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अनूपपुर में बिना फार्मासिस्ट चल रहे मेडिकल स्टोर, नकली व नशीली दवाओं की बाढ़

अनूपपुर में बिना फार्मासिस्ट चल रहे मेडिकल स्टोर, नकली व नशीली दवाओं की बाढ़

अनूपपुर जिले में दवा कारोबार पर संकट — बिना फार्मासिस्ट चल रहे मेडिकल स्टोर, कोयलांचल में नकली और नशीली दवाओं की भरमार

प्रदेशभर में मेडिकल स्टोरों के संचालन को लेकर मध्य प्रदेश फार्मेसी काउंसिल ने सख्त रुख अपनाया है। काउंसिल ने साफ निर्देश जारी किए हैं कि अब किसी भी मेडिकल स्टोर पर पंजीकृत फार्मासिस्ट की उपस्थिति अनिवार्य होगी। बिना फार्मासिस्ट दवा बेचने वालों पर तीन महीने की सजा और लाइसेंस रद्द करने की कार्रवाई का प्रावधान किया गया है।

लेकिन अनूपपुर जिले की हकीकत इन आदेशों के ठीक उलट दिखाई देती है। यहां की ज़मीनी स्थिति यह बताती है कि जिला मुख्यालय से लेकर कोयलांचल के गांवों तक, बड़ी संख्या में मेडिकल स्टोर बिना फार्मासिस्ट, बिना निरीक्षण और बिना नियंत्रण के चल रहे हैं।
फार्मेसी काउंसिल का सख्त निर्देश

फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया और राज्य फार्मेसी काउंसिल द्वारा सभी जिलों को भेजे गए नोटिस में स्पष्ट कहा गया है कि
बिना पंजीकृत फार्मासिस्ट के मेडिकल स्टोर चलाना गैरकानूनी है।

बिना चिकित्सक की प्रिस्क्रिप्शन पर दवा की बिक्री प्रतिबंधित है।

किसी भी गैर-प्रमाणित व्यक्ति द्वारा दवा वितरण या बिक्री कानून का उल्लंघन मानी जाएगी।

नियम तोड़ने वालों पर तीन माह की कैद, जुर्माना या दोनों की सजा के साथ लाइसेंस निरस्त किया जाएगा।

इन निर्देशों के बावजूद अनूपपुर जिले में फार्मेसी कानून की खुलेआम धज्जियाँ उड़ाई जा रही हैं।

अनूपपुर की स्थिति “ऑफिस में बैठे निरीक्षक, मैदान में अंधेरा”

जिले की स्थिति बेहद चिंताजनक है। सूत्र बताते हैं कि ड्रग इंस्पेक्टर महीनों से फील्ड में नहीं दिखाई देते और निरीक्षण केवल फाइलों में दिखाया जाता है। यही हाल खाद्य एवं औषधि निरीक्षकों का भी है।

कई मेडिकल स्टोर एक ही फार्मासिस्ट के लाइसेंस पर चल रहे हैं।
दवा दुकानों में फार्मासिस्ट का नाम बोर्ड पर नहीं लिखा होता है,लेकिन उसके नाम पर दूसरा कोई व्यक्ति दवा बेचता रहता है

कोयलांचल  में दर्जनों मेडिकल स्टोर बिना किसी लाइसेंसधारी फार्मासिस्ट के संचालित हैं।

इन दुकानों पर नशीली दवाएं और नियंत्रित सिरप खुलेआम बेचे जा रहे हैं।
ग्रामीण और मजदूर वर्ग सबसे ज्यादा प्रभावित

गांवों और कोयला बेल्ट के क्षेत्रों में रहने वाले श्रमिक और गरीब परिवारों को इसका सबसे अधिक नुकसान उठाना पड़ रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि  “यहां कोई भी व्यक्ति दवा दे देता

स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि यह स्थिति न केवल कानून के लिए बल्कि जन स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए भी गंभीर खतरा है।
नशीली और नकली दवाओं की बाढ़ — “कोयलांचल में खुलेआम जहर की बिक्री”

जांच सूत्रों के मुताबिक अनूपपुर जिले के कोयलांचल इलाके में नशीली सिरप,  आधारित दवाओं की भरमार है।
कई दुकानों पर नकली और सस्ती ब्रांडेड दवाएं भी बेची जा रही हैं, जो मरीजों के स्वास्थ्य को बर्बाद कर रही हैं।

स्थानीय सूत्र बताते हैं कि कुछ मेडिकल स्टोर स्थानीय नेताओं या प्रभावशाली व्यक्तियों के संरक्षण में चल रहे हैं।
“लाइसेंस पर दुकान” का खेल यहां आम बात है — यानी एक लाइसेंस के नाम पर कई दुकानों से दवा बिक्री का कारोबार।
विभागकी चुप्पी और जवाबदेही पर सवाल

जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की चुप्पी ने लोगों के बीच नाराजगी बढ़ा दी है। विभाग  की निष्क्रियता से न केवल नकली दवाओं का व्यापार फलफूल रहा है, बल्कि मरीजों की जिंदगी पर भी खतरा मंडरा रहा है
कानूनी स्थिति — “कानून स्पष्ट है, पर अमल गायब है”

ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट, 1940 की धारा 42 के तहत बिना पंजीकृत फार्मासिस्ट के दवा बेचना दंडनीय अपराध है।
इसमें तीन माह तक की सजा या जुर्माना या दोनों का प्रावधान है।
साथ ही, ऐसे मेडिकल स्टोर का लाइसेंस तत्काल निरस्त किया जा सकता है।

लेकिन अनूपपुर जिले में कानून के बजाय समझौते की संस्कृति ने पूरे सिस्टम को कमजोर बना दिया है।

जिले में ड्रग इंस्पेक्टर  द्वारा जांच नियमित नहीं की जाती ।

हर मेडिकल स्टोर का फार्मासिस्ट उपस्थिति रजिस्टर और लाइसेंस सत्यापन  कभी नहीं किया जाता

अनूपपुर जिला प्रशासन के लिए यह जन स्वास्थ्य और प्रशासनिक ईमानदारी की परीक्षा का समय है।
बिना फार्मासिस्ट दवा बिक्री केवल तकनीकी गलती नहीं, बल्कि आम जनता की जान के साथ खिलवाड़ है।

यदि यह स्थिति नहीं सुधरी, तो आने वाले समय में अनूपपुर “नकली दवा तस्करी और नशे की मंडी” के रूप में बदनाम हो सकता है।
सरकार और जिला प्रशासन को चाहिए कि वह तुरंत सख्त कार्रवाई करे और फार्मेसी कानून को जमीनी स्तर पर लागू कराए क्योंकि “जनता का स्वास्थ्य किसी भी व्यवस्था से बड़ा है।”

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Kailash Pandey
Anuppur
(M.P.)

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