100 बिस्तर अस्पताल की शर्त से राहत प्राप्त कॉलेज कर सकेंगे आवेदन
जबलपुर। नर्सिंग फर्जीवाड़े मामले में आज लॉ स्टूडेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष विशाल बघेल की जनहित याचिका के साथ सभी अन्य नर्सिंग मामलों की सुनवाई मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय की प्रिंसिपल बेंच में जस्टिस संजय द्विवेदी एवं जस्टिस अचल कुमार पालीवाल की विशेष पीठ के समक्ष हुई।
-ये अस्पताल कर सकेंगे आवेदन
बी एम नर्सिंग कॉलेज ने याचिका पेश कर बताया कि कॉलेज का संचालन 2011 से किया जा रहा है वर्तमान में सत्र 2024-25 के मान्यता पोर्टल में एमपी नर्सिंग काउंसिल द्वारा आवेदन भरने नहीं दिया जा रहा है ग़ौरतलब है कि हाईकोर्ट ने 2013 वर्ष के पूर्व से संचालित कॉलेज जिनके स्वयं के 100 बिस्तरीय अस्पताल न होने के कारण मान्यता आवेदन नहीं भर पा रहे थे उन्हें हाईकोर्ट ने राहत देते हुए इस सत्र में पूर्व सत्र की भाँति मान्यता प्रक्रिया में शामिल करने के निर्देश दिये थे, मामले में नर्सिंग काउंसिल की ओर से कोर्ट में कहा गया कि मान्यता का पोर्टल हाईकोर्ट के आदेशानुसार 3 दिवस हेतु खोला जा रहा है, जो कि 19 नवम्बर से 21 नवम्बर के स्थान पर 22 नवम्बर तक खोला जावेगा, जिसमें याचिकाकर्ता भी अपना आवेदन कर सकते है, इस आधार पर हाईकोर्ट द्वारा बी एम नर्सिंग कॉलेज की याचिका का निराकरण कर दिया गया । सत्र 2022-23 की सीटों को लेकर खीचतान जारी – 21 को फिर सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट से सीबीआई जाँच से स्टे प्राप्त कॉलेजों का मामला
ग्वालियर के अनेकों नर्सिंग कॉलेजों ने याचिका पेश कर माँग की है कि नर्सिंग काउंसिल द्वारा उन्हें देने सत्र 2022-23 की मान्यता से इंकार कर दिया गया था और उनके द्वारा जो बढ़ी हुई सीटें मांगी गयी थी वो आवेदन काउंसिल ने निरस्त किया था , काउंसिल के आदेश को डायरेक्टर मेडिकल एजुकेशन के समक्ष चुनौती दी गई तो डायरेक्टर मेडिकल एजुकेशन ने कॉलेजों का अभ्यावेदन स्वीकार करते हुए उन्हें 2022-23 की मान्यता और बढ़ी हुई सीटों उनकी मान्यता देने के आदेश दिए लेकिन रजिस्टार नर्सिंग काउंसिल द्वारा इस आदेश का पालन नहीं किया गया जिस कारण उनके छात्रों का नामांकन नहीं हो पा रहा है , वहीं सरकार और काउंसिल की ओर से महाधिवक्ता द्वारा पक्ष रखा गया कि सत्र 2022-23 की आईएनसी द्वारा छात्रों के प्रवेश हेतु घोषित की गई कट ऑफ तिथि निकलने के बाद प्रवेश नहीं दिए जा सकते हैं , नर्सिंग कॉलेजों द्वारा सत्र गुजर जाने के बाद हाईकोर्ट की शरण ली गई है वहीं दूसरी ओर बगैर मान्यता प्राप्त किए छात्रों को अवैध रूप से प्रवेश दिया गया है तथा ग्वालियर के 56 कॉलेजों का मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है जहाँ से उन्हें सीबीआइ जांच के विरुद्ध स्थगन प्राप्त है, इसलिए इन कॉलेजों को किसी भी राहत के लिए सुप्रीम कोर्ट में आवेदन पेश करना चाहिए । दोनों पक्षों के 2 घंटे तर्क सुनने के बाद हाईकोर्ट ने 21 नवंबर को फिर सुनवाई करने के आदेश दिए हैं ।
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Kailash Pandey
Anuppur (M.P.)
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