दूरस्थ आदिवासी बाहुल्य ग्राम बडहर में मिष्ठान और वस्त्र वितरण का आयोजन, पुलिस और समाजसेवी संस्था के संयुक्त प्रयास से सम्पन्न हुआ दीपावली पर्व पर जरूरतमंदों के चेहरे पर मुस्कान लाने का अनूठा प्रयास था । पुलिस उपमहानिरीक्षक (DIG) शहडोल रेंज, सुश्री सविता सुहाने के आदेशानुसार समाजसेवी संस्था उषांकर चैरिटेबल एंड एजुकेशनल ट्रस्ट, और पुलिस अधीक्षक अनूपपुर श्री मोती उर रहमान जी के निर्देशन में, थाना कोतवाली अनूपपुर के पुलिस स्टाफ द्वारा आयोजन किया गया।
जब दीपावली का पर्व आता है, तो शहरों और विकसित क्षेत्रों में उत्सव की रौनक होती है। लोग घरों को सजाते हैं, मिठाई बांटते हैं, और नए वस्त्र पहनते हैं। लेकिन समाज का एक बड़ा हिस्सा ऐसा भी है जो इन बुनियादी खुशियों से वंचित रह जाता है, खासकर दूरस्थ आदिवासी और पिछड़े क्षेत्रों में रहने वाले लोग। उनके पास पर्व मनाने के लिए आवश्यक साधन नहीं होते, जिसके कारण वे इस खुशी से वंचित रह जाते हैं। समाज में समानता और सहयोग का संदेश देने के उद्देश्य से इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया ताकि दीपावली पर्व की खुशियों का लाभ उन तक भी पहुंचे जो जरूरतमंद हैं।
उषांकर चैरिटेबल एंड एजुकेशनल ट्रस्ट, शहडोल के शाखा के सदस्यों ने पुलिस के सहयोग से इस कार्यक्रम का आयोजन किया। अमरकंटक रोड पर स्थित ग्राम बडझर, जो आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र है और प्राकृतिक रूप से कठिन पहाड़ियों में बसा है, वहाँ तक पहुंचकर समाजसेवी संस्था और पुलिस ने दीपावली में खुशियों की सौगात दी । कार्यक्रम में लगभग 50 जरूरतमंद बच्चों, महिलाओं और बुजुर्गों को मिठाई और नए वस्त्र वितरित किए गए। इस अवसर पर समाजसेवी संस्था के सक्रिय सदस्य पवन कुमार मिश्रा, अरुण तिवारी, दिलीप साकेत, नागेंद्र शर्मा और धनराज सिंह, जो सभी शहडोल निवासी ने अपनी सहभागिता निभाई।
पुलिस अधीक्षक अनूपपुर श्री मोती उर रहमान निर्देशन में टी.आई. कोतवाली अरविंद जैन, सहायक उप निरीक्षक सुखी नंदन यादव, आरक्षक प्रकाश तिवारी और आरक्षक प्रवीण भगत ने अपने विभागीय दायित्वों के साथ-साथ समाज सेवा में भी योगदान दिया। आदिवासी बाहुल्य क्षेत्रों में पहुँचकर इन सदस्यों ने कार्यक्रम सम्मानपूर्वक पूरा किया।
हर घर दीपावली कार्यक्रम का महत्व
इस कार्यक्रम का नाम “हर घर दीपावली” रखा गया है, जो स्वयं ही इसके उद्देश्य को प्रकट करता है। इस आयोजन के माध्यम से समाज के उस वर्ग को, जो पर्व की खुशियों से वंचित है, उसमें आत्मनिर्भरता, आशा और समाज के प्रति सकारात्मक भावना उत्पन्न करना था। इस कार्यक्रम के अंतर्गत लोगों को यह समझाया गया कि पुलिस और समाजसेवी संस्थाएँ केवल कानून व्यवस्था के लिए ही नहीं हैं, बल्कि समाज की सेवा और सहयोग में भी उनकी भागीदारी है। पुलिस द्वारा इस तरह के सामाजिक कार्यों में सहभागिता से उनकी छवि भी समाज में सकारात्मक रूप से उभरती है और समाज में विश्वास का वातावरण बनता है।
