वन विभाग और राजस्व विभाग के निर्णयों के बीच पिस रहे ग्रामीण
आश्वासन तक सीमित वन विभाग की कार्यवाही, आखिर कैसे स्पष्ट होगा कि ज़मीन ग्रामीणों की है या वन विभाग की?
वन विभाग ने बताई अपनी ज़मीन तो पटवारी ने उसी जमीन को कहा ग्रामीणों की जमीन, वन विभाग और ग्रामीणों के बीच बनी विवाद की स्थिति
वन मंडलाधिकारी वन परिक्षेत्र कोतमा के पोड़ी बीट में कुछ माह पहले वन विभाग तथा ग्राम पंचायत चोड़ी के ग्रामीणों के बीच वन विभाग द्वारा किए गए वृक्षारोपण के मामले में घिरा भूमि विवाद का निपटारा अभी तक नही हो पाया है, जहां एक ओर वन विभाग उक्त भूमि को अपना बता रहा है, तो वही दूसरी ओर ग्रामीणों द्वारा उक्त खसरे नंबर की भूमि का पट्टा उनके पास होने के साथ खुद को भूमि स्वामी बताया जा रहा है। ग्रामीणों के अनुसार पटवारी द्वारा भी उक्त भूमि को राजस्व की भूमि का हिस्सा बताया जा रहा है, तो वहीं वन विभाग के सर्किल डिप्टी रेंजर और बीट गार्ड द्वारा वन भूमि बताकर पौधारोपण करा दिया गया, लेकिन मामले के निपटारे के लिए ग्रामीणों को सिर्फ आश्वासन ही मिल रहा है।
अनूपपुर जिले के कोतमा तहसील ग्राम पंचायत चोड़ी अंतर्गत ग्राम बरबसपुर जिला अनूपपुर के निवासी ग्रामीण मन्नू लाल चौधरी पिता स्व. बुद्धू चौधरी तथा धर्मदास चौधरी पिता स्व. नारायण चौधरी द्वारा जिला कलेक्टर को लिखित आवेदन देकर बताया कि हम दोनों आवेदक ग्राम बरबसपुर तहसील कोतमा जिला अनूपपुर के पुश्तैनी निवासी हैं तथा उक्त विवादित जमीन राज्य शासन के व्यवस्थापन की जमीन है, जिसका वर्ष 2001 में मध्यप्रदेश शासन द्वारा हमें पट्टा भी प्रदान किया जा चुका है। उक्त भूमि पर आज लगभग 60 से 65 वर्षों से हम ग्रामीणों के द्वारा खेती किसानी का कार्य कर अपना तथा अपने परिवार का पालन पोषण किया किया जा रहा था, किंतु उक्त पट्टे की भूमि को वन विभाग द्वारा अपना बताते हुए जबरदस्ती कब्जा कर लिया गया है तथा हम दोनो के पट्टे की भूमि पर वृक्षारोपण का कार्य वन विभाग द्वारा जबरदस्ती कराया जा रहा है तथा हमे खेती करने से भी रोका गया है।
अन्य काबिज ग्रामीणों ने भी मुख्यमंत्री तथा जनसुनवाई में की शिकायत
पूर्व में दिनांक 20.02.2024 को ग्रामीणों द्वारा जनसुनवाई के तहत अपनी समस्या कलेक्टर के समक्ष रखने के पश्चात पुनः दिनांक 16.08.2024 को ग्राम पंचायत चोड़ी के सरपंच द्वारा कुछ अन्य ग्रामीणों की काबिज खेती की भूमि पर वन विभाग द्वारा जबरन किए जा रहे वृक्षारोपण की समस्या को लेकर अपने लेटर पैड पर मुख्यमंत्री मध्यप्रदेश शासन को लिखित आवेदन देकर बताया कि ग्राम पंचायत चोडी के ग्राम बरबसपुर के गरीब हरिजन आदिवासी व पिछड़ा वर्ग किसान लगभग 50 वर्षो से राजस्व विभाग व वन विभाग में लगी हुई भूमि पर खेती कर अपने परिवार का भरण पोषण करते आ रहे हैं, जिसमें वन विभाग द्वारा जबरन सभी भूमि हीन किसानों की काबिज खेती की भूमि पर वृक्षारोपण कराया जा रहा है। काबिज भूमि हीन किसानों द्वारा रोक लगाए जाने पर वन विभाग के अधिकारियों द्वारा यह कहा जा रहा है, कि हम अपना कार्य कर रहे हैं। तुम्हे जहां जाना हो, तो जाओ, हम वृक्षारोपण का कार्य बंद नही करेंगे।भूमि हीन किसानों से उक्त काबिज भूमि पर तहसीलदार द्वारा नोटिस जारी कर जुर्माना भी लिया गया है, वहीं वन विभाग द्वारा भी किसानों को जुर्माना किया जा चुका है। फिर भी यदि वन विभाग द्वारा जबरन वृक्षारोपण करा दिया जाता है, तो हम गरीब भूमिहीन किसानों को रोजी रोटी के लाले पड़ जाएंगे, अतः वन विभाग द्वारा कराए जा रहे वृक्षारोपण पर रोक लगाई जाए।
