
कानून व्यवस्था पर उठे गंभीर सवाल, मजिस्ट्रेट दिल्ली में प्रशिक्षण पर थे — लौटे तो टूटा मिला घर का ताला
न्यायिक मजिस्ट्रेट विनोद कुमार वर्मा के स्मार्ट सिटी स्थिति आवास में अज्ञात चोरों का धावा
घर के कई कमरों के ताले टूटे, सामान का आकलन जारी
कोतवाली पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच प्रारंभ की
सीसीटीवी फुटेज और फिंगरप्रिंट टीम जुटी साक्ष्य संकलन में
न्यायिक अधिकारियों की सुरक्षा पर उठे सवाल, स्थायी सुरक्षा ड्यूटी की मांग
अनूपपुर जिला मुख्यालय में पदस्थ न्यायिक मजिस्ट्रेट एवं सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण श्री विनोद कुमार वर्मा के सरकारी आवास में बीती रात चोरी की सनसनीखेज वारदात सामने आई।
जानकारी के अनुसार, श्री वर्मा दिल्ली में प्रशिक्षण कार्यक्रम में शामिल थे। आज सुबह लगभग 11 बजे जब उनके सरकारी आवास पर चपरासी पहुँचा, तो उसने देखा कि मुख्य दरवाजे का ताला टूटा हुआ है। उसने तत्काल इसकी सूचना न्यायिक मजिस्ट्रेट को दी।
घटना की जानकारी मिलने पर थाना कोतवाली प्रभारी अरविंद जैन को सूचना दी। कोतवाली पुलिस दल ने मौके पर पहुँचकर घटनास्थल का निरीक्षण किया। प्राथमिक जांच में पाया गया कि घर के कई कमरों के ताले टूटे हुए हैं। हालांकि अब तक यह स्पष्ट नहीं हुआ है कि कितनी या कौन-कौन सी वस्तुएं चोरी हुई हैं।
थाना कोतवाली पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच प्रारंभ कर दी है।
आसपास के क्षेत्रों में लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज खंगाली जा रही है, वहीं फिंगरप्रिंट विशेषज्ञ टीम द्वारा घटनास्थल से साक्ष्य एकत्र किए जा रहे हैं।
“यह अत्यंत संवेदनशील मामला है। जिला पुलिस बल को निर्देश दिए गए हैं कि घटना में शामिल व्यक्तियों की जल्द से जल्द पहचान कर गिरफ्तारी सुनिश्चित की जाए। रात्रिकालीन गश्त को और मजबूत किया जा रहा है।”
पहले भी हुई थी न्यायिक अधिकारी के घर पत्थरबाजी
उल्लेखनीय है कि इससे पहले भालूमाड़ा क्षेत्र में एक न्यायिक मजिस्ट्रेट के आवास पर पत्थरबाजी और अभद्र व्यवहार की घटना हो चुकी है। उस समय भी पुलिस ने तत्परता से कार्रवाई की थी, परंतु जिले की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर चर्चाएं तेज हो गई थीं। अब पुनः जिला मुख्यालय में घटित यह चोरी की वारदात पुलिस की निगरानी व्यवस्था पर सवाल खड़ा कर रही है।
क्या न्यायिक अधिकारियों के आवास पर सुरक्षा ड्यूटी का प्रावधान है?
सुरक्षा मानकों के अनुसार
न्यायिक अधिकारियों की व्यक्तिगत सुरक्षा का दायित्व जिला प्रशासन और पुलिस विभाग का होता है।
परंतु यदि खतरे की संभावना या पूर्व में घटना घट चुकी हो, तो कलेक्टर और एसपी की अनुशंसा पर हाउस गार्ड या सुरक्षा गार्ड की अस्थायी ड्यूटी लगाई जा सकती है।
इसके अतिरिक्त न्यायिक आवास क्षेत्रों में रात्रिकालीन गश्त अनिवार्य मानी जाती है।
इस घटना के बाद अब न्यायिक अधिकारियों की सुरक्षा को लेकर जिला प्रशासन पर कई सवाल खड़े छोड़ गईं
स्थानीय जनचर्चा और प्रशासनिक प्रतिक्रिया
घटना के बाद आम नागरिकों में रोष और चिंता व्याप्त है। स्थानीय नागरिकों का कहना है “जब न्यायिक अधिकारी तक सुरक्षित नहीं, तो आम जनता का भरोसा कैसे कायम रहेगा?”
पुलिस सूत्रों के अनुसार, शहर के संवेदनशील इलाकों में गश्त बढ़ाने, सीसीटीवी कवरेज दायरे को विस्तार देने और संदिग्ध गतिविधियों पर त्वरित कार्रवाई हेतु विशेष दल गठित करने की तैयारी की जा रही है।
न्यायिक मजिस्ट्रेट के घर चोरी की यह घटना कानून व्यवस्था की नब्ज़ पर चोट के समान है। पुलिस विभाग ने जांच को प्राथमिकता पर रखते हुए कार्यवाही प्रारंभ कर दी है। अब देखना यह होगा कि आने वाले दिनों में जिले में सुरक्षा व्यवस्था कितनी मजबूत की जा सकती है और क्या भविष्य में न्यायिक अधिकारियों के लिए स्थायी पुलिस सुरक्षा व्यवस्था लागू की जाती है।



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