जबलपुर। पूर्व मुख्यमंत्री व वर्तमान केन्द्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान, खजुराहो सांसद वीडी शर्मा और पूर्व मंत्री एवं वर्तमान विधायक भूपेंद्र सिंह के खिलाफ विशेष अदालत (एमपी-एमएलए) में मानहानि की ट्रायल जारी रहेगी। मप्र हाईकोर्ट ने उक्त तीनों नेताओं द्वारा मानहानि प्रकरण को चुनौती देते हुए उसे निरस्त करने की मांग की थी। जस्टिस संजय द्विवेदी की एकलपीठ ने उस मांग को अस्वीकार करते हुए तीनों की याचिका निरस्त कर दी। इस मामले में 21 सितंबर को सुनवाई पूरी होने के बाद हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था, जो शुक्रवार को बाहर आया।
दरअसल, राज्यसभा सदस्य व वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक तन्खा ने विशेष कोर्ट ने उक्त तीनों नेताओं के खिलाफ आपराधिक अवमानना व 10 करोड़ रुपये की मानहानि का प्रकरण दायर किया है। श्री तन्खा ने आरोप लगाया िक उक्त भाजपा नेताओं ने उनके खिलाफ प्रिंट और दृश्य मीडिया में अपमानजनक टिप्पणी करके और सुप्रीम कोर्ट और उच्च न्यायालय के समक्ष हुई कार्यवाही का दुष्प्रचार करके आईपीसी की धारा 499 और 500 के तहत दंडनीय अपराध किया है।
श्री तन्खा की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल व अधिवक्ता हरजस छाबड़ा ने पैरवी की, वहीं शिवराज व अन्य की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सुरेन्द्र सिंह ने पक्ष रखा। गौरतलब है िक वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक तन्खा ने मध्य प्रदेश में पंचायत और निकाय चुनाव मामले में परिसीमन और रोटेशन की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में पैरवी की थी। सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव में ओबीसी आरक्षण पर रोक लगा दी तो उक्त भाजपा नेताओं ने साजिश करते हुए इसे गलत ढंग से पेश किया। सीएम शिवराज सिंह, वीडी शर्मा और भूपेंद्र सिंह ने गलत बयान देकर ओबीसी आरक्षण पर रोक का ठीकरा उनके सिर फोड़ दिया। जिससे उनकी छवि व अदालत की गरिमा को ठेस पहुंची है।
उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा नेताओं ने उनके खिलाफ गलत और अपमानजनक टिप्पणियां की थीं, जो एक अधिवक्ता के रूप में उनकी प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाने वाली थीं। तन्खा का कहना है कि यह मानहानि का मामला उन्होंने एक नेता के रूप में नहीं, बल्कि एक अधिवक्ता के रूप में दायर किया है और उन्होंने कोर्ट से आग्रह किया कि इस मामले में नजीर पेश की जाए। निचली अदालत से तीनों नेताओं को समन और वारंट जारी हुए थे और उन्हें हाजिर होने कहा गया था। इसी से क्षुब्ध होकर शिवराज सिंह व अन्य ने हाईकोर्ट की शरण ली थी। हाईकोर्ट ने पूर्व में उक्त नेताओं के खिलाफ वारंट पर रोक लगा दी थी।
भाजपा नेताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सुरेन्द्र सिंह ने दलील दी िक उनके बयानों को तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया है। उनका मकसद किसी की मानहानि का नहीं था।
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