दंपती ने संजीवन हॉस्पिटल पर लगाया गंभीर आरोप,मेडिकल रिपोर्ट्स में बताया गया था नॉर्मल, पुलिस से शिकायत कर जांच की मांग
जबलपुर। एक दंपती ने गोहलपुर थाने को दी शिकायत में कहा है कि संजीवन हॉस्पिटल के डॉक्टरों ने उनका नवजात बच्चा बदल दिया है। शिकायत में दावा किया गया है कि उन्होंने सामान्य शिशु को जन्म दिया था,लेकिन अस्पताल वालों ने उन्हें असामान्य(अविकसित) बच्चा दे दिया है। हालाकि, अभी ये केवल दंपती का पक्ष ही है। जांच के इससे जुड़े अन्य तथ्य सामने आएंगे।
-दंपती क्यों लगा रहे ये इल्जाम
अधारताल के रहने वाले शरद चौबे व उनकी पत्नि श्वेता चौबे द्वारा की गयी शिकायत में कहा गया है कि वे अस्पताल पर ये इल्जाम इसलिए लगा रहे हैं,क्योंकि पत्नि श्वेता के गर्भवती होने से डिलेवरी के दौरान की सभी सोनोग्राफी एवं अन्य मेडिकल जांचों की रिपोर्ट्स नॉर्मल हैं और उनमें जरा भी शंका जाहिर नहीं की गयी कि बच्चे में आसामान्य होने के कोई लक्षण हैं।
-कपड़े पहनाकर लाए सामने
शिकायत में अहम तथ्य है कि 7 नवम्बर 2024 को संजीवन हॉस्पिटल में श्वेता चौबे के सीजेरियन ऑपरेशन के एक घंटे बाद उन्हें जो बच्चा दिया गया उसे पूरे कपड़े पहनाए गये थे। नवजात को पूरे कपड़े पहनाना ही एक संदेह करने के लिए पर्याप्त है। शिकायत के साथ चौबे परिवार ने वो सारी रिपोर्ट्स और दस्तावेज संलग्न किए हैं,जिससे बच्चा बदलने के शक को बल मिलता है।
-मां ने कहा, ये मेरा बच्चा नहीं है
शरद चौबे ने बताया कि जब अस्पताल प्रबंधन ने उन्हें बच्चा दिया तो उन्होंने ईश्वर की मर्जी समझकर अविकसित बच्चे को भी स्वीकार कर लिया, इस वक्त तक पत्नि श्वेता आईसीयू में थी। जब उसने बच्चा देखा तो उसने कहा कि ये उसका बच्चा नहीं है,क्योंकि उसने जांचों के दौरान बच्चे को स्क्रीन पर देखा है। इसके बाद चौबे परिवार सक्रिय हुआ और अस्पताल प्रबंधन से सवाल-जवाब किए।
-कहां होगा बच्चा, ये चिंता बड़ी
चौबे परिवार को ये चिंता ज्यादा है कि यदि सही वक्त पर पुलिस ने जांच शुरु नहीं की तो उनका असली बच्चा पता नहीं कहां पहुंच जाएगा। हालाकि, परिवार आज एसपी संपत उपाध्याय को अपनी व्यथा-कथा सुनाएगा ताकि जल्दी कार्रवाई शुरु हो सके। परिवार के सामने ये भी बड़ी मुश्किल है कि जो बच्चा उनके पास अभी है, वो किसका है,ये भी पता लगाना जरूरी है।
-डीएनए जांच से स्पष्ट होगा
जानकारों का मानना है कि ऐसे मामले में डीएनए टेस्ट से बहुत आसानी और स्पष्टता के साथ सही और गलत का फैसला हो सकता है। हालाकि, डीएनए टेस्ट कराए जाने तक की प्रक्रिया काफी लंबी है इसलिए उसमें वक्त भी लगेगा। चौबे परिवार की सबसे बड़ी चुनौती है कि मामले की अधिकृत जांच प्रारंभ कराना ताकि अस्पताल प्रबंधन जवाब देने के लिए विवश हो सके।
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