छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग भर्ती घोटाला भ्रष्टाचार, सिफारिशों और अवैध नियुक्तियों की बड़ी साज़िश
छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग (CGPSC) में 2019 से 2022 के बीच हुई भर्तियों में गहरी अनियमितताओं और भ्रष्टाचार के आरोपों ने राज्य की राजनीति और प्रशासनिक प्रणाली को झकझोर दिया है। इस घोटाले में आयोग के तत्कालीन अध्यक्ष टामन सिंह सोनवानी और अन्य अधिकारियों पर रिश्वत लेकर अयोग्य उम्मीदवारों की नियुक्ति कराने के आरोप हैं।
इस मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) और आर्थिक अपराध शाखा (EOW) की सक्रियता ने घोटाले के गहरे पहलुओं को उजागर किया है, जिसमें प्रभावशाली नेताओं, उच्चाधिकारियों, और उनके रिश्तेदारों की मिलीभगत का संकेत मिलता पदों की संख्या और विवाद
2020 और 2021 में CGPSC ने क्रमशः 175 और 171 पदों पर नियुक्ति प्रक्रिया शुरू की थी। इनमें डिप्टी कलेक्टर, डीएसपी, और अन्य उच्च प्रशासनिक पद शामिल थे।
आरोप है कि मेरिट सूची के साथ हेरफेर करके प्रभावशाली उम्मीदवारों को चयनित किया गया। प्रश्न पत्र लीक, सिफारिशों का दबाव, और धन के बदले चयन इस घोटाले के मुख्य पहलू है
चयनित उम्मीदवारों में तत्कालीन अध्यक्ष टामन सिंह के रिश्तेदार, राज्यपाल के सचिव के बच्चे, कांग्रेस नेताओं की बेटियां और दामाद, DIG की बेटी, और अन्य अधिकारी शामिल हैं। इन नियुक्तियों को प्रभावित करने में रिश्वत और सिफारिशों की भूमिका सामने आई
CBI ने प्रश्नपत्र छापने वाली प्रिंटिंग प्रेस पर छापेमारी कर सबूत जुटाए। सवालों की जानकारी पहले से ही कुछ उम्मीदवारों को दे दी गई थी
आरोप है कि कांग्रेस नेता के दामाद शशांक गोयल ने चयन प्रक्रिया में बड़े स्तर पर धन दिया, जिससे उन्हें और अन्य प्रभावशाली व्यक्तियों के बच्चों को ला मिला CBI और EOW की छापेमारी
रायपुर, दुर्ग, और बालोद जैसे इलाकों में 18 से अधिक ठिकानों पर छापेमारी की गई।
लैपटॉप, मोबाइल, पेन ड्राइव और बैंक खातों की जांच के साथ डिजिटल सबूत जुटाए गए।
अभ्यर्थियों और अधिकारियों के पांच साल के कॉल रिकॉर्ड और स्थान का विश्लेषण किया जा रहा है।
मुख्य आरोपियों के नाम
टामन सिंह सोनवानी (तत्कालीन अध्यक्ष, CGPSC)
जीवन किशोर ध्रुव (पूर्व सचिव)
अन्य रिश्तेदार और प्रभावशाली नेता।
सीबीआई की फोरेंसिक जांच
CBI की टीम ने संबंधित अभ्यर्थियों के घरों से 300 से अधिक किताबें, नोटबुक, हार्ड डिस्क और अन्य साक्ष्य बराम
राजनीतिक प्रभाव और विवाद
.राज्यपाल और पूर्व मंत्रियों की भूमिका
पूर्व राज्यपाल और वरिष्ठ नेताओं ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए जांच की सिफारिश की। ननकी राम कंवर जैसे पूर्व मंत्रियों ने इसे प्रमुख मुद्दा बनाया।
प्रधानमंत्री मोदी की घोषणा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चुनाव प्रचार में इसे एक बड़ा भ्रष्टाचार मुद्दा बनाते हुए पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने का वादा किया था
इस घोटाले ने कांग्रेस के खिलाफ विपक्ष को एक मजबूत हथियार दिया। भारतीय जनता पार्टी ने इसे भ्रष्टाचार का प्रतीक बताते हुए कहा कि
पारदर्शी भर्ती प्रणाली
इस घोटाले ने CGPSC जैसी संस्थाओं की पारदर्शिता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। विशेषज्ञों ने सिफारिश की है कि भर्ती प्रक्रिया को पूरी तरह से डिजिटल और निगरानी के अधीन किया जाए।
कानूनी कार्रवाई और सजा
दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई और रिश्वत देने वाले उम्मीदवारों की नियुक्ति रद्द करना जरूरी है।
युवाओं के भविष्य की रक्षा
ऐसी घटनाएं योग्य उम्मीदवारों के विश्वास को कमजोर करती हैं। प्रशासनिक सुधार और जिम्मेदार नेतृत्व की आवश्यकता है
छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग भर्ती घोटाला न केवल भ्रष्टाचार का एक गंभीर उदाहरण है, बल्कि यह राज्य के प्रशासनिक तंत्र में सुधार की आवश्यकता को भी रेखांकित करता है। जांच प्रक्रिया की गति और न्यायपूर्ण कार्रवाई पर निर्भर करेगा कि इस घटना से जुड़े सभी दोषियों को सजा मिल सके।
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