
अनूपपुर। मध्यप्रदेश का छोटा-सा जिला अनूपपुर अब ऊर्जा मानचित्र पर एक नई पहचान बनाने जा रहा है। कोयले से भरपूर इस क्षेत्र में देश की अग्रणी निजी कंपनी टोरेंट पावर लिमिटेड ने लगभग 22,000 करोड़ रुपये के निवेश से 1,600 मेगावाट क्षमता का अत्याधुनिक अल्ट्रा-सुपरक्रिटिकल कोयला आधारित बिजलीघर लगाने का निर्णय लिया है। यह निवेश न केवल टोरेंट समूह के बिजली क्षेत्र का अब तक का सबसे बड़ा प्रोजेक्ट होगा, बल्कि मध्यप्रदेश की औद्योगिक और ऊर्जा क्षमता को नई ऊँचाइयों पर पहुँचाने वाला भी साबित होगा।
टोरेंट पावर का ऐतिहासिक निवेश
कंपनी को इस परियोजना के लिए एमपी पावर मैनेजमेंट कंपनी लिमिटेड (MPPMCL) से आवंटन पत्र (LoA) प्राप्त हुआ है। यह आवंटन प्रतिस्पर्धी बोली प्रक्रिया के अंतर्गत 5.829 रुपये प्रति यूनिट की दर पर हासिल किया गया।

परियोजना डीबीएफओओ (डिजाइन, बनाओ, वित्त, अपनाओ और चलाओ) मॉडल पर विकसित होगी। इसके तहत दो इकाइयाँ—प्रत्येक 800-800 मेगावाट क्षमता की—लगाई जाएँगी। उत्पादन शुरू होने पर यहाँ से प्राप्त पूरी बिजली MPPMCL को उपलब्ध कराई जाएगी।
कंपनी ने स्पष्ट किया है कि यह बिजलीघर अल्ट्रा-सुपरक्रिटिकल तकनीक पर आधारित होगा, जो उच्च दक्षता के साथ-साथ कम कार्बन उत्सर्जन सुनिश्चित करेगा।
8,000 से 10,000 रोजगार के अवसर
निर्माण चरण में ही इस परियोजना से 8,000 से 10,000 प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार सृजित होने का अनुमान है। स्थानीय युवाओं को तकनीकी और अर्ध-तकनीकी कार्यों में अवसर मिलेगा, जबकि सहायक गतिविधियों—परिवहन, निर्माण सामग्री आपूर्ति, खानपान और सेवा क्षेत्र—में भी हज़ारों लोगों को लाभ होगा।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह निवेश अनूपपुर की सामाजिक-आर्थिक तस्वीर बदल देगा और स्थानीय स्तर पर पलायन कम होगा।
सरकारी नीतियों का सहयोग
परियोजना के लिए कोयले की आपूर्ति कोयला मंत्रालय की “शक्ति नीति” के तहत MPPMCL द्वारा की जाएगी। साथ ही, बिजली खरीद समझौता (PPA) होने के बाद इस संयंत्र को 72 महीनों के भीतर चालू करने का लक्ष्य रखा गया है।
मध्यप्रदेश सरकार ने औद्योगिक निवेश के लिए जिस प्रकार अनुकूल माहौल तैयार किया है, वह इस तरह की बड़ी परियोजनाओं के सफल होने की गारंटी है।
अनूपपुर की भौगोलिक और औद्योगिक विशेषताएँ
अनूपपुर का चयन इस परियोजना के लिए यूँ ही नहीं हुआ। यहाँ पर
प्रचुर मात्रा में कोयला पास ही में साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (SECL) की खदानें हैं।
जल संसाधन सोन और नर्मदा की सहायक नदियाँ पर्याप्त जल उपलब्ध कराती हैं।
सड़क व रेल संपर्क राष्ट्रीय राजमार्ग और रेल मार्ग से सीधे जुड़ा हुआ क्षेत्र।
