सरकारी गणित निर्माण का जोड़-घटाना, ठेकेदार की जेब का गुणा-भाग!
राष्ट्रीय गणित दिवस पर, विशेष सरकारी महकमे ने अपने तरीके से इसे मनाने का अनोखा तरीका खोजा। एक सरकारी इंजीनियर ने ठेकेदार के साथ ऐसा गणित खेला कि पुल का निर्माण तो हुआ, लेकिन ठेकेदार की हालत देखते ही बन रही है।
सरकारी गणित में जोड़ों-घटाव का ऐसा खेल हुआ कि ठेकेदार के लिए हर सवाल “त्रिकोणमिति” बन गया और जवाब हमेशा “असंगत समीकरण” साबित हुआ।
गणित का खेल बजट का गुणा और ठेकेदार का भाग
सरकारी बजट में ₹10 करोड़ का गुणा हुआ, लेकिन ठेकेदार को वास्तविकता में इसके आधे का भाग मिला। इंजीनियर साहब ने ठेकेदार से पूछा,
अगर तुम्हारे पास 10 रुपये हैं और तुमसे 8 निकाल लिए जाएं, तो तुम्हारे पास क्या बचेगा?
ठेकेदार ने मासूमियत से जवाब दिया, “दो रुपये।”
इंजीनियर हंसते हुए बोले, गलत, तुम्हारे पास बस उधारी और पेनाल्टी बचेगी!
लंबाई का ‘लंबा’ घोटाला
पुल की वास्तविक लंबाई 200 मीटर होनी थी, लेकिन फाइलों में इसे 250 मीटर दिखा दिया गया। ठेकेदार ने जब सवाल उठाया तो इंजीनियर ने समझाया,
यह पायथागोरस थ्योरम है। तुम्हें पता नहीं, ज़मीन की झुकाव का गणित हमारे काम में कितना अहम है।
ठेकेदार ने सिर खुजाते हुए कहा,
पर साहब, यह झुकाव मेरी जेब का क्यों हो रहा है?
बिल का समीकरण
ठेकेदार ने हर महीने बिल बनाया, लेकिन सरकारी कार्यालय में वह बिल एक ऐसा “अनसुलझा समीकरण” बन गया जिसे हर बार नए सिरे से हल करना पड़ता।
इंजीनियर ने ठेकेदार से कहा,
तुम्हारा बिल सही है, पर इसे पास करवाने के लिए मेरे ‘मैथेमैटिकल कौशल’ की फीस देनी होगी।
ठेकेदार ने झल्लाकर कहा,
साहब, ये कौन सा गणित है, जिसमें मेरी हर रकम आपके बैंक खाते में जमा होती है?
रिश्वत का प्रतिशत
इंजीनियर ने ठेकेदार को समझाया कि हर काम का 10% ‘प्रोसेसिंग शुल्क’ है। ठेकेदार ने कहा,
साहब, मैं तो जोड़-घटाना जानता हूं, पर आप तो सीधे ब्याज और चक्रवृद्धि ब्याज पर चले गए।
इंजीनियर मुस्कुराते हुए बोले,
यह सरकारी गणित है, यहां ‘सीधा’ कुछ नहीं होता।
यमराज और धर्मराज का भी हिसाब गड़बड़!
अगर यमराज और धर्मराज ने सरकारी इंजीनियर को बुलाया होता, तो शायद उनका भी हिसाब-किताब बिगड़ जाता। यमदूत पूछते,
तुमने ठेकेदार से कितना लिया?
बस 10% ही लिया, पर वह मूलधन के साथ गणित का हिस्सा था।
ठेकेदार रमेश कुमार का कहना है कि वह अब ‘सरकारी गणित’ को जीवन भर नहीं भूलेगा। उसकी जेब से निकालकर सरकारी इंजीनियर ने जो जोड़-घटाव किया, वह भारत के गणितज्ञ रामानुजन को भी शर्मिंदा कर सकता है।
(व्यंग्यकार कक्काजी, गणितीय व्यंग्य विश्लेषक)
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