ताओं ने हाथों में तख्तियां लेकर नारेबाजी की। “रामकी की आड़ में मौत का रावण”, “मौत का कचरा यहां नहीं जलने देंगे”, जैसे नारों ने विरोध स्थल को गूंजा दिया।
जनता के साथ अन्याय नहीं सहेंगे
कांग्रेस ने साफ तौर पर कहा कि अगर सरकार ने यह फैसला वापस नहीं लिया, तो आंदोलन और उग्र होगा। प्रदर्शन के दौरान जनता में गहरा आक्रोश दिखाई दिया।
इस विरोध प्रदर्शन में सज्जन सिंह वर्मा, सुरेंद्र सिंह हनी बघेल, भंवर सिंह शेखावत, प्रताप गेवाल, बालमुकुंद सिंह गौतम, जिलाध्यक्ष कमल किशोर पाटीदार समेत हजारों कार्यकर्ताओं ने हिस्सा लिया।
यह केवल शुरुआत है,कांग्रेस ने चेतावनी देते हुए कहा, रामकी का मौत का कुआं बंद होने तक यह लड़ाई जारी रहेगी।



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