अनुकूल वातावरण: उद्योगों के लिए प्रशासनिक सहयोग और श्रमिकों की उपलब्धता।
इन कारणों से अनूपपुर को आने वाले वर्षों में “पॉवर हब” के रूप में स्थापित करने की क्षमता है।
पर्यावरणीय दृष्टिकोण
यद्यपि कोयला आधारित बिजलीघरों को लेकर हमेशा पर्यावरणीय चिंता बनी रहती है, लेकिन कंपनी का दावा है कि अल्ट्रा-सुपरक्रिटिकल तकनीक का उपयोग कर उत्सर्जन न्यूनतम रखा जाएगा। साथ ही फ्लाई ऐश प्रबंधन और ग्रीन बेल्ट विकास जैसी योजनाओं को भी प्राथमिकता दी जाएगी।
पर्यावरण विशेषज्ञों का कहना है कि यदि नियमों का पालन किया गया तो यह संयंत्र ऊर्जा उत्पादन और पर्यावरणीय संतुलन के बीच संतुलित मॉडल बन सकता है।
अदाणी पावर की नई पहल
टोरेंट पावर के साथ-साथ अदाणी पावर मध्यप्रदेश ने भी अनूपपुर जिले में 800 मेगावाट क्षमता का ग्रीनफील्ड थर्मल पावर प्लांट लगाने का निर्णय लिया है। इसके लिए भी आवंटन पत्र मिल चुका है।
इससे स्पष्ट है कि आने वाले वर्षों में अनूपपुर न केवल मध्यप्रदेश बल्कि देश का एक बड़ा ऊर्जा केंद्र बनने जा रहा है।
स्थानीय दृष्टिकोण और संभावनाएँ
स्थानीय नागरिकों और प्रतिनिधियों ने इस निवेश का स्वागत किया है। उनका मानना है कि इससे
युवाओं को रोजगार मिलेगा,
शिक्षा और तकनीकी प्रशिक्षण संस्थान विकसित होंगे,
बुनियादी ढाँचे—सड़क, बिजली, पानी और स्वास्थ्य सुविधाएँ—में सुधार होगा।
साथ ही, स्थानीय व्यवसायियों का मानना है कि ancillary industries और service sector को भी बड़ा प्रोत्साहन मिलेगा।
भारत के ऊर्जा लक्ष्य में योगदान
भारत सरकार ने वर्ष 2032 तक 80 गीगावाट अतिरिक्त कोयला आधारित बिजली क्षमता जोड़ने का लक्ष्य रखा है। टोरेंट पावर के वाइस चेयरमैन और प्रबंध निदेशक जिनल मेहता ने कहा—
“अनूपपुर की यह परियोजना न केवल मध्यप्रदेश की बिजली आवश्यकताओं को पूरा करेगी बल्कि भारत के ऊर्जा सुरक्षा मिशन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।”
अनूपपुर का उज्ज्वल भविष्य
टोरेंट पावर और अदाणी पावर जैसे बड़े कॉर्पोरेट निवेशों से अनूपपुर की पहचान अब केवल एक खनन क्षेत्र तक सीमित नहीं रहेगी। यह जिला आने वाले समय में ऊर्जा उत्पादन का राष्ट्रीय केंद्र बनेगा।
यह परियोजना केवल बिजली उत्पादन तक सीमित नहीं है बल्कि यह रोजगार, औद्योगिक निवेश, बुनियादी ढाँचे और सामाजिक विकास की दृष्टि से भी अनूपपुर को नई ऊँचाइयों पर ले जाएगी।
अनूपपुर अब वास्तव में “मध्यप्रदेश का उभरता पॉवर हब” है जहाँ कोयला, जल और संसाधन केवल प्राकृतिक धरोहर नहीं, बल्कि औद्योगिक क्रांति के स्तंभ बनने जा रहे हैं।


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