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महाराष्ट्र कोल्हापुर के वैज्ञानिकों ने पानी से चलने वाले चूल्हे का आविष्कार किया?



हाल ही में सोशल मीडिया पर यह दावा किया गया है कि कोल्हापुर, महाराष्ट्र के वैज्ञानिकों ने एक ऐसा चूल्हा विकसित किया है जो आधे लीटर पानी से छह महीने तक जल सकता है, जिससे गैस सिलेंडर की आवश्यकता नहीं रहेगी, कैंसर जैसी बीमारियाँ नहीं फैलेंगी, और वायु प्रदूषण समाप्त हो जाएगा।

हालांकि, इस दावे की पुष्टि के लिए कोई विश्वसनीय समाचार स्रोत या वैज्ञानिक प्रकाशन उपलब्ध नहीं है।

गैस चूल्हों से स्वास्थ्य जोखिम

हाल के अध्ययनों से पता चला है कि गैस चूल्हों से निकलने वाला बेंजीन नामक रसायन कैंसर के जोखिम को बढ़ाता है, विशेषकर बच्चों में।

स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने पाया कि गैस चूल्हों से निकलने वाला बेंजीन पूरे घर में फैल सकता है, जिससे कैंसर का खतरा बढ़ जाता है, खासकर छोटे या अपर्याप्त वेंटिलेशन वाले घरों में। 

एक अन्य अध्ययन में पाया गया कि बच्चों में गैस चूल्हों से निकलने वाले बेंजीन के कारण कैंसर का जोखिम वयस्कों की तुलना में लगभग दोगुना होता है। 
पर्यावरण के अनुकूल विकल्प

गैस चूल्हों के विकल्प के रूप में, कुछ वैज्ञानिक और संगठन पर्यावरण के अनुकूल और स्वास्थ्य-सुरक्षित विकल्पों पर काम कर रहे हैं

थर्मल कुकर्स जॉन्स हॉपकिन्स विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने थर्मल कुकर्स विकसित किए हैं जो कम ईंधन में खाना पकाने में सक्षम हैं, जिससे वायु प्रदूषण और स्वास्थ्य जोखिम कम होते हैं। 

स्मोकलेस स्टोव्स कुछ पेटेंट दस्तावेजों में ऐसे चूल्हों का उल्लेख है जो धुआं रहित डिजाइन के साथ इनडोर वायु प्रदूषण को कम करने में मदद करते हैं। 

कोल्हापुर के वैज्ञानिकों द्वारा पानी से चलने वाले चूल्हे के आविष्कार के दावे की पुष्टि के लिए कोई विश्वसनीय स्रोत उपलब्ध नहीं है।  हालांकि, गैस चूल्हों से होने वाले स्वास्थ्य जोखिमों के बारे में वैज्ञानिक प्रमाण मौजूद हैं, और पर्यावरण के अनुकूल विकल्पों पर काम किया जा रहा है।

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Kailash Pandey
Anuppur
(M.P.)

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