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विंध्य का एक सवाल आखिर इसका विकाश कब विंध्य प्रदेश के विकाश  का मुद्दा  विशेष रूप से गरमाया हुआ है

विंध्य का एक सवाल आखिर इसका विकाश कब विंध्य प्रदेश के विकाश  का मुद्दा  विशेष रूप से गरमाया हुआ है

  रीवा रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव के निकट आते ही इस पर नए सिरे से चर्चा शुरू हो गई है। विंध्यवासियों की मांगों के समर्थन में 20 अक्टूबर 2024 को राजधानी भोपाल के अम्बेडकर पार्क में एक बड़ा धरना आयोजित किया जा रहा है, जिसमें सैकड़ों की संख्या में लोग भाग लेंगे। धरने का आयोजन विंध्य विकास एकता परिषद द्वारा किया जा रहा है, जो अपनी 9 सूत्रीय मांगों को लेकर सत्याग्रह करने जा रहे हैं। यह धरना ठीक उसी दिन हो रहा है, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रीवा एयरपोर्ट का लोकार्पण करेंगे।

विंध्यवासियों के इस आंदोलन का मुख्य उद्देश्य क्षेत्र के विकास के लिए लंबे समय से लंबित मांगों को सरकार के सामने रखना है। इस संदर्भ में यह समझना जरूरी है कि विंध्य प्रदेश का मुद्दा ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टि से गहरा है, और इस क्षेत्र के लोगों की भावनाएं इससे जुड़ी हुई हैं।

विंध्य प्रदेश की पृष्ठभूमि और क्षेत्रीय असंतोष

विंध्य क्षेत्र में आने वाले जिले, विशेष रूप से रीवा, सतना, सीधी, सिंगरौली, शहडोल,उमरिया, और  अनूपपुर मध्य प्रदेश के अन्य क्षेत्रों की तुलना में अपेक्षाकृत विकास में पिछड़े रहे हैं। इन जिलों में संसाधनों की भरपूर दोहन  होते हुए यहां का राजस्व बड़े शहरों में खर्च किया जा रहा है और और इन जिलों की उपेक्षा की  जा रही है यहां  निर्वाचित जनप्रतिनिधियों का रवैया  पब्लिक के अनुसार नहीं है यहां बुनियादी ढांचे, रोजगार और शिक्षा  रेल सुविधाओं का विस्तार जानबुझकर बस मालिकों को लाभ पहुंचाना सत्ता धारी नेता की फितरत हो गई है नेता जी खुद कई बसों के मालिक हैं क्षेत्र में सरकार की उपेक्षा का आरोप  लगना आम बात हो गई  है। विंध्य क्षेत्र के लोग लंबे समय से महसूस कर रहे हैं कि उनकी समस्याओं पर सरकार ध्यान नहीं दे रही है,चाहे कांग्रेस रही या बीजेपी  जबकि राज्य के अन्य हिस्सों में विकास के बड़े प्रोजेक्ट्स चल रहे हैं।

विंध्य प्रदेश के गठन की मांग ऐतिहासिक रूप से 1950 के दशक में उठी थी, जब यह क्षेत्र ‘विंध्य प्रदेश’ नामक एक अलग राज्य के रूप में अस्तित्व में था। बाद में 1956 में इसे मध्य प्रदेश में मिला दिया गया, लेकिन तब से ही यह क्षेत्र विकास की दौड़ में पीछे रह गया है। क्षेत्रीय असंतोष इस मुद्दे को बार-बार सुलगाता रहा है, और कई बार यहां के नेताओं ने इस विषय को राजनीतिक मंचों पर उठाया है।

9 सूत्रीय मांगें

विंध्यवासियों की 9 सूत्रीय मांगें मुख्य रूप से क्षेत्रीय विकास, बुनियादी ढांचे, रोजगार, और शिक्षा से संबंधित हैं। ये मांगें विंध्य क्षेत्र की वर्षों पुरानी उपेक्षा और विकास में पिछड़ने की शिकायतों पर आधारित हैं। मांगों की सूची निम्नलिखित है:

1. विंध्य प्रदेश का पुनर्गठन – विंध्यवासियों की सबसे प्रमुख मांग यह है कि विंध्य प्रदेश को पुनर्गठित किया जाए ताकि इस क्षेत्र का अलग प्रशासनिक और राजनीतिक अस्तित्व हो सके।


2. बुनियादी ढांचे का विकास – विंध्य क्षेत्र में सड़क, बिजली, पानी और स्वास्थ्य सुविधाओं की भारी कमी है। इसके लिए विशेष योजनाएं बनाई जाएं और बड़े पैमाने पर निवेश किया जाए।


3. शिक्षा और रोजगार – विंध्य क्षेत्र में उच्च शिक्षा और तकनीकी संस्थानों की कमी है। इसके साथ ही रोजगार के अवसर भी सीमित हैं, जिसके कारण युवा पलायन कर रहे हैं। रोजगार के अवसर बढ़ाने के लिए विशेष योजनाएं लागू की जाएं।


