रीवा जिले की त्यौंथर तहसील, जो उत्तर प्रदेश की सीमा से सटी है, इन दिनों सरकारी तंत्र और भ्रष्टाचार का बड़ा उदाहरण बनकर उभर रही है। उत्तर प्रदेश से धान के अवैध परिवहन और विक्रय को रोकने के लिए कलेक्टर रीवा द्वारा जारी निर्देशों के बाद त्यौंथर SDM ने उत्तर प्रदेश सीमा से सटे उपार्जन केंद्रों पर वैरियर चेक पोस्ट स्थापित करने के आदेश दिए। लेकिन यह पूरा मामला सिर्फ सरकारी कागजों में ही सिमटकर रह गया।
कागज पर न केवल वैरियर चेक पोस्ट बनाए गए, बल्कि कर्मचारियों की ड्यूटी भी लगाई गई। हालांकि, ज़मीनी हकीकत यह है कि न तो वैरियर चेक पोस्ट हैं और न ही ड्यूटी पर तैनात कर्मचारी। आदेश के बावजूद सीमा पर अवैध धान के परिवहन को रोकने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।
सूत्र बताते हैं कि उत्तर प्रदेश से बड़े पैमाने पर धान बिना किसी रोक-टोक के ढखरा, सोनौरी, बरहा और अन्य खरीदी केंद्रों तक पहुंचाई जा रही है। यह धान माफिया और कुछ समिति प्रबंधकों की मिलीभगत का नतीजा है, जो इस अवैध गतिविधि को अंजाम दे रहे हैं।
कागजी सिस्टम का असली चेहरा
कागजी वैरियर आदेशों के मुताबिक चेक पोस्ट बनाए गए, लेकिन हकीकत में ये चेक पोस्ट ज़मीन पर नहीं दिखते।कागजी कर्मचारी: ड्यूटी पर तैनात कर्मचारी भी सिर्फ कागजों में हैं। वास्तव में कोई निगरानी नहीं हो रही
समिति प्रबंधकों की मिलीभगत समिति प्रबंधक कथित रूप से किसानों के साथ सांठगांठ कर धान माफियाओं का धान खपाने में मदद कर रहे हैं।
यदि सही मायने में वैरियर चेक पोस्ट लगाए जाते और वहां तैनात कर्मचारी ईमानदारी से अपना काम करते, तो अवैध धान के परिवहन को रोका जा सकता था
आदेश आया, कागज़ मंगवाया, वैरियर बनाया। कर्मचारी तैनात किए, लेकिन ड्यूटी पर न भेज पाया। धान माफिया बोले- धन्यवाद, सरकारी सिस्टम। आपने हमारे धंधे को और आसान बना दिया
समिति प्रबंधकों और किसानों के बीच हो रही संदिग्ध गतिविधियों की जांच हो।
डिजिटल ट्रैकिंग उपार्जन केंद्रों में आने वाली हर खेप का डिजिटल रिकॉर्ड रखा जाए।
सरकारी आदेश और उनका क्रियान्वयन अक्सर एक बड़ी खाई बनाकर रह जाते हैं। इस मामले में भी कागजों पर बनाए गए वैरियर और जमीनी हकीकत के बीच यही अंतर दिखता है।
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Kailash Pandey
Anuppur (M.P.)
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