
अनूपपुर/भोपाल।
राज्य में महिला एवं बाल विकास विभाग की संविदा भर्ती से जुड़ा बड़ा घोटाला आखिरकार विभागीय दायरों तक पहुँच गया है। ताज़ा आदेश में सरकार ने साफ कर दिया है कि अब आगे की भर्ती प्रक्रिया सीधे विभागीय स्तर पर होगी। यह वही मुद्दा है जिसे समाचार पोर्टल 000miles.com ने पूर्व में प्रकाशित रिपोर्ट (शीर्षक – “महिला कल्याण की आड़ में घोटाला: महिला पदों पर पुरुषों की भर्ती, पात्रों से ठगी – T&M कंपनी और महिला बाल विकास विभाग की सांठगांठ उजागर”) के माध्यम से सार्वजनिक किया था।
उस रिपोर्ट में साफ तौर पर खुलासा हुआ था कि किस तरह महिला पदों पर पुरुषों की भर्ती हुई, पात्र उम्मीदवारों को बाहर कर अपात्र लोगों को नियुक्त किया गया, और कंपनी ने विभागीय अधिकारियों की सांठगांठ से बेरोजगारों के साथ छलावा किया। आज जब विभाग ने कंपनी को हटाकर प्रत्यक्ष भर्ती की घोषणा की है, तब यह स्पष्ट हो गया है कि पूर्व में उठाए गए सवाल बिल्कुल सही थे।
भर्ती प्रक्रिया में नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए
महिला पदों पर पुरुषों की नियुक्ति की गई।
पात्र उम्मीदवारों से आवेदन शुल्क और अन्य संसाधनों के नाम पर ठगी हुई।
अपात्र और बाहरी लोगों को प्राथमिकता दी गई।
कंपनी ने विभागीय नीतिकारों की शह पर भारी आर्थिक अपराध को अंजाम दिया।
इससे न केवल बेरोजगारी का मजाक बना बल्कि महिला कल्याण योजनाओं की गंभीरता भी सवालों के घेरे में आ गई।
000miles.com गूगल सर्च पर की सराहनीय भूमिका
पत्रकारिता का दायित्व निभाते हुए पोर्टल ने जुलाई 2025 में यह रिपोर्ट प्रकाशित की थी।
इस रिपोर्ट ने सबसे पहले मुद्दे को सामने लाया और बताया कि यह केवल भर्ती नहीं बल्कि महिला कल्याण और रोजगार नीति से खिलवाड़ है।
आज जब सरकार ने विभागीय भर्ती का आदेश दिया है, तो यह सीधे तौर पर 000miles.com की खोजपरक पत्रकारिता की सफलता और विश्वसनीयता को प्रमाणित करता है।
वर्तमान घटनाक्रम महिला एवं बाल विकास विभाग ने हालिया आदेश जारी कर कंपनी की भूमिका समाप्त कर दी।
भविष्य की सभी नियुक्तियाँ सीधे विभागीय नियंत्रण में होंगी।
मामले की EOW या CBI जांच की संभावना पर भी चर्चा तेज है।
बेरोजगार युवा और पात्र महिला उम्मीदवार अब न्याय की उम्मीद कर रहे हैं।
बेरोजगारों और महिलाओं की आवाज़ प्रभावित महिलाओं ने कहा
“हमसे आवेदन शुल्क लिया गया, लेकिन नौकरी पुरुषों को दे दी गई। यह दोहरा अन्याय था।”
युवाओं ने आरोप लगाया
“यह बेरोजगारी का मजाक है। हमारी डिग्रियाँ और मेहनत सब व्यर्थ साबित कर दी गई।”
राजनीतिक और सामाजिक प्रतिक्रिया
विपक्ष ने इसे “रोज़गार घोटाला” करार देते हुए सरकार से तत्काल CBI जांच की मांग की है।
सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि महिला कल्याण योजनाओं के नाम पर ऐसे खेल से समाज में असंतोष और अविश्वास बढ़ता है।
आर्थिक अपराध की परिभाषा
कानूनी विशेषज्ञों के अनुसार, पात्र उम्मीदवारों से वसूली और अपात्रों की भर्ती मिलकर एक संगठित आर्थिक अपराध (Economic Offence) की श्रेणी में आता है। यदि जांच एजेंसियाँ सक्रिय हों तो यह मामला भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम और IPC की कई धाराओं के अंतर्गत दर्ज हो सकता है।
000miles.com ने जिस सच को महीनों पहले उजागर किया था, आज वही तथ्य सरकारी कार्रवाई से पुष्ट हो गया है। यह मामला न केवल महिला कल्याण विभाग की कार्यशैली पर सवाल उठाता है, बल्कि पूरे भर्ती तंत्र की पारदर्शिता पर भी गंभीर प्रश्नचिह्न लगाता है।
अब निगाहें इस बात पर हैं कि
क्या सरकार जांच एजेंसियों को औपचारिक रूप से मामले में उतारेगी?
क्या प्रभावित महिलाओं और युवाओं को न्याय मिलेगा?
और क्या भविष्य में ऐसी कंपनियों को विभागीय प्रक्रियाओं में जगह दी जाएगी या नहीं?
संक्षेप में, यह प्रकरण केवल एक भर्ती घोटाले का नहीं, बल्कि महिला कल्याण, बेरोजगारी और शासन की जवाबदेही का है।
000miles.com की खोजपरक पत्रकारिता ने जिस आवाज़ को उठाया, वही आज बदलाव की वजह



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