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फर्जी तबादला प्रकरण का पर्दाफाश जैतहरी के कंप्यूटर सेंटर से बना आवेदन, नंदू सोनी पर गहरा संदेह

फर्जी तबादला प्रकरण का पर्दाफाश जैतहरी के कंप्यूटर सेंटर से बना आवेदन, नंदू सोनी पर गहरा संदेह


अनूपपुर।
जिले में एक चौंकाने वाला फर्जीवाड़ा उजागर हुआ है, जिसमें एक शासकीय कर्मचारी के नाम से फर्जी दस्तावेज तैयार कर उसका तबादला कराने की कोशिश की गई। मामला तब सामने आया जब शहडोल संभागायुक्त कार्यालय से 11 अगस्त 2025 को अनूपपुर कलेक्टर को संदिग्ध तबादला आवेदन संबंधी पत्र प्राप्त हुआ।

ऐसे हुआ फर्जीवाड़े का खुलासा

प्राप्त जानकारी के अनुसार, कमलेश कुमार तिवारी, जो जिला अनूपपुर के सामान्य निर्वाचन शाखा एवं विकास शाखा में कॉपिस्ट सहायक ग्रेड-3 के पद पर कार्यरत हैं, उनके नाम से शहडोल कमिश्नर कार्यालय को एक तबादला आवेदन भेजा गया था।
आवेदन में उल्लेख किया गया था कि उन्हें कलेक्टर अनूपपुर के आदेश दिनांक 7 अक्टूबर 2015 के तहत कई शाखाओं में दायित्व सौंपे गए हैं, जिससे कार्य में देरी हो रही है और मानसिक दबाव बढ़ गया है। इस आधार पर उन्होंने (कथित रूप से) अपने मूल विभाग जल संसाधन विभाग में वापस भेजे जाने की मांग की थी।

लेकिन जब यह पत्र कलेक्टर कार्यालय पहुंचा और संबंधित अधिकारी कमलेश तिवारी को दिखाया गया, तो वे हैरान रह गए। उन्होंने तत्काल लिखित आपत्ति दर्ज कराई कि उन्होंने ऐसा कोई आवेदन नहीं दिया है और आवेदन पर किया गया हस्ताक्षर पूरी तरह जाली है।

फर्जी हस्ताक्षर और टाइपिंग से हुआ पूरा खेल

कमलेश तिवारी ने इस मामले में पुलिस अधीक्षक अनूपपुर को शिकायत सौंपी। शिकायत में उन्होंने नंदू उर्फ नंदलाल सोनी पिता गोपीलाल सोनी निवासी जैतहरी पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि वह पहले भी उनके खिलाफ बेनामी शिकायतें कर चुका है।
शिकायत के आधार पर पुलिस अधीक्षक ने जांच का जिम्मा थाना जैतहरी प्रभारी अमर वर्मा को सौंपा।

जांच के दौरान यह खुलासा हुआ कि यह फर्जी आवेदन जैतहरी के एक कंप्यूटर सेंटर से टाइप कराया गया था।
तकनीकी जांच में पाया गया कि उक्त आवेदन मोहम्मद कासिफ नफीस के कंप्यूटर सिस्टम से तैयार किया गया था, जिसे नंदू उर्फ नंदलाल सोनी ने स्वयं टाइप करवाया था।

इस सनसनीखेज खुलासे ने प्रशासनिक हलकों में हड़कंप मचा दिया है।
पुलिस ने फिलहाल कंप्यूटर संचालक और संबंधित व्यक्ति दोनों के बयान दर्ज कर लिए हैं और इलेक्ट्रॉनिक डेटा की जांच भी शुरू कर दी है।

सरकारी सिस्टम में सुरक्षा पर सवाल

यह मामला सिर्फ एक व्यक्ति के खिलाफ साजिश नहीं, बल्कि सरकारी दस्तावेजों की सुरक्षा प्रणाली पर गहरा प्रश्नचिह्न भी है।
किसी सरकारी कर्मचारी के हस्ताक्षर की जालसाजी कर उसके सेवा रिकॉर्ड में बदलाव का प्रयास प्रशासनिक व्यवस्था के लिए एक गंभीर चेतावनी है।

कमलेश तिवारी ने कहा

“मैंने कोई आवेदन नहीं दिया। किसी ने मेरे नाम से फर्जी दस्तावेज तैयार कर तबादले की साजिश की है। मेरे हस्ताक्षर तक जाली बनाए गए हैं। यह मेरे खिलाफ सुनियोजित षड्यंत्र है।”



वहीं, थाना प्रभारी अमर वर्मा ने बताया

“मामले की गहन जांच की जा रही है। संबंधित पक्षों के बयान दर्ज कर लिए गए हैं और इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य एकत्र किए जा रहे हैं।”

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Kailash Pandey
Anuppur
(M.P.)

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