कार्यक्रम में ग्रामीणों के बीच मिष्ठान और नवीन वस्त्रों का वितरण किया गया। दीपावली के अवसर पर वस्त्रों का वितरण उन जरूरतमंदों के लिए विशेष उपहार था जिनके पास नए वस्त्र पहनने के साधन नहीं होते। मिष्ठान वितरण से बच्चों में उत्साह और खुशी का माहौल था। बुजुर्गों और महिलाओं के चेहरे पर प्रसन्नता का भाव देखने लायक था।
आयोजन के माध्यम से पुलिस और उषांकर चैरिटेबल एंड एजुकेशनल ट्रस्ट द्वारा संदेश देने की कोशिश की गई समाजसेवा केवल दान या सहायता का नाम नहीं है, बल्कि समाज में सभी वर्गों को समानता के साथ जोड़ने का एक माध्यम है। ऐसे कार्यक्रम समाज में सहयोग की भावना को बढ़ावा देते हैं और जरूरतमंदों के प्रति समाज की जिम्मेदारी का बोध कराते हैं।
समाज में व्याप्त असमानता को कम करने के उद्देश्य से आयोजित इस प्रकार के कार्यक्रम गरीब वर्ग के लिए तो लाभकारी होते ही हैं, साथ ही समाज के अन्य वर्गों के लोगों में भी जरूरतमंदों की सेवा की भावना जागृत करते हैं। पुलिस और समाजसेवी संस्थाओं की साझेदारी से समाज में सामुदायिक सहयोग की भावना पैदा होती है, और जरूरतमंदों तक मदद पहुँचाने के विभिन्न रास्ते खुलते हैं।
पुलिस द्वारा सामाजिक कार्यों में सहभागिता का यह प्रयास अत्यंत सराहनीय है। आमतौर पर पुलिस का कार्य अपराध नियंत्रण और कानून व्यवस्था बनाए रखना होता है, लेकिन जब पुलिस सामाजिक जिम्मेदारियों में भागीदार बनती है, तो समाज में पुलिस के प्रति सम्मान और विश्वास की भावना का संचार होता है। इस आयोजन में पुलिस के द्वारा की गई पहल समाज के प्रति उनकी जिम्मेदारी को बयां करती है। आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र में पहुंचकर पुलिस ने यह निर्धारित किया पर्व की खुशियाँ सभी तक पहुंचें।
इस कार्यक्रम का मुख्य संदेश समाज के प्रत्येक व्यक्ति तक पर्व की खुशियाँ पहुँचाना था, चाहे वह कितनी भी दूरस्थ या पिछड़ी बस्ती में क्यों न हो। साथ ही, यह संदेश भी था कि पुलिस और समाजसेवी संस्थाएँ समाज के हर वर्ग के कल्याण के लिए कार्यरत हैं। पर्वों का उद्देश्य केवल उत्सव नहीं है, बल्कि यह समाज में सभी को साथ लेकर चलने का संदेश भी देता है।
पुलिस उपमहानिरीक्षक शहडोल रेंज, सुश्री सविता सुहाने का सहयोग कार्यक्रम के सफल आयोजन के लिए प्रमुख था। उषांकर चैरिटेबल एंड एजुकेशनल ट्रस्ट और पुलिस की यह पहल एक आदर्श स्थापित करती है, कि जब सरकारी और गैर-सरकारी संगठन मिलकर कार्य करते हैं, तो समाज में सकारात्मक बदलाव की संभावना बढ़ जाती है
पुलिस और समाजसेवी संस्था के इस संयुक्त प्रयास से आदिवासी बाहुल्य ग्राम बडझर के जरूरतमंदों तक दीपावली पर्व की खुशियाँ साझा की गईं। कार्यक्रम ने यह सिद्ध कर दिया कि सामाजिक एकजुटता और सहयोग से समाज में हर व्यक्ति को खुशियों में शामिल किया जा सकता है। आदिवासी बाहुल्य क्षेत्रों में इस तरह के प्रयास समाज में एकता, समानता और सेवा की भावना को सुदृढ़ करते हैं। समाज में खुशियों को बांटने का दायित्व केवल संपन्न वर्ग का नहीं, बल्कि सभी का है। जब पुलिस और समाजसेवी संस्थाएँ इस जिम्मेदारी को समझती हैं और मिलकर काम करती हैं, तो समाज में एक सशक्त और सकारात्मक संदेश जाना लाजमी है।
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