
“छाता लेकर स्कूल जाते बच्चे, लेकिन फर्जी बिलों में उड़ाए लाखों! अनूपपुर मॉडल स्कूल की ‘निःशुल्क बस सेवा’ में खस्ताहाल गाड़ियाँ, अनुबंध गायब, RTI में गोपनीयता की आड़ – शिक्षा के नाम पर सिस्टम में करोड़ों का खेल”
अनूपपुर के मॉडल स्कूल में निःशुल्क परिवहन सेवा के नाम पर चल रहा करोड़ों का फर्जीवाड़ा
अनूपपुर/पुष्पराजगढ
शिक्षा का अधिकार और सरकार की “निःशुल्क छात्र परिवहन सेवा” का जिस कागज पर वादा लिखा गया, वो कागज अब टपकती हुई पुरानी बसों की छत से भी अधिक कमजोर साबित हो रहा है।
पुष्पराजगढ़ के शासकीय मॉडल सांदीपनि उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में जिन आठ (08) पुरानी और तकनीकी रूप से असुरक्षित बसों से बच्चों को ढोया जा रहा है, उन्हीं बसों के नाम पर महीने के लाखों रुपये का भुगतान किया जा रहा है — वो भी बिना वैध अनुबंध के दस्तावेज सार्वजनिक किए।
महीने का लाखों में किराया, बसें कबाड़ की
स्थानीय सूत्रों और परिवहन विभाग के कर्मचारियों की माने तो इन बसों के संचालन के एवज में प्रत्येक बस का मासिक किराया ₹1 लाख से अधिक तक दर्शाया गया है — यानि 08 बसों के लिए कुल मासिक ₹8 लाख तक की संभावित फर्जी भुगतान व्यवस्था!
जबकि ग्राउंड पर जिन बसों का उपयोग किया जा रहा है, वो
2013-14 मॉडल की पुरानी बसें हैं
कई बार रास्ते में ब्रेकडाउन हो चुकी हैं डेंटिंग-पेंटिंग करके झूठी चमक दी गई है बच्चों को अंदर छाता लगाकर बैठना पड़ता है अनुबंध कैसे हुआ? किसने अनुमोदन किया?

RTI के माध्यम से जब अनुबंध की जानकारी मांगी गई, तो महामाया ट्रेवल्स (शहडोल) द्वारा 8(घ) धारा का हवाला देते हुए जवाब दिया गया कि यह सूचना व्यक्तिगत व्यापार गोपनीयता से जुड़ी है और नहीं दी जा सकती। यानी साफ है कि
ना विद्यालय के पास वाहन अनुबंध की प्रति है
ना परिवहन अधिकारी को वाहन स्वीकृति की प्रक्रिया की जानकारी है
ना किसी ऑनलाइन टेंडर पोर्टल पर यह अनुबंध सार्वजनिक किया गया है
अब बड़े सवाल यह हैं इतनी पुरानी बसें सरकारी स्कूल में कैसे चल रही हैं, जिनका RTO फिटनेस भी संदिग्ध है?
लाखों का मासिक भुगतान किस आधार पर हो रहा है बिना अनुबंध या तकनीकी निरीक्षण के?
जिला शिक्षा अधिकारी व RTO की मिलीभगत के बिना यह घोटाला कैसे संभव है?
क्या यह पूरी व्यवस्था “कमीशन-ठेकेदारी माफिया” के इशारे पर चल रही है?
बच्चों की शिक्षा और सुरक्षा के नाम पर जनता के पैसे का ऐसा दोहन क्या अपराध नहीं है?
प्रशासनिक बयानबाज़ी – जवाब टालू, समाधान नदारद
प्राचार्य आर.पी. सिंह, शास. मॉडल स्कूल पुष्पराजगढ़ ने स्वीकार किया
“हमारे पास बसों के अनुबंध दस्तावेज नहीं हैं, और बसें भी काफी पुरानी हैं। कई बार ऑपरेटर से शिकायत कर चुके हैं।”
शुरेंद्र सिंह गौतम, परिवहन अधिकारी अनुपपुर ने कहा
“मुझे जानकारी नहीं है, अब दस्तावेज मंगवाकर जांच कराएंगे।”
जबसे बस लगी है जनवरी से बच्चों की उपस्थि बढ़ी है दूसरी बात दो सौ बच्चों का इजाफा हुआ हायर सेकंडरी का परीक्षा फल 100प्रतिशत और हाई स्कूल का 98 प्रतिशत रहा । डिजिटल स्मार्ट क्लास से पढ़ाई होती है रोबर्ट लैब से पढ़ाई होती है अन्य सभी सुविधाएं उपलब्ध हैं सीसीटीवी कैमरा सभी क्लास में लगे है जिसकी शिकायत आई थी उस बस को बदल दिया गया है बच्चों की उपस्थि और संख्या लगातार बढ़ रही है साढ़े सात सौ बच्चे हैं पंद्रह किलोमीटर दूरी तक से बच्चे बसों से आते हैं rto विभाग को पूरी जानकारी है बस मालिक का अभी कोई भुगतान नहीं किया गया
जिला शिक्षा अधिकारी तुलाराम आमों
जांच किस आधार पर होगी जब अनुबंध दस्तावेज ही मौजूद नहीं हैं?) बस की फोटो सबूत


MP18 P 0414, MP18 P 0351, MP18 P 2687 जैसी पुरानी-घिसी बसें, जिनके इंजन, बॉडी और इंटीरियर बेहद जर्जर हैं
इन पर स्पष्ट रूप से “GOVT. CM RISE SCHOOL” लिखा गया है, जिससे पता चलता है कि इन्हें बच्चों के लिए विशेष रूप से दिखाया गया
संभावित घोटाले की दिशा
यह एक शिक्षा-परिवहन घोटाले का प्रारंभिक उदाहरण हो सकता है
₹8–10 लाख प्रति माह का संभावित भुगतान, सालाना अनुमानित ₹1 करोड़ से अधिक की राशि
अनुबंध, फिटनेस, GPS, फायर-सेफ्टी, सीट बेल्ट, और BSA निरीक्षण जैसे किसी भी मानक का पालन नहीं
तत्काल जिला स्तर पर विशेष ऑडिट
RTI अपील व सार्वजनिक शपथ-पत्र के आधार पर अनुबंध दस्तावेज सार्वजनिक कराना
लोकायुक्त या EOW जांच की अनुशंसा होनी चाहिए
यह सिर्फ बच्चों की बसों का मामला नहीं, यह सरकारी व्यवस्था की नैतिक जिम्मेदारी का इम्तिहान है।
अगर अब भी आँखें बंद रहीं — तो कल यही बच्चे शिक्षा की जगह सिस्टम से निराशा ही सीखेंगे।



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