
रीवा/चाकघाट।
नगर परिषद चाकघाट में पिछले तीन वर्षों से चल रहे कथित वित्तीय अनियमितताओं और मनमानी नियुक्तियों पर अब रोक लग गई है। हाल ही में नगर परिषद चाकघाट में अतिरिक्त प्रभाव के रूप में पदस्थ हुए मुख्य नगर पालिका अधिकारी (सीएमओ) के.एन. सिंह ने पदभार संभालते ही नगर परिषद अध्यक्ष विभव जैशवाल द्वारा किए जा रहे नियम विरुद्ध कार्यों पर सख्त कार्रवाई शुरू कर दी है।
सूत्रों के अनुसार, नगर परिषद अध्यक्ष द्वारा अपने निजी कार्यों के लिए 14 दैनिक मास्टर श्रमिक कर्मचारियों की अवैध नियुक्ति की गई थी, जिनका वेतन तीन वर्षों से नगर परिषद के सरकारी फंड से दिया जा रहा था। जबकि नगर परिषद अध्यक्ष को इस प्रकार की नियुक्ति करने का कोई कानूनी अधिकार नहीं है।
सीएमओ के.एन. सिंह ने इस अनियमितता पर तत्काल संज्ञान लेते हुए सभी 14 दैनिक मास्टर श्रमिकों की नियुक्ति को निरस्त कर दिया और मामले की जानकारी माननीय कलेक्टर रीवा, आयुक्त नगर प्रशासन तथा मुख्य सचिव मध्यप्रदेश शासन तक भेज दी है।
गौरतलब है कि ग्वालियर खंडपीठ द्वारा पहले ही आदेश जारी किया गया था कि किसी भी नगर परिषद में दैनिक मास्टर श्रमिकों की नियुक्ति नहीं की जा सकती। इसके बावजूद नगर परिषद अध्यक्ष ने अपने अधिकार क्षेत्र से परे जाकर पी.आई.सी. (President in Council) की बैठक में प्रस्ताव पारित कर नियुक्तियां कीं। इस प्रक्रिया से न केवल शासन के लाखों रुपये का नुकसान हुआ, बल्कि प्रशासनिक व्यवस्था पर भी प्रश्नचिह्न लगा।
सीएमओ के.एन. सिंह, जो पूर्व में भी गुढ़ नगर परिषद में पदस्थ रह चुके हैं, अपनी कड़ाई और निष्पक्ष कार्यशैली के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने वहां भी अध्यक्ष की मनमानी पर रोक लगाकर पारदर्शिता कायम की थी। अब चाकघाट में भी उन्होंने उसी सख्ती के साथ भ्रष्टाचार पर लगाम कसनी शुरू कर दी है।
स्थानीय सूत्रों का कहना है कि नगर परिषद अध्यक्ष की ‘मनमानी नीति’ अब समाप्त होने की शुरुआत हो गई है। सीएमओ के.एन. सिंह ने स्पष्ट कर दिया है कि कोई भी अधिकारी या जनप्रतिनिधि अपने सीमित अधिकारों से बाहर जाकर कार्य करेगा तो उसे मंजूरी नहीं दी जाएगी।
इस कार्रवाई से नगर परिषद परिसर में हड़कंप मचा हुआ है। वर्षों से नगर परिषद के संसाधनों का दुरुपयोग करने वाले ठेकेदारों और अवैध रूप से लाभान्वित कर्मचारियों में हड़कंप है। वहीं नगर परिषद के ईमानदार कर्मचारियों और नागरिकों ने इस निर्णय का स्वागत किया है।



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