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मध्य प्रदेश सरकार के बढ़ते कर्ज पर प्रदेश का हर नागरिक औसतन 50,000 रुपये का कर्जदार

मध्य प्रदेश सरकार के बढ़ते कर्ज पर प्रदेश का हर नागरिक औसतन 50,000 रुपये का कर्जदार



मध्य प्रदेश सरकार द्वारा लिए गए नए 5000 करोड़ रुपये के कर्ज के बाद राज्य की आर्थिक स्थिति और कर्ज के बोझ पर गहन चर्चा की जरूरत है। इस नए कर्ज के साथ, राज्य पर कुल कर्ज 3.75 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया है, जिससे  हो गया है।

कर्ज की संरचना और उद्देश्य

वर्तमान वित्तीय वर्ष में कर्ज का पैटर्न

वर्ष 2024-25 में अभी तक राज्य सरकार ने कुल 25,000 करोड़ रुपये का कर्ज लिया है।

राज्य सकल घरेलू उत्पाद (GSDP) का 3% तक कर्ज लेने की अनुमति के तहत सरकार अभी 65,000 करोड़ रुपये तक का कर्ज और ले सकती है।

नवीनतम 5000 करोड़ रुपये का कर्ज दो हिस्सों में लिया गया है:

2500 करोड़ रुपये 20 वर्षों में चुकाए जाएंगे।

2500 करोड़ रुपये 14 वर्षों में चुकाए जाएंगे।


इस कर्ज पर साल में दो बार ब्याज भुगतान करना होगा

सरकारी बयान के अनुसार, यह कर्ज विकास परियोजनाओं और आर्थिक गतिविधियों को गति देने के लिए लिया जा रहा है।

हालांकि, एक बड़ा हिस्सा मुफ्त योजनाओं और सामाजिक कल्याण कार्यक्रमों को वित्तपोषित करने में भी चला

राज्य का कुल बजट 3.65 लाख करोड़ रुपये का है, जबकि कुल कर्ज 3.75 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो चुका है।

यह स्थिति वित्तीय असंतुलन की ओर इशारा करती है, जहां बजट से अधिक कर्ज का बोझ हो गया है।

प्रदेश की लगभग 8 करोड़ की आबादी के आधार पर, प्रत्येक नागरिक पर 50,000 रुपये से अधिक का कर्ज है।

यह प्रति व्यक्ति कर्ज देश के अन्य राज्यों की तुलना में अधिक है, जिससे राज्य की वित्तीय सेहत पर सवाल उठते हैं।


वित्तीय जिम्मेदारी और चुनौतिया राजकोषीय उत्तरदायित्व

राजकोषीय उत्तरदायित्व एवं बजट प्रबंधन अधिनियम (FRBM) के तहत सरकार को कर्ज लेने में सतर्कता बरतनी चाहिए।

हालांकि, सरकार ने कर्ज लेते समय अपनी वित्तीय स्थिति “संतोषजनक” बताई है, लेकिन बढ़ता कर्ज भविष्य के लिए खतरा बन सकता है। ब्याज भुगतान का दबाव

साल में दो बार ब्याज भुगतान की शर्तें राज्य की वार्षिक आय और बजट पर अतिरिक्त दबाव डाल सकती हैं।

कर्ज का एक बड़ा हिस्सा केवल ब्याज चुकाने में ही चला जाता है, जिससे पूंजी परियोजनाओं के लिए धन कम बचता है।

मुफ्त योजनाओं का वित्तपोषण

राज्य सरकार की कई मुफ्त योजनाओं को कर्ज के माध्यम से पूरा किया जा रहा है।

यह दीर्घकालिक वित्तीय स्थिरता के लिए चिंता का विषय है।




कर्ज का इतिहास पिछले दो वर्षों में वृद्धि

2023-24 में लिए गए प्रमुख कर्ज:

फरवरी और मार्च 2023 में लगातार कई बार 3000-4000 करोड़ रुपये का कर्ज लिया गया।

मार्च 2024 तक कुल 65,000 करोड़ रुपये का कर्ज।


2024-25 में कर्ज की स्थिति:

अगस्त, सितंबर, और अक्टूबर 2024 में हर महीने 5000 करोड़ रुपये का कर्ज लिया गया।

नवंबर 2024 तक कुल कर्ज 25,000 करोड़ रुपये।


यह लगातार कर्ज लेने की प्रवृत्ति राज्य को एक “कर्ज चक्र” में फंसा सकती है।

समाज और अर्थव्यवस्था पर प्रभाव
प्रति व्यक्ति आय पर दबाव

प्रदेश के नागरिकों की प्रति व्यक्ति आय पर इस बढ़ते कर्ज का अप्रत्यक्ष प्रभाव होगा, क्योंकि कर्ज चुकाने के लिए करों और शुल्कों में वृद्धि हो सकती है।

विकास परियोजनाओं की गुणवत्ता

कर्ज का बड़ा हिस्सा मुफ्त योजनाओं में जाने से विकास परियोजनाओं के लिए धन की कमी हो सकती है।

इससे सड़कों, स्कूलों, अस्पतालों और अन्य बुनियादी ढांचे में सुधार की गति धीमी हो सकती है

बढ़ते कर्ज के कारण राज्य की क्रेडिट रेटिंग प्रभावित हो सकती है, जिससे निजी निवेशक राज्य में निवेश करने से बच सकते हैं।




राजनीतिक दृष्टिकोण और आलोचनासरकार की प्राथमिकताएं

विपक्षी दल लगातार आरोप लगाते रहे हैं कि सरकार मुफ्त योजनाओं और लोकलुभावन वादों के लिए राज्य की वित्तीय स्थिति को दांव पर लगा रही है।

चुनावी वर्ष में यह कर्ज बढ़ाने की प्रवृत्ति राजनीतिक कारणों से प्रेरित मानी जा रही है।


विकास और कल्याण में असंतुलन:

आलोचकों का कहना है कि मुफ्त योजनाओं के लिए लिया गया कर्ज दीर्घकालिक विकास के लिए नुकसानदेह ह

सरकार को कर्ज लेने की नीति में पारदर्शिता और संतुलन बनाना चाहिए।

केवल अत्यावश्यक परियोजनाओं के लिए कर्ज लिया जाना चाहिए।

राज्य को कर्ज पर निर्भरता कम करने के लिए अपनी आय बढ़ाने के उपाय करने चाहिए, जैसे उद्योगों को प्रोत्साहित करना और निवेश को आकर्षित करना।


मुफ्त योजनाओं की समीक्षा

मुफ्त योजनाओं की समीक्षा कर यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि वे राज्य की वित्तीय स्थिति को अस्थिर न करें।


नागरिकों को राज्य की वित्तीय स्थिति और उनके कर्जदार बनने के प्रभावों के बारे में जानकारी देना जरूरी है।

मध्य प्रदेश सरकार द्वारा लिया गया कर्ज विकास और आर्थिक गतिविधियों को गति देने का एक माध्यम हो सकता है, लेकिन इसका संतुलित उपयोग जरूरी है। लगातार बढ़ते कर्ज और उसकी शर्तों के साथ सरकार को अपनी वित्तीय प्राथमिकताओं पर ध्यान केंद्रित करना होगा। अन्यथा, यह न केवल वर्तमान बल्कि भविष्य की पीढ़ियों के लिए भी आर्थिक बोझ बन सकता है।

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