
भारत सरकार के महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा समावेशी, पारदर्शी और एकीकृत सामाजिक विकास के उद्देश्य से देशभर में महिला एवं बाल कल्याण योजनाओं के संचालन के लिए एकसमान गाइडलाइन जारी की गई थी। इन गाइडलाइनों के तहत प्रत्येक राज्य को जिला स्तर पर मिशन शक्ति हब के अंतर्गत पद सृजित कर, प्रशिक्षित और योग्य मानव संसाधन की संविदा नियुक्ति करनी थी। छत्तीसगढ़ सरकार ने इस निर्देश का पालन करते हुए पारदर्शी संविदा भर्ती अपनाई, जबकि मध्यप्रदेश सरकार ने भर्ती प्रक्रिया को एक निजी आउटसोर्सिंग एजेंसी T&M Services Consulting Pvt. Ltd. को सौंप दिया।
इस निर्णय के बाद से ही मध्यप्रदेश में भर्ती प्रक्रिया को लेकर भारी असंतोष और आरोप उभरकर सामने आए हैं। स्थानीय जनप्रतिनिधियों, बेरोजगार युवाओं और सामाजिक संगठनों ने इस प्रक्रिया में अनियमितता, मनमानी और भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं। आइए विस्तार से समझते हैं कि यह पूरा मामला क्या है, इसके पीछे क्या गाइडलाइन है, कौन-कौन से पद निकाले गए हैं और विवाद किन बिंदुओं पर खड़े हुए हैं।
केंद्र की गाइडलाइन समानता, पारदर्शिता और सशक्तिकरण पर ज़ोर महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की 2022-26 की कार्ययोजना “मिशन शक्ति” के तहत निर्देश दिया गया था कि:
प्रत्येक जिले में District Level Mission Shakti Cell की स्थापना हो।
नियुक्तियां राज्य सरकार द्वारा पारदर्शी संविदा प्रक्रिया से की जाएं।
नियुक्ति प्रक्रिया में आउटसोर्सिंग की व्यवस्था का उल्लेख नहीं था।
कार्यबल में स्थानीय, अनुभवी और विषय विशेषज्ञों को प्राथमिकता दी जाए।
इसका उद्देश्य था कि हर जिले में योजनाओं का एकीकृत संचालन हो सके और महिलाओं व बच्चों को वास्तविक लाभ मिल सके।
छत्तीसगढ़ में संविदा भर्ती पारदर्शिता का उदाहरण छत्तीसगढ़ सरकार ने इन गाइडलाइनों के अनुरूप जिला स्तर पर खाली पदों की पहचान की और सीधी संविदा भर्ती प्रक्रिया अपनाई। विज्ञापन निकाला गया, ऑनलाइन आवेदन आमंत्रित किए गए, मेरिट के आधार पर चयन प्रक्रिया हुई और पूरी प्रक्रिया में किसी निजी कंपनी को शामिल नहीं किया गया।
इस प्रक्रिया में जिला मिशन समन्वयक, लेखा सहायक, आईटी सहायक जैसे पदों पर स्थानीय बेरोजगारों को अवसर मिले। न ही किसी तरह की धनराशि वसूली का आरोप लगा और न ही चयन प्रक्रिया पर सवाल।
मध्यप्रदेश में T&M Services के ज़रिए भर्ती विवाद और आरोप मध्यप्रदेश सरकार ने इन्हीं गाइडलाइनों के तहत भर्ती प्रक्रिया को एक निजी कंपनी T&M Services Consulting Pvt. Ltd. को सौंप दिया। यह कंपनी निजी HR स्टाफिंग क्षेत्र में कार्यरत है।
भर्ती का स्वरूप
आवेदन प्रारंभ 12 मार्च 2025
अंतिम तिथि 18 मार्च 2025
परीक्षा तिथि 9 अप्रैल 2025, OMR आधारित
स्थान भोपाल
पदों का विवरण (कुल 416 पद)
पात्रता पदों के अनुसार स्नातक से लेकर स्नातकोत्तर तक की डिग्री, संबंधित क्षेत्र में 3 से 5 वर्षों का अनुभव अनिवार्य।
विवाद का मूल कारण मध्यप्रदेश के बालाघाट जिले के विधायक राजकुमार कर्राहे ने आरोप लगाया कि बेरोजगारों से नौकरी के नाम छलावा किया जा रहा है
उनके अनुसार
भर्ती प्रक्रिया में पारदर्शिता नहीं है।
आवेदन की प्रक्रिया अस्पष्ट रखी गई।
कंपनी द्वारा साक्षात्कार और परीक्षा प्रक्रिया में भी अनियमितता बरती जा रही है।
स्थानीय युवाओं को बाहर से आए उम्मीदवारों के मुकाबले प्राथमिकता नहीं दी गई।
प्रभाव और प्रतिक्रिया
बेरोजगार युवाओं में रोष
कर्मचारी संगठनों द्वारा विरोध प्रदर्शन
सामाजिक संगठनों ने की CBI जांच की मांग
क्या एक ही गाइडलाइन की अलग-अलग व्याख्या संभव है? तकनीकी रूप से राज्य सरकारें केंद्र द्वारा जारी स्कीम्स को अपने प्रशासनिक अधिकार के तहत लागू कर सकती हैं, लेकिन यदि क्रियान्वयन मूल उद्देश्य को प्रभावित करता है (जैसे पारदर्शिता, समानता), तो यह गाइडलाइन का उल्लंघन माना जाता है।
T&M Services का चयन कैसे हुआ?
यह जानकारी अब तक सार्वजनिक नहीं की गई है कि विभाग ने इस कंपनी का चयन किस आधार पर किया।
न ही टेंडर प्रक्रिया की कोई स्पष्ट सूचना सार्वजनिक डोमेन में उपलब्ध है।
इससे यह संदेह पैदा होता है कि चयन प्रक्रिया में पारदर्शिता नहीं बरती गई। जब कम्पनी चयन ही सही नियम से नहीं किया गया तो वह भर्ती प्रक्रिया सही कैसे अपनाएगी सबसे बड़ा सवाल
मध्यप्रदेश में महिला एवं बाल विकास विभाग की यह भर्ती प्रक्रिया कई स्तरों पर सवालों के घेरे में है। एक ओर जहाँ छत्तीसगढ़ जैसे राज्य पारदर्शिता की मिसाल पेश करते हैं, वहीं एमपी में आउटसोर्सिंग की प्रक्रिया भ्रष्टाचार की आंच में घिरी है। केंद्र सरकार को चाहिए कि वह इस विषय पर राज्यों को स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी करे ताकि समान योजना क्रियान्वयन में असमान व्यवहार की स्थिति समाप्त की जा सके। साथ ही, सभी भर्तियों की निगरानी एक स्वतंत्र और निष्पक्ष समिति द्वारा की जानी चाहिए ताकि पारदर्शिता, योग्यता और निष्पक्षता सुनिश्चित हो सके।
संभावित समाधान
सभी राज्यों के लिए भर्ती प्रक्रिया गाइडलाइन
निजी कंपनियों की भूमिका सीमित करना
टेंडर प्रक्रिया की सार्वजनिक निगरानी
उम्मीदवारों को अपील और शिकायत निवारण मंच प्रदान करना



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