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आउटसोर्सिंग में एजेंसियों का  भ्रष्टाचार चरम पर  एजेंसियों के माध्यम से कर्मचारियों की नियुक्ति में भ्रष्टाचार और घूसखोरी 

आउटसोर्सिंग में एजेंसियों का  भ्रष्टाचार चरम पर  एजेंसियों के माध्यम से कर्मचारियों की नियुक्ति में भ्रष्टाचार और घूसखोरी 

केंद्र सरकार द्वारा हाल ही में गठित एक समिति विभिन्न सरकारी कार्यों में ‘आउटसोर्सिंग’ को कम करने और भर्ती प्रक्रिया में ऑनलाइन परीक्षाओं को बढ़ावा देने पर विचार कर रही है। इस पहल का उद्देश्य सरकारी तंत्र की कार्यप्रणाली में सुधार करना, प्रशासनिक क्षमता को बढ़ाना और संसाधनों का बेहतर उपयोग सुनिश्चित करना है। वर्तमान में, सरकारी विभागों में कई प्रकार के कार्यों और सेवाओं के लिए बाहरी एजेंसियों पर निर्भरता बढ़ रही है। इसके साथ ही, सरकारी परीक्षाओं और भर्तियों में भी पारदर्शिता और दक्षता की आवश्यकता महसूस की जा रही है, जिसके चलते ऑनलाइन परीक्षाओं के विकल्प पर जोर दिया जा रहा है।

आउटसोर्सिंग को कम करने की आवश्यकता

आउटसोर्सिंग का मतलब है कि किसी कार्य को पूरा करने के लिए बाहरी एजेंसियों या निजी कंपनियों की सेवाएं लेना। पिछले कुछ दशकों में सरकारी विभागों में विभिन्न कार्यों के लिए आउटसोर्सिंग का चलन बढ़ा है। इस प्रणाली के तहत क्लर्क, डेटा एंट्री ऑपरेटर, तकनीकी विशेषज्ञ और अन्य कर्मचारियों को अनुबंध के आधार पर नियुक्त किया जाता है। इससे कर्मचारियों की स्थायी नियुक्तियों में कमी आई है, लेकिन इसके कुछ नकारात्मक पहलू भी सामने आए हैं:
गुणवत्ता में कमी बाहरी एजेंसियों से प्राप्त कर्मचारियों की योग्यता और कार्य में पारंगतता पर पूर्ण नियंत्रण नहीं होता। इससे कार्य की गुणवत्ता में गिरावट हो सकती है।


संवेदनशीलता का अभाव आउटसोर्स कर्मचारियों में सरकारी कार्यों के प्रति संवेदनशीलता की कमी देखी जा सकती है, जिससे गोपनीयता और कार्य के प्रति समर्पण में कमी हो सकती है।


आउटसोर्सिं  अनुबंधों के नवीनीकरण और एजेंसी शुल्क में बढ़ोतरी से सरकार के वित्तीय संसाधनों पर दबाव बढ़ता है।  स्थिरता का अभाव स्थायी कर्मचारियों की तुलना में आउटसोर्स कर्मचारी किसी विशेष विभाग में अधिक समय तक नहीं टिकते। इससे कार्य में स्थिरता की कमी आती है, जिससे दीर्घकालिक लक्ष्यों की प्राप्ति में कठिनाई होती है।



इन कारणों से, सरकार चाहती है कि स्थायी कर्मचारियों की संख्या में वृद्धि कर आउटसोर्सिंग पर निर्भरता को कम किया जाए। इससे प्रशासनिक स्थिरता बनेगी और सरकारी सेवाओं में गुणवत्ता सुधार होगा।

ऑनलाइन परीक्षा कराने की दिशा में प्रयास

भर्तियों में पारदर्शिता, गति और सटीकता लाने के उद्देश्य से ऑनलाइन परीक्षा प्रणाली पर विचार किया जा रहा है। इससे कई तरह के लाभ होंगे।
पारदर्शिता और निष्पक्षता ऑनलाइन परीक्षाएं आयोजित करने से पेपर लीक और अनुचित साधनों का उपयोग करने की घटनाएं कम होंगी। इससे उम्मीदवारों को एक समान अवसर प्राप्त होगा और चयन प्रक्रिया निष्पक्ष बनेगी।



समय की बचत परंपरागत परीक्षा प्रणाली की तुलना में ऑनलाइन परीक्षाएं तेजी से आयोजित की जा सकती हैं। इसके परिणामस्वरूप, चयन प्रक्रिया में देरी नहीं होगी और विभागों को जल्दी से योग्य उम्मीदवार मिल सकेंगे।

लागत में कमी ऑनलाइन परीक्षाएं आयोजित करने में परंपरागत परीक्षा प्रणाली की तुलना में कम संसाधनों और लागत की आवश्यकता होती है। इससे सरकार को वित्तीय लाभ होगा और उम्मीदवारों का भी समय और धन बच सकेगा।

