मुख्य सचिव (CS) अनुराग जैन ने हाल ही में मध्य प्रदेश में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार या अकुशलताओं को रोकने के लिए कड़े कदम उठाने की पहल की है। उच्च स्तर के भ्रष्ट अधिकारियों और सिस्टम की खामियों पर नजर रखते हुए वे कार्रवाई की योजना बना रहे हैं।

अनुराग जैन का फोकस यह सुनिश्चित करना है कि उनके आदेशों में अक्सर विभिन्न विभागों में व्याप्त भ्रष्टाचार, बेवजह देरी, और विकास कार्यों में बाधाओं को दूर करने का उल्लेख होता है। अनुराग जैन यह मानते हैं कि मध्य प्रदेश के विकास के लिए आवश्यक है कि प्रमुख जिम्मेदारियों पर बैठे अधिकारी सही दिशा में काम करें और राज्य की योजनाओं में बेवजह की लापरवाही या भ्रष्टाचार न होने पाएं।
उनके नेतृत्व में कई जांच और कार्रवाईयां शुरू की गई हैं, जो राज्य में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने की दिशा में आगे बढ़ रही हैं।

मध्य प्रदेश में शासकीय सेवा में कार्यरत लोगों के बीच संपत्ति का भ्रष्टाचार एक गंभीर समस्या बनी हुई है। अक्सर यह देखा गया है कि कुछ सरकारी अधिकारी अपनी आय के स्रोतों से अधिक संपत्ति एकत्र कर लेते हैं। इसमें रिश्वत, अनियमितता, घूस, बेनामी संपत्ति, और काले धन को सफेद करने के उपाय शामिल होते हैं। भ्रष्टाचार में लिप्त कई अधिकारी अपनी संपत्ति का ब्यौरा सार्वजनिक नहीं करते या आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के आरोपों से बचने के लिए गलत जानकारी प्रस्तुत करते हैं।
किस प्रकार का भ्रष्टाचार होता है?
रिश्वत और कमीशन ठेकेदारों से निर्माण कार्यों में कमीशन लेना, योजनाओं और प्रोजेक्ट्स को स्वीकृति देने के एवज में रिश्वत लेना आम है।
बेनामी संपत्ति कई अधिकारी अपनी संपत्ति को परिवार के सदस्यों के नाम पर खरीदते हैं ताकि उन्हें कानूनी पचड़े से बचाया जा सके।
घूसखोरी जनता से जुड़े काम, जैसे जमीन से संबंधित कार्य, लोन अप्रूवल, और नौकरी नियुक्ति में घूसखोरी शामिल है।
पद के दुरुपयोग से संपत्ति अर्जित करना अपनी पोजीशन का गलत फायदा उठाते हुए वे सरकारी योजनाओं से निजी लाभ उठाते हैं।
प्रभावशाली पद कुछ अधिकारी इतने ऊंचे पद पर होते हैं कि वे कार्रवाई से बचने के लिए राजनीतिक या प्रशासनिक समर्थन का लाभ लेते हैं।
कानूनी कमियां भ्रष्टाचार निरोधक कानूनों में कई ऐसी कमियां हैं जो दोषी अधिकारियों को कार्रवाई से बचा लेती हैं।
भ्रष्टाचार के प्रति धीमी जांच प्रक्रिया जांच एजेंसियों द्वारा केस की जांच करने में अधिक समय लगता है, जिससे भ्रष्ट अधिकारी जांच का सामना करने से बच निकलते हैं।
राजनीतिक संरक्षण अक्सर भ्रष्ट अधिकारियों को राजनीतिक संरक्षण प्राप्त होता है, जिससे उन पर कार्रवाई करने में कठिनाई होती है।


संपत्ति का ब्यौरा सार्वजनिक क्यों नहीं किया जाता?
गोपनीयता का हवाला कई अधिकारी अपनी संपत्ति का ब्यौरा गोपनीय रखने का दावा करते हैं, जिससे जनता तक जानकारी नहीं पहुंच पाती।
प्रभावशाली संरक्षण वरिष्ठ अधिकारी या प्रभावशाली पदों पर बैठे लोगों का संपत्ति विवरण आसानी से छुपा दिया जाता है।
प्रभावशाली विभागों की मिलीभगत संपत्ति ब्यौरा पेश करने के लिए जिन विभागों पर निर्भर किया जाता है, उनमें भी भ्रष्टाचार होने के कारण अधिकारी अपने दस्तावेज प्रस्तुत करने से बच निकलते हैं।
समय-समय पर खुलासे न होना अधिकारियों से संपत्ति के विवरण का वार्षिक अपडेट लेने की प्रक्रिया धीमी होने के कारण वे अपनी संपत्ति में वृद्धि की जानकारी छुपा लेते हैं।

संपत्ति सार्वजनिक करने की अनिवार्यता हर अधिकारी को अपनी संपत्ति का वार्षिक ब्यौरा वेबसाइट पर सार्वजनिक करने का निर्देश होना चाहिए।
संपत्ति की जांच और अद्यतन जानकारी नियमित रूप से जांची जानी चाहिए ताकि भ्रष्टाचार रोका जा सके।
सख्त कानूनी कार्रवाईआय से अधिक संपत्ति पाए जाने पर सख्त कानूनी कार्रवाई का प्रावधान हो और ऐसे अधिकारियों को सेवा से पृथक किया जाए।
एक सार्वजनिक प्लेटफार्म होना चाहिए, जहां जनता शिकायत दर्ज कर सके और अधिकारियों के संपत्ति ब्यौरे की जांच कर सके।








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