Globe’s most trusted news site

, ,

अनूपपुर कांग्रेस की कुर्सी-कथा फूल छाप नेताओं की रेस में लंगड़ा घोड़ा भी आगे!

अनूपपुर कांग्रेस की कुर्सी-कथा फूल छाप नेताओं की रेस में लंगड़ा घोड़ा भी आगे!



अनूपपुर कांग्रेस इस समय बिल्कुल वैसी ही हालत में है, जैसे शादी में दूल्हा न मिले और सारे रिश्तेदार “हमारा छोरा भी काबिल है!” कहते फिरें।
सृजन अभियान नाम की जो राजनीतिक ‘बारात’ निकली है, उसमें न दूल्हा तय है, न फेरे की तारीख, मगर ‘नाचने वाले’ पहले से सज-धजकर तैयार हैं।

पर्यवेक्षक अशोक अर्जुनराव जगताप जिले में दूसरा दौरा पूरा कर चुके हैं और अब तीसरे दौरे के बहाने अनूपपुर की “राजनीतिक स्टेज” पर एक और एपिसोड की शूटिंग शुरू होने वाली है।
अब देखना ये है कि फूल छाप कांग्रेसी बाज़ी मारते हैं या वाकई कोई समर्पित कार्यकर्ता जिलाध्यक्ष की कुर्सी तक पहुंचता है।


जगताप जी की यात्रा  होटल में चर्चा, चाय में राजनीति

पर्यवेक्षक महोदय का यह दौरा अब संगठनात्मक दौरे से ज्यादा होटल-आधारित अनुभव यात्रा बन चुका है।
पहले दौरे में ‘संगठन की नब्ज़’ टटोली,
दूसरे में ‘पार्टी कार्यकर्ताओं की भूख’,
अब तीसरे दौरे में ‘विचारधारा की धड़कन’ सुनने की तैयारी है।

होटल सूर्या में स्वागत ऐसा हुआ जैसे पार्टी ने अभी-अभी चुनाव जीत लिया हो—मगर असलियत में तो सीटें नहीं, सिर्फ कुर्सियों के लिए रस्साकशी चल रही है!


फूल छाप नेता पार्टी में हैं, मगर आत्मा कहीं और है!

अनूपपुर कांग्रेस में ‘फूल छाप’ नेताओं की एक लंबी कतार है पार्टी के मंच पर फोटो, मगर रात में दूसरी पार्टी के नेता के साथ चाय-समोसा।
कुछ नेता तो इतने स्मार्ट हो गए हैं कि दोनों हाथों में रोटी और दोनों पार्टियों में पैर!
दिन में कांग्रेस जिलाध्यक्ष की दावेदारी, और रात को व्हाट्सएप पर भाजपा की रणनीति।


जिलाध्यक्ष की दौड़ “जिसकी भीड़ ज्यादा, वो नेता ज्यादा” सिद्धांत लागू

आज की कांग्रेस में जिलाध्यक्ष बनने के लिए अब जरूरी नहीं कि आप संगठन में वर्षों से काम कर रहे हों।
बस…

50-60 झंडा उठाने वाले दोस्त हो,

एक मीडियाकर्मी हो जो ‘जनसभा में भारी भीड़’ लिख सके,

और एक वीडियो एडिटर हो जो “नेता जी की लोकप्रियता” वाला रील बना दे।


बाकी संगठन की पकड़, विचारधारा, संघर्ष—ये सब पुरानी किताबों की बातें हैं।

दावेदारों की सूची हर मोहल्ले से एक नेता तैयार!

फुंदेलाल सिंह जी का संतोष पांडे तैयार हैं—जैसे टीचर का मनपसंद छात्र।

सुनील सराफ जी के रमेश सिंह और आशीष त्रिपाठी—एक सीट दो उम्मीदवार, गजब तालमेल!

राहुल सिंह खेमे के जीवेंद्र, नागेन्द्र और प्रवीण की ओर से मयंक त्रिपाठी—जिसमें नाम ‘सिंह’ न हो, वो कैसे नेता हो?

गुड्डू चौहान युवा कांग्रेस से—जवानी जोश में है, मगर पार्टी होश में नहीं!

अब तो लगता है कांग्रेस को जिलाध्यक्ष नहीं, पार्टी बैंड पार्टी चाहिए! जहां हर कोई अपना बाजा खुद बजा सके।

जगताप जी का इम्तिहान “कुर्सी पकड़ो या कमर?”

पर्यवेक्षक महोदय के सामने सबसे बड़ी चुनौती ये है कि—

किसे जिलाध्यक्ष बनाएं?

जो सबसे ज़्यादा ज़ोर से ‘जिंदाबाद’ चिल्ला रहा है?

या वो जो फोटो में पीछे खड़ा है मगर जमीनी काम में सबसे आगे है?


यह मामला अब कांग्रेस की संगठनात्मक मजबूती से ज़्यादा “पब्लिक ओपिनियन शो” बन गया है।
TRP वाले नेता आगे, विचारधारा वाले पीछे। घोड़े की पहचान रेस से नहीं, मंजिल से होती है

आज अनूपपुर कांग्रेस की स्थिति देखकर यही कहा जा सकता है—

“जिस रेस में लंगड़ा घोड़ा भी जीत सकता है, वहां अच्छे घोड़े को जोकी बनने भेजा जा रहा है।”



जनता उम्मीद कर रही है कि इस बार कुर्सी उस व्यक्ति को मिले—

जो कांग्रेस के तीनों विधानसभा क्षेत्रों को जोड़ सके,

गुटबाज़ी के घाव भर सके,

और पार्टी को फिर से एक संगठित परिवार बना सके।


बाकी जो “फूल छाप कांग्रेसी” हैं, वे अपने पोस्टर खुद ही बनाएं,
क्योंकि इस बार अगर जनता ने आवाज़ उठा दी, तो सिर्फ कुर्सी नहीं, पार्टी का भी पोस्टमार्टम हो सकता है।


जिनका नाम नहीं आया है, वो अगली प्रेस कॉन्फ्रेंस में हमारी भी दावेदारी थी” कहकर मीडिया में जगह पा सकते हैं।

Tags

Leave a Reply

Ad with us

Contact us : admin@000miles.com

Admin

Kailash Pandey
Anuppur
(M.P.)

Categories

error: Content is protected !!