डिजिटल पारदर्शिता ऑनलाइन प्रणाली के माध्यम से परीक्षा के प्रत्येक चरण को रिकॉर्ड किया जा सकता है, जिससे भ्रष्टाचार या गड़बड़ी की संभावनाएं कम होंगी। इसके अलावा, उम्मीदवारों की उत्तर पुस्तिकाओं की जांच और परिणाम घोषित करने में भी पारदर्शिता बढ़ेगी।


प्रवेश परीक्षा केंद्रों की कमी को दूर करना भारत में हर राज्य और क्षेत्र में सरकारी नौकरी के लिए आवेदन करने वालों की संख्या में भारी वृद्धि हो रही है। ऑनलाइन परीक्षाओं के जरिए परीक्षा केंद्रों का विस्तार किया जा सकता है, जिससे दूरस्थ क्षेत्रों के उम्मीदवारों को भी आसानी से परीक्षा में शामिल होने का अवसर मिलेगा।

समिति द्वारा आउटसोर्सिंग को कम करने और ऑनलाइन परीक्षाओं को अपनाने से कई महत्वपूर्ण लाभ होंगे।

सरकारी तंत्र में स्थिरता और कौशल वृद्धि आउटसोर्सिंग पर निर्भरता कम होने से सरकारी तंत्र में स्थायी और कुशल कर्मचारियों की संख्या बढ़ेगी। इससे कर्मचारियों के लिए दीर्घकालिक कैरियर का मार्ग प्रशस्त होगा और वे अपने कार्य में अधिक निपुणता हासिल कर सकेंगे।


संसाधनों का बेहतर उपयोग सरकारी विभागों में आउटसोर्स कर्मचारियों के स्थान पर स्थायी कर्मचारियों की नियुक्ति से संसाधनों का बेहतर उपयोग होगा। इससे सरकार के खर्च में कमी आएगी और कार्य के प्रति समर्पण भी बढ़ेगा।


भ्रष्टाचार में कमी  लेकिन यदि सरकारी कार्यों में स्थायी कर्मचारियों की संख्या बढ़ेगी, तो ऐसी घटनाओं में कमी आएगी।


युवाओं के लिए रोजगार के अवसर सरकारी सेवाओं में स्थायी नौकरियों की वृद्धि से युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर खुलेंगे। इसके अलावा, इससे सरकारी सेवा का आकर्षण बढ़ेगा और अधिक योग्य उम्मीदवार सरकारी क्षेत्र में अपना भविष्य देखेंगे।


सटीक और शीघ्र भर्ती प्रक्रिया ऑनलाइन परीक्षा प्रणाली के माध्यम से सरकारी विभागों में तेजी से और सटीक भर्ती संभव होगी। ऑनलाइन परीक्षाओं के कारण पेपर सेटिंग, वितरण, और जांच की प्रक्रिया में जो समय लगता है, वह कम होगा। साथ ही, चयनित उम्मीदवारों का रिजल्ट जल्दी आने से भर्ती प्रक्रिया शीघ्र पूर्ण होगी।  उम्मीदवारों का समय और धन बचाना परंपरागत परीक्षाओं के लिए उम्मीदवारों को लंबी दूरी तय करनी पड़ती है और इसके लिए उन्हें यात्रा व अन्य खर्च करने पड़ते हैं। लेकिन ऑनलाइन परीक्षाएं विभिन्न स्थानों पर परीक्षा केंद्र स्थापित करके आयोजित की जा सकती हैं, जिससे उम्मीदवारों का समय और धन बचेगा।


तकनीकी दक्षता में वृद्धि ऑनलाइन परीक्षाओं का आयोजन सरकार को डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म पर काम करने के लिए प्रेरित करेगा। इससे सरकारी विभागों में तकनीकी दक्षता में वृद्धि होगी और वे डिजिटल इंडिया के लक्ष्य को पूरा करने में सहायक होंगे।

आउटसोर्सिंग को कम करने और ऑनलाइन परीक्षा प्रणाली को अपनाने का निर्णय केंद्र सरकार के एक महत्वपूर्ण सुधारात्मक कदम के रूप में देखा जा सकता है। यह निर्णय सरकारी कार्यप्रणाली में पारदर्शिता, सक्षमता और स्थायित्व लाने की दिशा में सहायक सिद्ध होगा। जहां एक ओर आउटसोर्सिंग को सीमित करके स्थायी नौकरियों का सृजन किया जाएगा, वहीं दूसरी ओर ऑनलाइन परीक्षाएं भ्रष्टाचार मुक्त और सटीक भर्ती प्रक्रिया सुनिश्चित करेंगी।

समिति का यह कदम समाज में युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर पैदा करने के साथ-साथ सरकारी तंत्र को भी सक्षम बनाएगा। इसके साथ ही, तकनीकी रूप से भी सरकारी तंत्र में बदलाव आएगा और यह डिजिटल युग में एक सशक्त, पारदर्शी और कुशल प्रणाली की स्थापना करेगा।

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