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विश्व की सबसे बड़ी वर्षा जल पुनर्भरण परियोजना(रेन वाटर हार्वेस्टिंग) का इन्दौर में 15 सितंबर को प्रस्तुतिकरण होगा

इन्दौर। प्रदेश की प्रमुख नदी ताप्ती पर बन रही भू-जल पुनर्भरण योजना ,विश्व की अपने प्रकार की सबसे बड़ी योजना है ,इस योजना के पूर्ण होने पर म प्र के खंडवा, बुरहानपुर व महाराष्ट्र के जलगांव, अकोला, अमरावती एवं बुलढाणा जिलों की 4 लाख हेक्टेयर कृषि भूमि में सिंचाई हो सकेगी व संपूर्ण क्षेत्र में प्रतिवर्ष लगभग 4 मीटर की उल्लेखनीय भूजल वृद्धि होगी।
इस परियोजना के विभिन्न पहलुओं पर प्रस्तुति, जनप्रतिनिधियों ,प्रशासकीय अधिकारियों ,तकनीकी विशेषज्ञों की उपस्थिति में 15 सितंबर को इंदौर के ज़ी एस आई टी एस के सिल्वर जुबली सभागार में होगी ।
डेवलपमेंट फाऊंडेशन ,अभ्यास मंडल एवं इंडियन वाटर वर्क्स एसो द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में नर्मदा नियंत्रण प्राधिकरण के पूर्व मुख्य अभियंता, मुकेश चौहान जिन्होंने डीपीआर बनाई है वह प्रस्तुति देंगे ।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि सांसद शंकर लालवानी होंगे। अध्यक्षता म प्र शासन की पूर्व मंत्री श्रीमती अर्चना चिटनीस करेगी, विशेष अतिथि पीएचई के प्रमुख अभियंता के के सोनगरिया रहेंगे ।
आयोजन समिति की ओर से मुकुंद कुलकर्णी एवं रामेश्वर गुप्ता ने बताया कि,
म प्र और महाराष्ट्र के 6 जिलों में बड़े हिस्से का भूजल स्तर बढ़ाने ,सिंचाई की सुविधा उपलब्ध कराने और उधोग एवं नागरिकों को प्रयाप्त पानी उपलब्ध कराने के उद्देश्य से 21 हजार करोड़ रुपए की ताप्ती मेगा रिचार्ज परियोजना प्रस्तावित है, इसमें मध्य प्रदेश के दो जिलों को बहुत लाभ होगा। खंडवा बुरहानपुर सहित,इस क्षेत्र में वर्तमान में प्रतिवर्ष भूजल स्तर करीब 1 मीटर नीचे जा रहा है, परियोजना पूरी होने के पश्चात प्रतिवर्ष भूजल स्तर कम होने की अपेक्षा 4 मीटर ऊपर उठने लगेगा ।इस परियोजना से मध्य प्रदेश की 1.23 लाख हैक्टेयर तथा महाराष्ट्र की 2.34 लाख हैक्टेयर भूमि कुल मिलाकर 3.57 लाख हेक्टर क्षेत्र जल पुनर्भरण से लाभान्वित होगा। तथा करीब 48 हजार हेक्टेयर भूमि पर सीधे सिंचाई की सुविधा भी मिलेगी ,इसमें मध्य प्रदेश के बुरहानपुर एवं खंडवा तथा महाराष्ट्र के जलगांव ,बुलढाणा ,अकोला और अमरावती जिले शामिल हैं l
इस संदर्भ में डीपीआर बनाई जा चुकी है ।डेवलपमेंट फाऊंडेशन, अभ्यास मंडल तथा इंडियन वाटर वर्क्स एसो के संयुक्त तत्वावधान में आगामी 15 सितंबर को इंदौर के एस जी एस आई टी एस के सभागृह में इस विषय पर राष्ट्रीय स्तर की चर्चा रखी गई है जिसमें नर्मदा कंट्रोल अथॉरिटी के पूर्व सचिव एवं मुख्य अभियंता श्री मुकेश चौहान ,इस परियोजना पर विस्तृत जानकारी देंगे ।

आयोजन में देश भर के जल विशेषज्ञों सहित आईआईटी के प्रोफेसर, करीब 15 विद्यार्थी , जी एसआईटीएस के प्रोफ़ेसर,इंडियन वाटर वर्क्स एसोसिएशन , चुनिंदा आईएएस अधिकारियों, राजनेताओं सहित इंदौर के महत्वपूर्ण उद्योगपति, बुद्धिजीवी तथा सामाजिक कार्यकर्ता व पत्रकार भी सम्मिलित होंगे ।मध्य प्रदेश की पूर्व मंत्री सुश्री अर्चना चिटनिस इस परियोजना को शीघ्र लागू कराने के लिए सतत प्रयासरत हैं ।महाराष्ट्र सरकार इस परियोजना को स्वीकृति प्रदान कर चुकी है ।मध्य प्रदेश में स्वीकृती कराने के लिए प्रस्ताव स्वीकृति हेतू विचार-विमर्श किया हो रहा है। मवर्तमान में इन क्षेत्रों में प्रतिवर्ष करीब 1 मीटर भूजल स्तर नीचे जा रहा है, परियोजना पूर्ण होने के पश्चात भूजल स्तर को कम होने की बजाय करीब 4 मीटर प्रति वर्ष ऊपर लाने की योजना है ।
इससे बुरहानपुर एवम महाराष्ट्र के उपरोक्त जिलों के केला उत्पादक किसानों, जिनको प्रतिवर्ष करीब 9 महीने पानी की बहुत आवश्यकता रहती है ,जलस्तर ऊपर आने से उनका आर्थिक एवं सामाजिक स्तर ऊपर उठेगा एवं संपूर्ण क्षेत्र का संपूर्ण सामाजिक विकास भी होगा।

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