-इंजीनियरिंग छात्र पर लगा है अधिवक्ता की उंगली चबाने का आरोप
जबलपुर। हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति मनिंदर सिंह भट्टी की एकलपीठ ने दांत को हथियार की श्रेणी में न पाते हुए आरोपित इंजीनियरिंग छात्र काे अग्रिम जमानत का लाभ दे दिया। पुलिस ने जमीन के विवाद के दौरान दांत से एक अधिवक्ता की उंगली चबाने का अपराध पंजीबद्ध किया है। इसी प्रकरण में गिरफ्तारी से बचने इंजीयिरिंग छात्र हाई कोर्ट की शरण में आया था।
आवेदक उत्सव राय की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मनीष दत्त ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि आवेदक इंदौर से इंजीनियिरंग की पढ़ाई कर रहा है। कटनी प्रवास के दौरान रंगनाथ पुलिस चौकी पुलिस ने उसके विरुद्ध एक अधिवक्ता की उंगली चबाने के आरोप में आइपीसी की धारा-326 का अपराध पंजीबद्ध कर लिया है। यह धारा किसी घातक हथियार से हमला करने के जुर्म में लगाई जाती है। चूंकि किसी मनुष्य के दांत घातक हथियार की परिधि में नहीं आते, अत: गैर जमानती धारा-326 लगाना अनुचित है। इस प्रकृति के प्रकरण में अधिक से अधिक धारा-325 लगाई जा सकती है, जो कि जमानती है। चूंकि पुलिस धारा-326 अंतर्गत गिरफ्तार करना चाहती है, अत: अग्रिम जमानत अपेक्षित है।
-क्या था मामला
अग्रिम जमानत अर्जी के विरोध में शासकीय अधिवक्ता की ओर से दलील दी गई कि 10 जून, 2024 को कटनी जिला अंतर्गत रंगनाथ पुलिस चौकी के समीप एक भूखंड पर कब्जे को लेकर दो पक्षों के बीच विवाद हो गया था। इस दौरान दोनों पक्ष हाथापाई करने लगे। शिकायतकर्ता अधिवक्ता ने उत्सव का मुंह पीछे से पकड़ लिया था। अन्य लोग भी उसे पकड़ कर पीट रहे थे। इसी दौरान आवेदक ने अधिवक्ता की उंगली न केवल काट ली बल्कि चबाकर निगल तक ली। ऐसे वीभत्स प्रकरण में अग्रिम जमानत नहीं दी जानी चाहिए। इसके विरोध में आवेदक की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मनीष दत्त ने दलील दी कि मौके पर जो कठिन परिस्थति बनी थी, उसमें आवेदक ने स्वयं को बचाने के लिए कोई दूसरा उपाय न सूझने पर दांतों से अधिवक्ता की उंगली चबा ली थी। घटना के उपरांत घायल अधिवक्ता को अस्पताल ले जाया गया था, जबकि उत्सव को पुलिस ने पकड़ लिया था। साथ ही उसके विरुद्ध अनुचित धारा में अपराध भी कायम कर लिया। वास्तव में उत्सव कोई अपराधी नहीं है। उसने दांत से काटा था और दांत हथियार की श्रेणी में नहीं आते। लेकिन जो धारा लगाई गई वह धारदार हथियार से हमले की सूरत में ही लगाई जा सकती है। यदि दांत से काटने के आधार पर निर्धारित धारा लगाई जाती तो उत्सव को थाने से ही जमानत मिल जाती, उसे कोर्ट न आना पड़ता। चूंकि उत्सव ने किसी अपराधी की भांति अधिवक्ता पर हमला नहीं किया बल्कि अपने बचाव में दांत से काटा अत: अग्रिम जमानत का आधार मौजूद है। हाई कोर्ट ने यह तर्क स्वीकार कर राहत दे दी।
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