
रेत चोरों से पीड़ित व्यक्ति
जब कानून की पकड़ ढीली पड़ने लगे और अपराधियों को राजनीति की छाया मिल जाए, तो आम जनता का जीवन असुरक्षित हो जाता है। कुछ ऐसा ही दृश्य देखने को मिल रहा है मध्य प्रदेश के अनूपपुर जिले में और ताजा मामला सामने आया फुनगा चौकी क्षेत्र अंतर्गत छिल्पा गांव में, जहां रेत चोर खुलेआम अपनी गुंडई दिखा रहे हैं। “रेत चोरों” का आतंक इस कदर बढ़ चुका है कि अब वे विरोध करने वाले ग्रामीणों को ट्रैक्टर से कुचलने की धमकियां देने लगे हैं।
यह सिर्फ अवैध खनन का मामला नहीं, यह उस लोकतांत्रिक भयमुक्त जीवन के हनन की कहानी है जिसमें आम नागरिक की आवाज दबा दी जाती है — कभी रेत से, कभी रसूख से।


छिल्पा गांव निवासी बीरबल साहू ने फुनगा चौकी में एक लिखित शिकायत दर्ज कराई है। आरोप है कि एक व्यक्ति नवीन रजक द्वारा उन्हें चोरी की रेत के अवैध परिवहन का विरोध करने पर ट्रैक्टर से कुचलने की धमकी दी गई।
बीरबल साहू का कहना है
“हमारे गांव में रेत चोर दिन-रात चोरी कीअवैध रेत ले जाते हैं। जब हमने विरोध किया, तो जान से मारने की धमकी दी गई। क्या आम आदमी का जीवन अब इतनी सस्ती हो गई है?”
राजनीति और रेत चोरों का गठजोड़?
स्थानीय ग्रामीणों का आरोप है कि इन रेत चोरों को राजनीतिक संरक्षण प्राप्त है। वे खुद को कथित नेता बताते हैं, कुछ पंचायत स्तर की राजनीति में सक्रिय हैं, और इसी का लाभ उठाकर खुलेआम रेत चोरी को अंजाम दे रहे हैं।
“अब रेत चोर नेता बन गए हैं। हाथ में माइक और जेब में ठेकेदारों की सूची लेकर घूमते हैं। जब ग्रामीण आवाज उठाते हैं, तो उन्हें धमकाया जाता है।”
संबंधित विभाग और प्रशासन की निष्क्रियता पर सवाल
फुनगा चौकी क्षेत्र में यह कोई पहला मामला नहीं है। इससे पहले भी कई बार ग्रामीणों ने रेत चोरी और अवैध परिवहन की शिकायतें की हैं, लेकिन कार्यवाही या तो खानापूर्ति तक सीमित रही या फिर किसी अदृश्य दबाव के कारण ठंडे बस्ते में चली गई।
ग्रामीणों की मांग है कि फौरन आरोपियों की गिरफ्तारी होअवैध रेत परिवहन पर रोक लगे
पूरे प्रकरण की जांच उच्च स्तरीय अधिकारियों से करवाई जाए
पीड़ित ग्रामीणों को पुलिस सुरक्षा प्रदान की जाए
अब निगाहें अनूपपुर जिले की पुलिस और जिला प्रशासन पर हैं। यह सिर्फ एक गांव की समस्या नहीं, बल्कि पूरे जिले के लिए कानून-व्यवस्था की परीक्षा बन चुकी है।
यदि समय रहते रेत माफिया और उनके सियासी आका पर लगाम नहीं कसी गई, तो यह अपराध और सत्ता का गठजोड़ जिले की शांति और सामाजिक ताने-बाने को तहस-नहस कर सकता है।
छिल्पा गांव की यह घटना एक चेतावनी है—कि यदि रेत चोरों को “नेतागिरी” की ढाल मिल जाए और प्रशासन मौन धारण कर ले, तो लोकतंत्र सिर्फ नाम बनकर रह जाएगा।
“रेत के नीचे दबती जनतंत्र की चीखें, क्या कोई सुन पाएगा?”



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