भाजपा के संगठन चुनाव:बड़े नेताओं की अग्नि परीक्षा शुरु,गुपचुप तैयार की जा रही पैनल,विधानसभा-लोकसभा में टिकट न पाने वालों उम्मीदें फिर जागीं, भोपाल-दिल्ली के दरबारों तक हलचल। बहुत जल्दी भारतीय जनता पार्टी के दिग्गज नेताओं की अग्नि परीक्षा शुरु होने वाली है,क्योंकि सक्रिय सदस्यता अभियान के समापन के साथ ही संगठन चुनाव का आगाज हो जाएगा। संगठन चुनाव यानी कार्यकर्ताओं को पार्टी में पद मिलने की संभावना। नेताओं ने अपने खासमखास चेहरों से चुनाव जिताने का वादा कर रखा है, अब उस वादे की मियाद पास आ रही है। मंडल अध्यक्ष और जिला अध्यक्ष की कुर्सी दौड़ तो पहले ही शुरु हो चुकी है,लेकिन दीवाली आते-आते ये रफ्तार पकड़ेगी।
-संगठन चुनाव के बहाने
भाजपा नेताओं के अनुसार, संगठन चुनाव के बहाने नेताओं के बीच भी एक होड़ शुरु हो गयी है। माना जा रहा है कि संगठन चुनाव तय करेंगे कि भाजपा का सबसे बड़ा नेता कौन है। लोकसभा चुनाव के बाद कई बार भाजपा नेताओं के बीच दरारें दिखाई दे चुकी हैं,लेकिन कभी खुलकर किसी तरह का विरोध नहीं किया गया। संगठन चुनाव एक ऐसा अवसर होगा,जिसमें एक नेता, दूसरे के क्षेत्र में अपनी पैनल को स्थापित कराने में कामयाब हो सकता है। इधर, लोकसभा और विधानसभा चुनाव में टिकट न पाने वालों की उम्मीदें एक बार फिर से जाग उठी हैं।
–क्या सदस्यता अभियान बनेगा आधार
जिन्हें ये कहा गया था कि वे जितने ज्यादा सदस्य जोड़ेंगे,संगठन के चुनाव में उन्हें उतनी ही तवज्जो मिलेगी। अब इस आश्वासन की भी परख करने का समय आने वाला है। सूत्रों का कहना है कि यदि सदस्यता अभियान आधार बनेगा तो फिर ऊपर तक जोड़तोड़ और जी-हुजूरी वालों का क्या होगा। सदस्यता अभियान तो समाप्त हो गया,लेकिन आकाओं के दरबार में हाजिरी लगाने का काम तो पूरे साल चलता है। खुद भाजपा संगठन के पदाधिकारी कह रहे हैं कि कुछ खास अवसरों पर ही पार्टी में सदस्यता अभियान को आधार बनाया जा सकता है वरना इसका शत-प्रतिशत पालन हो, ऐसा सोचना भी असंगत होगा।
-किसमें, कितना है दम
पूरे महाकोशल में भारतीय जनता पार्टी के विधायक- सांसद ज्यादा हैं। इस लिहाज से संगठन में पद-प्रतिष्ठा पाने तेज प्रतिस्पर्धा की प्रबल संभावनाएं हैं। संगठन में अपने चेहरों को बिठाकर जनप्रतिनिधियों का न केवल प्रभुत्व बढ़ेगा,बल्कि भविष्य में संगठन का पर्याप्त सहयोग भी मिलेगा। सूत्रों के अनुसार,जनप्रतिनिधि यही चाह रहे हैं कि उनके क्षेत्र में उनके अपने चेहरों को ही संगठन में जगह दी जाए,लेकिन पुराने अनुभव ऐसे रहे हैं,जिनमें कई बार इसका उलट होने पर जनप्रतिनिधि की मुश्किलें बढ़ गयीं। हालाकि, जनप्रतिनिधियों के अलावा संगठन के दिग्गज नेताओं की भी अपनी पैनल है,जिसे वे संगठन में लाना चाहते हैं। इन सब तथ्यों के आधार पर ये कहा जा सकता है कि भाजपा के संगठन चुनाव काफी रोचक होंगे।
-हर जिले से एक प्रदेश प्रतिनिधि
2 सितंबर से 15 अक्टूबर तक बीजेपी का सदस्यता अभियान दो चरणों में पूरा हो चुका है। 15 अक्टूबर से शुरु हुआ सक्रिय सदस्यता अभियान 31 अक्टूबर तक चलेगा। इसके बाद संगठन चुनाव की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। संगठन चुनाव के लिए ग्वालियर के पूर्व सांसद विवेक शेजवलकर को प्रदेश चुनाव अधिकारी नियुक्त किया है। प्रदेश उपाध्यक्ष और पूर्व विधायक जीतू जिराती, विधायक अर्चना चिटनीस, प्रदेश मंत्री रजनीश अग्रवाल और डॉ. प्रभुलाल जाटवा को सह चुनाव अधिकारी नियुक्त किया है। ये चुनाव अधिकारी बूथ समितियों से लेकर मंडल अध्यक्ष, जिला अध्यक्ष और प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव कराएंगे। पहले बूथ समितियों का गठन होगा। जिसके बाद बाद मंडल अध्यक्षों का चुनाव होगा। वहीं जिला अध्यक्ष और फिर प्रदेश अध्यक्ष का निर्वाचन कराया जाएगा। जिला अध्यक्ष के चुनाव के साथ ही एक प्रदेश प्रतिनिधि हर जिले से नॉमिनेट किया जाएगा, जो प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव में हिस्सा लेगा।
-चुनाव कब तक होंगे
ऐसा माना जा रहा है कि बीजेपी के संगठन चुनाव के काम में 23 नवंबर को झारखंड और महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव परिणाम आने के बाद तेजी आएगी। बीजेपी के कई सीनियर लीडर दोनों राज्यों के चुनाव में व्यस्त रहेंगे। संभावना है कि सभी बूथ समितियों का गठन करा लिया जाए। उसके बाद मंडल और जिलों और प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव की शुरुआत हो।

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