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सच के पर्दे के पीछे — एक सस्पेंस-थ्रिलर अपराध कथा

सच के पर्दे के पीछे — एक सस्पेंस-थ्रिलर अपराध कथा

परिचय — एक रिश्ता जो मिशन था

हर रिश्ता एक सौदा है, और हर चेहरा महज एक मुखौटा। यह कहानी उस “अदृश्य गली” की है, जहाँ प्यार, विश्वास और परिवार के नाम पर सिर्फ साजिशें पलती हैं। और उन साजिशों के पीछे होते हैं कुछ ऐसे हाथ जो कभी दिखते नहीं, पर उनकी पकड़ सबसे गहरी होती है। यह कहानी है अद्या सेन की — एक ऐसी महिला की, जो एक हत्याकांड की सूत्रधार मानी गई, लेकिन असल में वह खुद एक बहुत बड़े षड्यंत्र का हिस्सा थी।
परिचय — एक रिश्ता जो मिशन था

अद्या सेन, एक शांत-सी दिखने वाली, आकर्षक और पढ़ी-लिखी युवती, जिसने आदित्य वीर भंडारी नामक ट्रांसपोर्ट व्यवसायी से शादी की थी। शादी का आयोजन हेमवन रिज़ॉर्ट टाउन के आलीशान रिसॉर्ट में हुआ था, और सबने इसे एक आदर्श प्रेम विवाह कहा। लेकिन अद्या की आंखों में जो प्रेम था, वह असल में एक मिशन की झलक थी।

दरअसल, अद्या कभी एक खुफिया एजेंसी — “स्ट्रेटेजिक इंटेलिजेंस के लिए काम कर चुकी थी। उसे निष्कासित कर दिया गया था, एक गुप्त ऑपरेशन में आदेश की अवहेलना के कारण। लेकिन मिशन अधूरा था। उसे एक स्वतंत्र एजेंट की तरह काम पर फिर से जोड़ा गया। मिशन का नाम था

“प्रोजेक्ट स्वतंत्र” लक्ष्य एक अंतरराज्यीय धन-हवाला नेटवर्क और अवैध ट्रांसपोर्ट लॉबी का भंडाफोड़, जिसके सूत्र आदित्य वीर भंडारी तक जाते थे।

प्रेम, विश्वास और जाल

अद्या ने आदित्य को प्यार का ऐसा जाल दिखाया, जिसे आदित्य समझ न सका। वह चतुर था, लेकिन अहंकारी। उसने अद्या की खूबसूरती और होशियारी को कमज़ोर समझ लिया। शादी के कुछ हफ़्तों में अद्या उसके सबसे गुप्त व्यापारिक कागज़ात, लॉग बुक्स और ब्लैक मनी अकाउंट्स तक पहुंच चुकी थी।

पर यहीं कहानी में मोड़ आया। अद्या को शक हुआ कि आदित्य सिर्फ हवाला का मोहरा नहीं है, बल्कि उसके ऊपर कोई और बड़ा चेहरा है — जिसे कोड नेम दिया गया था “साया”। एक यात्रा जो मौत तक पहुंची

शादी के एक महीने बाद, आदित्य ने अद्या को “हनीमून ट्रिप” के नाम पर जाने का प्रस्ताव रखा। अद्या तैयार हो गई, लेकिन इस यात्रा का उद्देश्य हनीमून नहीं, एक गुप्त सौदे की डील थी।

एयरपोर्ट पर उतरने के बाद, वे ईस्ट पाइन रिजॉर्ट में रुके। उसी रात, अद्या ने एक पेन ड्राइव चुराई — उसमें पॉलिटिकल फंडिंग, तस्करी के रूट्स, और विदेशी खुफिया एजेंसियों से लिंक की जानकारी थी।

पर अगली सुबह, आदित्य लापता हो गया।

आदित्य की मौत और अद्या पर संदेह

दो दिन बाद,  पुलिस को एक होटल के कमरे में आदित्य की लाश मिली — गला घोंटा गया था, और मोबाइल गायब था। होटल की एंट्री में सीसीटीवी खराब पाया गया। लेकिन रिसेप्शनिस्ट ने बताया कि उस रात “मिसेस अद्या भंडारी” अकेली कमरे से बाहर निकली थीं — दो बार।

अद्या को मुख्य आरोपी माना गया। वह फरार हो गई।

एक ट्रायल — एक फर्जी साजिश

मीडिया में अद्या को “ब्लैक विडो”, “स्पाय-किलर” तक कहा गया। लेकिन असलियत यह थी कि आदित्य की मौत में साया का हाथ था। अद्या ने जिस ड्राइव को चुराया था, उसी में साया की पहचान का सुराग था। अद्या ने यह जानकारी SIF को भेजनी चाही, लेकिन एजेंसी से भी संपर्क टूट गया।

एक गुमनाम पत्रकार विवेक को अद्या ने मेल किया — वह उसे जानता था, क्योंकि कभी उसका सहकर्मी रह चुका था। विवेक को यह केस मिला एक ब्लैकमेलर की तरह, लेकिन उसकी सोच बदल गई जब उसे सच समझ आया।

रहस्य से पर्दा उठता है

विवेक ने अद्या को एक पुराने गिरजाघर में छिपाया, और वहीँ से दोनों ने “साया” के खिलाफ प्रमाण जुटाने की रणनीति बनाई।

अब सच खुला

साया कोई और नहीं, बल्कि एक नेता का बेटा था, जो एक छद्म एनजीओ के माध्यम से विदेशी फंडिंग का नेटवर्क चला रहा था।

अद्या को ही बलि का बकरा बनाने की साजिश थी, क्योंकि उसने साया के नाम तक पहुँच बना ली थी।

आदित्य, जो पहले मोहरा था, सच्चाई जानकर पलट गया था, लेकिन साया ने उसे मरवा दिया।

SIF में भी अंदरखाने साया के आदमी थे — इसीलिए अद्या को दुश्मन बना दिया गया।

एक और शुरुआत

अद्या ने साया की सच्चाई, ड्राइव के सारे डेटा और उसके पॉलिटिकल लिंक का खुलासा एक लाइव ऑनलाइन वेबिनार में किया, जिसे विवेक ने अंडरग्राउंड सेटअप से चलाया। लाइव वीडियो वायरल हुआ।

साया गिरफ्तार हुआ — लेकिन मामला कोर्ट में अभी भी विचाराधीन है।

अद्या अब कहीं नहीं है — शायद तिब्बत, नेपाल या कहीं और।
विवेक कहता है, “सच हमेशा तस्वीर में नहीं होता। कभी-कभी वह कैमरे के पीछे बैठी उस आंख में होता है, जो रिकॉर्ड नहीं करती… सिर्फ देखती है।”

समाप्ति से पहले एक प्रश्न क्या अद्या सिर्फ एक एजेंट थी… या एक नया चेहरा… किसी और “साया” की? मिलते हैं अगले पार्ट में

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(M.P.)

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