सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल-असद ने 24 वर्षों तक देश पर कड़ा शासन किया, एक ऐसा शासन जो उनके पिता हाफिज अल-असद के 30 वर्षों के शासन की तरह अडिग और निर्विवाद प्रतीत होता था। इस शासन के दौरान, असद परिवार ने सीरिया की राजनीति और समाज पर गहरी पकड़ बनाई थी, और एक मजबूत सैन्य और सुरक्षा मशीनरी के द्वारा अपनी सत्ता को बनाए रखा। यह शासन सीरिया में व्याप्त आंतरिक संघर्षों, विपक्ष की ओर से कई बार उठाए गए विरोधों, और नागरिकों की असंतोष की आवाजों के बावजूद लगातार जारी रहा।
गृहयुद्ध और असद शासन की पराजय: सीरिया में 2011 से शुरू हुए गृहयुद्ध ने बशर अल-असद के शासन को एक गंभीर चुनौती दी। देशभर में व्यापक विरोध प्रदर्शनों और आंतरिक विद्रोह के बावजूद, असद ने लगातार अपनी सत्ता को बनाए रखा। जब तक 2018 तक असद ने इराक और रूस के सहयोग से युद्ध में कुछ हद तक विजय प्राप्त की, यह मान लिया गया था कि उनका शासन अब मजबूत हो चुका है।
लेकिन एक अप्रत्याशित घटनाक्रम ने सबको चौंका दिया। असद के शासन का अचानक पतन हुआ, और यह तब हुआ जब विद्रोही सेना ने अपनी हल्की सेनाओं के साथ दमिश्क की ओर बढ़ना शुरू किया। विद्रोही सेनाओं का दमिश्क की ओर आक्रमण और उनकी प्रगति ने बशर अल-असद के शासन को पूरी तरह से चौंका दिया। यह घटना असद की मजबूत पकड़ पर एक गहरा सवाल उठाती है, क्योंकि वह एक ताकतवर नेता माने जाते थे और उनका शासन “अडिग” माना जाता था।
11 दिन में शासन का पतन विशेष रूप से, यह ध्यान देने योग्य है कि असद का शासन 11 दिनों के भीतर ढह गया। इससे यह साबित होता है कि असद की सत्ता की मजबूती सिर्फ एक बाहरी छवि थी, और वास्तविकता में उनके शासन की नींव कमजोर थी। विद्रोहियों की प्रगति ने इस शासन को पूरी तरह से ध्वस्त कर दिया। जैसा कि रिपोर्ट में बताया गया है, असद ने स्थिति से बचने के लिए रातों-रात हवाई अड्डे की ओर भागने का निर्णय लिया और देश छोड़ दिया।
रूस की शरण रूस के राज्य मीडिया के अनुसार, असद को मास्को में शरण दी गई है, जो कि रूस और असद शासन के बीच मजबूत संबंधों का संकेत देता है। रूस ने गृहयुद्ध के दौरान असद का समर्थन किया था, और यह असद के लिए एक सुरक्षित आश्रय का स्थान बन गया। इस संदर्भ में रूस की भूमिका सीरिया के संकट में महत्वपूर्ण रही है, और इस घटना ने रूस के मध्य-पूर्व में बढ़ते प्रभाव को और स्पष्ट कर दिया है।
असद के शासन का पतन सीरिया के भविष्य को लेकर गंभीर सवाल उठाता है। यह घटनाक्रम यह दर्शाता है कि लंबे समय तक एक कड़ा और दमनकारी शासन भी अंतत विद्रोह के सामने गिर सकता है। हालांकि असद का परिवार अब सत्ता से बाहर हो चुका है, लेकिन सीरिया में सत्ता के संघर्ष, राजनीतिक अस्थिरता और देश की आर्थिक स्थिति को लेकर चिंता बनी हुई है।
सीरिया के भविष्य का निर्धारण केवल असद के परिवार की किस्मत पर निर्भर नहीं होगा, बल्कि देश में विभिन्न समूहों, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय शक्तियों के प्रभाव, और आर्थिक और सामाजिक सुधारों पर भी होगा।
बशर अल-असद का शासन अचानक ढह जाना यह दिखाता है कि किसी भी तानाशाही शासन का अंत हमेशा स्पष्ट नहीं होता। जबकि असद और उनके समर्थक ने यह विश्वास किया था कि उनका शासन अडिग रहेगा, यह घटनाक्रम यह साबित करता है कि अंततः एक कमजोर प्रणाली और विद्रोहियों की दृढ़ता के सामने कोई भी शासन गिर सकता है। सीरिया के लिए अब एक नई राजनीतिक दिशा की आवश्यकता है, और इसका भविष्य पूरी तरह से नए नेताओं और नए विचारों पर निर्भर करेगा।
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Kailash Pandey
Anuppur (M.P.)
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