महानगरों की जहरीली हवा से सांस लेना हुआ मुश्किल, विशेषज्ञों ने चेताया

महानगरों की जहरीली हवा से सांस लेना हुआ मुश्किल, विशेषज्ञों ने चेताया

दिल्ली, मुंबई, कोलकाता और चेन्नई जैसे भारत के चार प्रमुख महानगरों में वायु प्रदूषण एक गंभीर पर्यावरणीय समस्या बन चुका है। बढ़ता औद्योगिकीकरण, वाहन प्रदूषण, निर्माण कार्यों और अन्य मानवीय गतिविधियों के कारण इन शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) खतरनाक स्तर तक पहुंच रहा है। इन महानगरों में प्रदूषण के बढ़ते स्तर से लोग विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं का सामना कर रहे हैं।

आइए, चारों शहरों की स्थिति का विस्तृत अवलोकन करते हैं और समझते हैं कि वर्तमान में इन शहरों की वायु गुणवत्ता क्या है और इसके पीछे क्या कारण हैं।

1. दिल्ली – गंभीर वायु प्रदूषण और संकट की स्थिति

दिल्ली की वायु गुणवत्ता हाल के वर्षों में अत्यधिक खराब होती जा रही है। मंगलवार, 12 नवंबर को, दिल्ली के कई हिस्सों में AQI 400 से ऊपर पहुंच गया, जो ‘गंभीर’ श्रेणी में आता है। शहर के कई इलाके जैसे आनंद विहार, अशोक विहार, और पंजाबी बाग में AQI 450 से ऊपर रहा, जो कि स्वास्थ्य के लिए बेहद खतरनाक माना जाता है।


वाहन प्रदूषण: दिल्ली में लाखों वाहन हर दिन सड़कों पर चलते हैं। इससे कार्बन मोनोऑक्साइड, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड, और अन्य प्रदूषक तत्वों का उत्सर्जन होता है।

पटाखे और कृषि अपशिष्ट जलाना: दिल्ली के आसपास के राज्यों में पराली जलाने का प्रभाव दिल्ली के वातावरण पर पड़ता है, जिससे हवा में धुएं और हानिकारक कणों का स्तर बढ़ जाता है।

निर्माण और औद्योगिक गतिविधियां: निर्माण कार्यों से उड़ने वाली धूल, और विभिन्न औद्योगिक इकाइयों से निकलने वाले धुएं से वायु प्रदूषण बढ़ता है।



दिल्ली में लोग सांस की बीमारियों, जैसे अस्थमा और ब्रोंकाइटिस से ग्रसित हो रहे हैं। बच्चों और वृद्धों में संक्रमण और स्वास्थ्य समस्याएं तेजी से बढ़ रही हैं।

2. मुंबई – प्रदूषण और स्मॉग की समस्या

मुंबई में भी वायु प्रदूषण बढ़ता जा रहा है। मंगलवार को मुंबई का औसत AQI 147 दर्ज किया गया, जो ‘मध्यम’ से ‘खराब’ की श्रेणी में आता है। इस समय मुंबई के कई इलाकों में स्मॉग की स्थिति है, जिससे शहर की हवा भारी और अस्वच्छ महसूस हो रही है।



वाहन और औद्योगिक प्रदूषण: मुंबई के घनी आबादी वाले इलाकों और बंदरगाह के पास प्रदूषण का स्तर उच्च रहता है।

ठोस अपशिष्ट जलाना: कचरे को जलाने से भी हानिकारक गैसें और धुएं निकलते हैं, जो वातावरण को दूषित करते हैं।

कंस्ट्रक्शन और धूल: मुंबई में बड़े पैमाने पर कंस्ट्रक्शन और मेट्रो प्रोजेक्ट्स चल रहे हैं। इससे उड़ने वाली धूल भी प्रदूषण का मुख्य कारण बन रही है।


मुंबई के निवासियों में अस्थमा, सांस संबंधी एलर्जी, और आंखों में जलन की शिकायतें आम हो गई हैं। मानसून के बाद सर्दियों में यह समस्या और बढ़ जाती है।

3. कोलकाता – लगातार बढ़ता वायु प्रदूषण

कोलकाता की स्थिति भी अन्य महानगरों से कुछ कम नहीं है। यहां के औद्योगिक इलाकों में AQI का स्तर 200 से ऊपर तक पहुंच रहा है, जो ‘खराब’ श्रेणी में आता है। शहर में सर्दियों के मौसम में स्मॉग का स्तर बढ़ जाता है।


पुरानी गाड़ियाँ: कोलकाता में अभी भी कई पुराने वाहन चल रहे हैं, जिनसे निकलने वाले धुएं से वायु प्रदूषण बढ़ रहा है।

बायोमास और कोयला जलाना: कोलकाता के आसपास के इलाकों में लकड़ी और कोयला जलाने की परंपरा भी प्रदूषण का एक बड़ा कारण है।

औद्योगिक इकाइयाँ: हुगली नदी के किनारे बसे कई उद्योग वायु प्रदूषण में अपना योगदान देते हैं। इनसे निकलने वाला धुआं और हानिकारक गैसें वायु गुणवत्ता को और खराब करती हैं।



कोलकाता में बच्चों और वृद्धों में श्वसन संबंधी रोग बढ़ रहे हैं। इसके साथ ही, स्वास्थ्य संबंधी सेवाओं पर दबाव बढ़ रहा है, और लोग अक्सर आंखों में जलन और त्वचा की समस्याओं की शिकायत कर रहे हैं।

4. चेन्नई – प्रदूषण का बढ़ता स्तर

चेन्नई में वायु प्रदूषण की स्थिति अन्य महानगरों से कुछ बेहतर है, लेकिन यहां भी प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ रहा है। मंगलवार को चेन्नई में AQI 100 से 150 के बीच दर्ज किया गया, जो ‘मध्यम’ श्रेणी में आता है।



उद्योगों का उत्सर्जन चेन्नई में कई बड़े औद्योगिक क्षेत्र हैं, जहां से निकलने वाले धुएं और रसायन वायु प्रदूषण का कारण बनते हैं।

परिवहन का दबाव: सड़कों पर भारी यातायात और वाहनों से निकलने वाले धुएं से चेन्नई की हवा भी दूषित हो रही है।

कंस्ट्रक्शन कार्य: मेट्रो और अन्य इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स के चलते हवा में धूल और कण बढ़ जाते हैं।



चेन्नई में अस्थमा, एलर्जी, और अन्य स्वास्थ्य समस्याएं बढ़ रही हैं। लोग विशेषकर सर्दियों के मौसम में सांस लेने में दिक्कत का सामना कर रहे हैं, और बच्चों में सांस की बीमारियां तेजी से फैल रही हैं

कचरा जलाने पर प्रतिबंध कचरा जलाने के बजाय उचित निपटान प्रणाली लागू की जानी चाहिए।




भारत के महानगरों में बढ़ते वायु प्रदूषण से न केवल पर्यावरण को नुकसान पहुंच रहा है, बल्कि लोगों का स्वास्थ्य भी प्रभावित हो रहा है। दिल्ली, मुंबई, कोलकाता और चेन्नई में वायु गुणवत्ता की स्थिति चिंताजनक है ।

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