4. सिंचाई परियोजनाएं – कृषि आधारित इस क्षेत्र के लिए सिंचाई परियोजनाओं की भारी जरूरत है। स्थानीय किसानों की मांग है कि यहां की नदियों का समुचित उपयोग करके नए सिंचाई प्रोजेक्ट्स शुरू किए जाएं।


5. स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार – क्षेत्र के सरकारी अस्पतालों की स्थिति काफी खराब है, और यहां स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव है। विंध्यवासियों की मांग है कि आधुनिक अस्पताल और चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएं।


6. औद्योगिक विकास – विंध्य क्षेत्र में प्राकृतिक संसाधनों की भरमार है, लेकिन औद्योगिक विकास की कमी के कारण इसका समुचित उपयोग नहीं हो पा रहा है। मांग है कि औद्योगिक हब बनाए जाएं ताकि स्थानीय संसाधनों का दोहन किया जा सके और रोजगार के अवसर उत्पन्न हों।


7. पर्यटन को बढ़ावा – विंध्य क्षेत्र में ऐतिहासिक और प्राकृतिक धरोहरें हैं, जिनका पर्यटन के रूप में विकास किया जा सकता है। इसके लिए सरकार से विशेष योजनाओं की मांग की जा रही है।


8. जंगलों और खनिज संसाधनों का संरक्षण – विंध्य क्षेत्र के जंगल और खनिज संपदा के दोहन को नियंत्रित किया जाए ताकि पर्यावरणीय संतुलन बना रहे और स्थानीय जनजातियों के अधिकारों की रक्षा हो सके।


9. स्थानीय संस्कृति और धरोहरों का संरक्षण – विंध्य क्षेत्र की सांस्कृतिक धरोहर और परंपराओं का संरक्षण और प्रचार-प्रसार किया जाए, ताकि यहां की पहचान और विशिष्टता को सुरक्षित रखा जा सके।



धरना और सत्याग्रह की योजना

20 अक्टूबर को भोपाल में अम्बेडकर पार्क में आयोजित हो रहे इस धरने का उद्देश्य इन मांगों को जोरदार तरीके से सरकार के सामने रखना है। विंध्य विकास एकता परिषद के नेतृत्व में इस धरने में सैकड़ों लोग शामिल होंगे। इसका आयोजन दोपहर 12 बजे से शुरू होगा और सत्याग्रह के रूप में इसे जारी रखा जाएगा। विंध्यवासियों का कहना है कि वे अहिंसात्मक तरीके से अपनी मांगों को सरकार तक पहुंचाने के लिए यह सत्याग्रह कर रहे हैं, और यदि उनकी मांगें पूरी नहीं की जाती हैं, तो आगे के चरणों में बड़े आंदोलन की योजना बनाई जाएगी।

रीवा रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव और विंध्यवासियों की चिंताएं

धरना ऐसे समय में हो रहा है जब मोहन सरकार रीवा में 23 अक्टूबर को एक बड़े औद्योगिक सम्मेलन (रीवा रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव) का आयोजन करने जा रही है। इस सम्मेलन का उद्देश्य विंध्य क्षेत्र में औद्योगिक निवेश को आकर्षित करना और यहां के विकास को गति देना बताया जा रहा है। हालांकि, विंध्यवासियों को आशंका है कि यह कॉन्क्लेव केवल दिखावा हो सकता है और वास्तविक समस्याओं का समाधान नहीं होगा।

इस संदर्भ में विंध्यवासियों की मांग है कि कॉन्क्लेव से पहले उनकी 9 सूत्रीय मांगों पर विचार किया जाए और उन्हें प्राथमिकता दी जाए। उनका कहना है कि यदि उनकी मांगों को नजरअंदाज किया जाता है, तो यह कॉन्क्लेव भी विंध्य क्षेत्र के विकास में महज एक औपचारिकता बनकर रह जाएगा।

पीएम का रीवा एयरपोर्ट लोकार्पण

इसी दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रीवा एयरपोर्ट का लोकार्पण करेंगे, जो विंध्यवासियों के लिए एक बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है। इस एयरपोर्ट से क्षेत्र के लोगों को हवाई संपर्क की सुविधा मिलेगी, जिससे पर्यटन और व्यापार के अवसर बढ़ने की उम्मीद है। हालांकि, विंध्यवासियों का यह भी कहना है कि केवल एयरपोर्ट का लोकार्पण ही पर्याप्त नहीं है। वे चाहते हैं कि सरकार पूरे विंध्य क्षेत्र के विकास के लिए एक ठोस और स्थायी योजना बनाए।

राजनीतिक प्रतिक्रियाएं

इस आंदोलन और धरने को लेकर राजनीतिक हलकों में भी हलचल मची हुई है। विपक्षी दलों ने इस धरने को विंध्यवासियों के जायज अधिकारों की आवाज बताया है और सरकार पर क्षेत्रीय उपेक्षा का आरोप लगाया है। कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने सरकार से मांग की है कि वे विंध्यवासियों की मांगों को गंभीरता से लें और इस क्षेत्र के विकास के लिए ठोस कदम उठाएं। वहीं, सत्तारूढ़ दल भाजपा का कहना है कि वे विंध्य क्षेत्र के विकास के लिए प्रतिबद्ध हैं और रीवा रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव इसका एक प्रमाण है।

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