मिलते रहे “तारीख पे तारीख” नही हुआ विवाद का निपटारा
ग्रामीणों के अनुसार पट्टाधारी भूमि स्वामियों,कब्जेधारियो और वन विभाग के आपसी विवाद के बाद घटना स्थल पर पहुंचे कोतमा रेंज के जिम्मेदार अधिकारियो के द्वारा विवाद की स्थिति को देखते जल्द ही वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा राजस्व विभाग के अधिकारियों की उपस्थिति में भूमि विवाद मामले के निपटारे का आश्वासन दिया गया।ग्रामीणों के अनुसार कुछ दिनो पहले प्रभारी वनमंडलाधिकारी वन मंडल अनूपपुर श्रद्धा पंद्रे ने उनके गांव में आकर भूस्वामियों से मुलाकात कर जल्द ही राजस्व विभाग के तहसीलदार और पटवारी की उपस्थिति में मामले के निपटारे का आश्वासन दिया गया था,किंतु आज डीएफओ अनूपपुर द्वारा ग्रामीणों को न्याय तो नही मिला अगर कुछ मिला तो वो है केवल आश्वासन और “तारीख पे तारीख”।
ग्रामीणों ने लगाया पैसे के लेनदेन का आरोप
वन विभाग और ग्रामीणों के भूमि विवाद के बीच एक और मामले सामने आया है,जिसमे ग्रामीण महिला रामरती चौधरी द्वारा बताया गया कि अपने पट्टे की भूमि पर जाने से रोककर बीट गार्ड समुंद्रे द्वारा महिला और उसके पति के साथ गाली गलौज कर किसी भी झूठे मामले में फसा देने की धमकी देकर डराते हुए उनकी जमीन पर खूटा नही गाड़े जाने के एवज में महिला और उसके पति से 10000/रु.ले लिया गया है।वही एक और ग्रामीण दिलीप चौधरी ने बताया कि किसी समुंद्रे बीट गार्ड द्वारा उसको भी डरा धमकाकर 10000/रु. ले लिया गया इतना ही नहीं बार बार मना करने के बाद भी बीट गार्ड राकेश समुंद्रे और डिप्टी रेंजर राजू केवट द्वारा पट्टे की जमीन को वन विभाग का बताकर वृक्षारोपण के नाम पर जबरन खुटा गड़वा दिया गया।
आखिर कौन है विभागीय नुकसान का असली जिम्मेदार.?
भूस्वामियों का आरोप है कि वन विभाग द्वारा उनके नाम पर वृक्षारोपण को नष्ट किया जाने के मामले में कार्यवाही तथा जुर्माना राशि वसूली का नोटिस भी जारी किया गया है।किंतु हमारे द्वारा उनके वन विभाग के भूमि क्षेत्र में कोई भी नुकसान किया ही नहीं है,बल्कि वन विभाग के अधिकारी कर्मचारी डिप्टी रेंजर और बीट गार्ड को बार बार बताने के बावजूद वन विभाग की भूमि के नाम पर हमको शासन द्वारा प्रदान किए गए पट्टे की भूमि पर जबरन खूटा गड़वाकर कब्जा किया गया है।
यदि कही वन और राजस्व विभाग के इस भूमि विवाद में जांच कार्यवाही के दौरान फैसला वन विभाग के पक्ष में जाता है तो ग्रामीणों की पट्टे की भूमि वन विभाग की हो जायेगी और ग्रामीणों को वृक्षारोपण को नुकसान करने के एवज में जुर्माना भी भरना पड़ेगा।किंतु यदि मामला ग्रामीण भूस्वामियों के पक्ष और वन विभाग के खिलाफ होता है,तो फिर क्या वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारी पट्टे की जमीन पर जबरन जानबूझकर लगाए गए वृक्षों के नुकसान की भरपाई सर्किल के जिम्मेदार सर्वे तथा वृक्षारोपण प्रभारी से वसूल करेगे या अभयदान दे देगे..?
इनका कहना है
अभी उक्त मामले का निराकरण नहीं हुआ है,हमारे द्वारा राजस्व विभाग के एसडीएम और तहसीलदार को पत्राचार कर दिया गया है,जैसे ही उनको समय मिलता है दोनो विभागो के द्वारा घटना स्थल के निरीक्षण और जांच के पश्चात आगे की कार्यवाही की जायेगी।
सुश्री श्रद्धा पंद्रे
प्रभारी वन मंडलाधिकारी अनूपपुर
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