इन खनिजों की उच्च मांग और सरकारी नियमों की अनदेखी के कारण अवैध खनन से जुड़ा माफिया हर साल करोड़ों रुपये कमा रहा है। इस अवैध खनन में स्थानीय ठेकेदार, राजनेता, प्रशासनिक अधिकारी, और कुछ आपराधिक गिरोह शामिल होते हैं, जो इस पूरे नेटवर्क को संचालित करते हैं।
अवैध खनन से माफिया की कमाई
अनूपपुर जिला, जो खनिज संपदा से समृद्ध है, यहां कई प्रकार के खनिज जैसे कि रेत, पत्थर, कोयला, बॉक्साइट, और ग्रेनाइट का खनन किया जाता है। अवैध खनन के कारण इन खनिजों से माफिया भारी मुनाफा कमाता है। अनुमानित तौर पर:
रेत और पत्थर: नर्मदा और अन्य नदियों के किनारे से अवैध रूप से रेत और पत्थर का खनन होता है, जिसका उपयोग भवन निर्माण और अन्य इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स में किया जाता है। माफिया इस अवैध खनन से हर साल 10-20 करोड़ रुपये तक की कमाई कर रहे हैं ।
कोयला: अनूपपुर जिले के आसपास कई कोयला खदानें स्थित हैं, जहां से अवैध रूप से कोयला निकाला जाता है। कोयले की मांग ऊर्जा उत्पादन और अन्य औद्योगिक प्रक्रियाओं में काफी ज्यादा होती है। अवैध कोयला खनन से माफिया 50-100 करोड़ रुपये तक काले हीरे की कालाबाजारी हो रही है।
बॉक्साइट और ग्रेनाइट: बॉक्साइट और ग्रेनाइट भी अनूपपुर जिले में पाए जाने वाले प्रमुख खनिज हैं। बॉक्साइट का उपयोग एल्यूमिनियम उत्पादन में होता है, जबकि ग्रेनाइट भवन निर्माण में उपयोग किया जाता है। एक अनुमान है इन खनिजों के अवैध खनन से माफिया 10-30 करोड़ रुपये तक कमा रहे है।
अवैध खनन में कौन शामिल है?
स्थानीय ठेकेदार: अवैध खनन में सबसे ज्यादा शामिल स्थानीय ठेकेदार होते हैं। ये ठेकेदार सरकारी अनुमति के बिना या लाइसेंस की सीमा से बाहर जाकर खनिजों का अति दोहन करते हैं। उन्हें स्थानीय नेताओं और अधिकारियों का समर्थन प्राप्त होता है, जिससे वे बिना किसी बाधा के अपनी गतिविधियों को अंजाम देते हैं।
राजनेता: अवैध खनन में स्थानीय और क्षेत्रीय स्तर के कई राजनेता शामिल होते हैं। ये राजनेता या तो सीधे खनन माफिया का हिस्सा होते हैं या फिर उन्हें संरक्षण प्रदान करते हैं। बदले में माफिया उन्हें वित्तीय सहायता या अन्य प्रकार के लाभ प्रदान करता है।
प्रशासनिक अधिकारी: खनिज विभाग और पुलिस जैसे प्रशासनिक तंत्र में भी कई अधिकारियो पर इस अवैध धंधे में लिप्त होने के आरोप लगते रहते हैं। अवैध खनन के खिलाफ कार्रवाई करने की बजाय, ये अधिकारी माफिया से रिश्वत लेते हैं और उनके अवैध कार्यों को अनदेखा करते हैं।
आपराधिक गिरोह: अवैध खनन में आपराधिक गिरोह भी शामिल होते हैं, जो माफिया के लिए संरक्षण और सुरक्षा प्रदान करते हैं। ये गिरोह विरोध करने वाले स्थानीय लोगों, पर्यावरण कार्यकर्ताओं या ईमानदार अधिकारियों को धमकाने या हिंसा का सहारा लेते हैं, जिससे अवैध खनन बिना किसी रुकावट के चलता रहे।
अवैध खनन की कार्यप्रणाली
खनन का अवैध तरीका: अवैध खनन में माफिया बिना किसी लाइसेंस या अधिक खनिजों का दोहन करता है। कई बार वे कानूनी लाइसेंस प्राप्त ठेकेदारों के लाइसेंस का दुरुपयोग करते हैं और खनन की मात्रा को बढ़ा देते हैं, जिससे खनिजों का अनियंत्रित खनन होता है।
सरकारी नियमों की अनदेखी: माफिया खुलेआम सरकार द्वारा तय नियमों और दिशा-निर्देशों की अनदेखी करता है। जैसे कि खनन की गहराई और मात्रा का उल्लंघन, और खनिजों के परिवहन के लिए निर्धारित सीमाओं का पालन न करना। इन गतिविधियों से सरकारी राजस्व में भी भारी नुकसान होता है।
पर्यावरणीय क्षति: अवैध खनन से न केवल आर्थिक नुकसान होता है, बल्कि पर्यावरण पर भी गंभीर प्रभाव पड़ता है। नदियों का कटाव, जलस्रोतों की कमी, भूमि क्षरण और जैव विविधता का नाश इन अवैध गतिविधियों के परिणामस्वरूप होते हैं। माफिया इन पर्यावरणीय नुकसान की परवाह नहीं करता और अधिक से अधिक मुनाफा कमाने पर ध्यान केंद्रित करता है।
अवैध खनन के खिलाफ उठाए गए कदम
सरकार और प्रशासन ने अवैध खनन को रोकने के लिए कुछ महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं, जैसे कि:
विभागीय जांच और छापे: खनिज विभाग और पुलिस द्वारा अवैध खनन क्षेत्रों में छापेमारी की जाती है, लेकिन कई बार यह कार्रवाई महज औपचारिकता बनकर रह जाती है।
जनता की भागीदारी: स्थानीय समुदायों और नागरिक संगठनों की मदद से अवैध खनन के खिलाफ आवाज उठाने का प्रयास किया गया है। कई बार इन संगठनों द्वारा दी गई जानकारी के आधार पर अवैध खनन के खिलाफ कार्रवाई की जाती है।
हालांकि, राजनीतिक और प्रशासनिक समर्थन के कारण अवैध खनन माफिया के खिलाफ पूरी तरह से रोक लगाना अभी भी एक चुनौती बनी हुई है।
अनूपपुर जिले में रेत, पत्थर, कोयला, बॉक्साइट और ग्रेनाइट से अवैध खनन माफिया सालाना करोड़ों रुपये की कमाई करता है, जिसमें ठेकेदारों, राजनेताओं, अधिकारियों और आपराधिक गिरोहों की मिलीभगत होती है। इस अवैध खनन से न केवल राज्य को वित्तीय नुकसान होता है, बल्कि पर्यावरणीय क्षति और स्थानीय समुदायों पर भी इसका गंभीर असर पड़ता है। इस समस्या के समाधान के लिए सख्त कानूनों का पालन, प्रशासनिक सख्ती, और जनता की सक्रिय भागीदारी की आवश्यकता है।











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