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“जहां गोलियां थमने का नाम नहीं  लें रही थीं… वहां खड़ा था भारतीय पुलिस सेवा  का शेर”

“जहां गोलियां थमने का नाम नहीं  लें रही थीं… वहां खड़ा था भारतीय पुलिस सेवा  का शेर”

बरसती गोलियों के बीच साहस की कहानी – अनूपपुर के पुलिस अधीक्षक मोती ऊर्रहमान को वीरता पदक

भोपाल का लाल परेड ग्राउंड… आसमान में तिरंगे की लहराती शान, सैनिक बैंड की गूंजती धुन, और हज़ारों की भीड़ के बीच मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के हाथों जब पुलिस अधीक्षक अनूपपुर श्री मोती ऊर्रहमान को वीरतापदक (Gallantry Medal) पहनाया गया, तो पूरा मैदान तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। यह सिर्फ एक सम्मान नहीं था, बल्कि साहस, कर्तव्य और अदम्य जज़्बे की वो गाथा थी, जो बरसते बारूद के बीच लिखी गई थी।

कहानी उस दिन की…

साल 2023, बालाघाट का कान्हावन क्षेत्र। जंगल में हल्की धुंध, परिंदों की आवाज़ों के बीच खुफिया रिपोर्टें लगातार बता रही थीं — भारी संख्या में माओवादी मौजूद हैं।
तत्कालीन कमाण्डेंट हॉकफोर्स, श्री मोती ऊर्रहमान ने स्थिति की गंभीरता को समझते हुए विशेष ऑपरेशन समूह (SOG) को भेजा। दिनांक 22 अप्रैल 2023, सुबह 3 बजे, कडलाफोरेस्टगांव से बालधा फोरेस्ट कैंप की ओर बढ़ती पुलिस टीम अचानक माओवादियों के भीषण हमले में घिर गई।

गोलियों की बौछार…
वन में गूंजती गनफायर की आवाज…
और घात लगाए बैठे नक्सली, जो आत्मसमर्पण की चेतावनी को अनसुना कर सीधे निशाने पर फायरिंग कर रहे थे।

उस पल का साहस

कमांडिंग ऑफिसर मोती ऊर्रहमान ने खुद को कवर से बाहर निकाला, गोलियों की दिशा में रेंगते हुए आगे बढ़े, और अपने साथी जवानों को दो तरफ़ा घेराबंदी के लिए रणनीति दी।
बरसते बारूद के बीच जबाबी फायर… युद्ध कौशल का अद्वितीय प्रदर्शन… और 2 खूंखार, लाखों के इनामी माओवादियों का सफाया। उनके कब्जे से घातक हथियार बरामद हुए और पूरे इलाके में माओवादी नेटवर्क को गहरा झटका लगा।

वीरता की पहचान

इस अदम्य साहस और कर्तव्यपरायणता के लिए राष्ट्रपति सचिवालय ने 14 अक्टूबर 2023 को उन्हें वीरतापदक (Gallantry Medal) देने की घोषणा की थी।
और फिर 15 अगस्त 2025 को स्वतंत्रता दिवस के मुख्य समारोह में, मुख्यमंत्री ने उन्हें पूरे मध्यप्रदेश की ओर से सलाम करते हुए यह सम्मान प्रदान किया।

लाल परेड मैदान में खड़े  भारतीय पुलिस सेवा वर्तमान में। अनूपपुर पुलिस अधीक्षक मोती ऊर्रहमान जी की आँखों में गर्व था अपने साथियों के लिए, अपने कर्तव्य के लिए, और उस मिट्टी के लिए, जिसकी रक्षा उन्होंने अपनी जान की परवाह किए बिना की।

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Kailash Pandey
Anuppur
(M.P.)

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