
सनातन संस्कृति के इतिहास में भगवान परशुराम को एक अमर पुरुष, तपस्वी ब्राह्मण योद्धा और धर्म के महान रक्षक के रूप में पूजा जाता है। उनका प्रकटोत्सव न केवल ब्राह्मण समाज बल्कि पूरे सनातन धर्मावलंबियों के लिए प्रेरणा का पर्व होता है। यह दिन उस दिव्य क्षण की स्मृति है जब भगवान विष्णु के छठे अवतार के रूप में परशुराम जी का पृथ्वी पर अवतरण हुआ था—जो धर्म की रक्षा, अत्याचार के विनाश और न्याय की स्थापना के लिए संकल्पित थे। ऐसे दिव्य अवसर पर अनूपपुर जिले में अखिल भारतीय ब्राह्मण एकीकृत परिषद द्वारा आयोजित भगवान परशुराम प्रकटोत्सव न केवल आध्यात्मिक चेतना को जागृत करेगा, बल्कि सामाजिक समरसता, सांस्कृतिक गौरव और सनातन मूल्यों को भी सुदृढ़ करेगा।
विशेष आयोजन की रूपरेखा
अखिल भारतीय ब्राह्मण एकीकृत परिषद के जिलाध्यक्ष पंडित विद्याधर पांडेय ने जानकारी दी है कि दिनांक 30 अप्रैल बुधवार को दोपहर 3:00 बजे से वार्ड नंबर 04 स्थित श्रीराम जानकी मंदिर, अनूपपुर में भगवान परशुराम जन्मोत्सव भव्य रूप से मनाया जाएगा। इस आयोजन की विशेष गरिमा रहेगी संत समाज के दो दिग्गज आध्यात्मिक महापुरुषों की उपस्थिति से:
स्वामी बाबा लवलीनदास जी महाराज, सचिव, मठाधीश, धारकुंडी आश्रम, अमरकंटक
जगत स्वामी दांडी जी महाराज, हनुमंत आश्रम, खामिडोल, अनूपपुर
इन दिव्य संतों के आशीर्वचनों से कार्यक्रम आध्यात्मिक ऊंचाइयों को स्पर्श करेगा।
समारोह में जिलेभर से आए विप्र समाज के प्रमुख गणमान्यजन इस आयोजन की शोभा बढ़ाएंगे। इनमें प्रमुख रूप से
पं. राम नारायण द्विवेदी (संयोजक)
पं. धर्मेंद्रकांत तिवारी (जिलामहासचिव, आर्यावर्त ब्राह्मण महासभा)
पं. जनार्दन मिश्रा (जिला अध्यक्ष, अखिल भारतीय ब्राह्मण समाज)
इसके अतिरिक्त दर्जनों श्रद्धेय ब्राह्मणजनों की गरिमामयी उपस्थिति इस आयोजन को अत्यंत विशिष्ट बनाएगी। पं. सुरेंद्र शुक्ला, पं. मधुकर चतुर्वेदी, पं. सतेन्द्र स्वरूप दुबे, पं. संतोष मिश्रा, पं. शिवनारायण चौबे, पं. राजमणि पांडे, पं. मयंक त्रिपाठी सहित समस्त विप्रजन कार्यक्रम की आध्यात्मिक ऊष्मा का संवहन करेंगे।
कार्यक्रम की विधि-विधान
समारोह की शुरुआत परंपरागत वैदिक रीति से की जाएगी। सबसे पहले पं. विद्याधर पांडे द्वारा शपथ पूजन एवं वैदिक आह्वान किया जाएगा। तत्पश्चात मुख्य अतिथि संतों का पारंपरिक तरीके से स्वागत कर उन्हें सभा स्थल तक लाया जाएगा। भगवान परशुराम जी का वैदिक मंत्रोच्चार एवं पुष्पार्चन कर विधिवत पूजन किया जाएगा। पूजन के पश्चात मंच पर संतों को सम्मानित कर उनके आध्यात्मिक वचनों को समाज तक पहुंचाया जाएगा।
प्रसाद वितरण एवं समापन
अंत में सभी उपस्थित श्रद्धालुओं को महाप्रसाद वितरण के साथ आयोजन का समापन किया जाएगा। आयोजन समिति द्वारा जिलेवासियों, विशेष रूप से विप्र समाज से अपील की गई है कि अधिक से अधिक संख्या में उपस्थित होकर इस दिव्य आयोजन को सफल बनाएं और भगवान परशुराम की कृपा के पात्र बनें।
संस्कृति, श्रद्धा और समरसता का संगम
यह आयोजन न केवल धार्मिक परंपरा का प्रतीक है, बल्कि समाज को एकजुट करने वाला अद्वितीय अवसर भी है। जहां वैदिक परंपराओं का पुनरावलोकन होगा, वहीं युवा पीढ़ी को अपनी जड़ों से जोड़ने का माध्यम भी यह पर्व सिद्ध होगा। ब्राह्मण समाज की सांस्कृतिक चेतना और सामाजिक सहभागिता का यह उदाहरण आने वाले वर्षों तक अनुकरणीय बना रहेगा।
समाज के लिए संदेश
भगवान परशुराम का जीवन त्याग, ज्ञान, पराक्रम और न्यायप्रियता का प्रतीक है। आज के सामाजिक परिप्रेक्ष्य में उनके आदर्शों का पालन करना अत्यंत आवश्यक है। यह आयोजन हर उस व्यक्ति को प्रेरणा देगा जो धर्म, संस्कृति और समाज के प्रति अपनी ज़िम्मेदारी निभाना चाहता है।
समापन व संदेश
विप्र समाज द्वारा आयोजित यह दिव्य आयोजन एक बार फिर सिद्ध करेगा कि जब धर्म, श्रद्धा और संगठन एक साथ होते हैं, तो समाज में समरसता, स्थिरता और शक्ति का संचार अवश्य होता है। भगवान परशुराम प्रकटोत्सव की सभी को हार्दिक शुभकामनाएँ।



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