
कोयला खदानें केवल ऊर्जा का स्रोत नहीं, बल्कि भ्रष्टाचार और माफियागिरी का अड्डा बन चुकी हैं। खनन क्षेत्र में यदि ईमानदारी की लौ जलती भी है तो उसे काले धुएं में दबा दिया जाता है। Secl सोहागपुर एरिया की रामपुर खुली कोयला खदान (OCM) में इन दिनों एक संगठित लूट का तंत्र चल रहा है, जहां ‘रोड सेल’ के नाम पर प्रति ट्रक की अवैध वसूली की जा रही है। यह अवैध कारोबार किसी एक स्तर पर नहीं, बल्कि गेटकीपर से लेकर खदान प्रमुख तक का हिस्सा तय है।
इस काले खेल के पीछे ट्रांसपोर्टर, लोडिंग इंचार्ज, रोड सेल इंचार्ज, कांटा घर के कर्मचारी, मैनेजर और ऊंचे पदों पर बैठे सफेदपोशों का गठजोड़ है। ट्रकों को कोयला तभी मिलता है जब ‘मोल-भाव’ पूरा हो जाता है। जो जितना देता है, उसे उतनी ही बेहतर गुणवत्ता का कोयला मिलता है, और जो नहीं देता, उसका रास्ता बंद कर दिया जाता है।
संगठित लूट: ‘हैंड लोडिंग’ से खुली कोयला खदान में खेल!

रामपुर खुली खदान में हैंड लोडिंग पूरी तरह प्रतिबंधित है। खदानों से निकला कोयला उसी ग्रेड में डीईओ धारकों (Direct E-auction Holders) को मिलना चाहिए, जिसके लिए नीलामी हुई है। लेकिन सच्चाई इससे उलट है।
हैंड लोडिंग का खेल
प्रतिबंध के बावजूद टैरेक्स मशीनों से उच्च गुणवत्ता का कोयला चोरी-छिपे निकाला जा रहा है और उसे उन ट्रकों में लोड किया जाता है, जो ‘सही कीमत’ चुकाते हैं।
इस पूरी प्रक्रिया को रोड सेल इंचार्ज की निगरानी में अंजाम दिया जाता है।
गेट पास और ट्रांसपोर्टरों की संदेहास्पद भूमिका
कोयले से लदे ट्रकों का गेट पास और ट्रांसपोर्टरों की बिल्टी पूरी तरह संदेह के घेरे में हैं।
रोज़ करोड़ों रुपये का गोरखधंधा चल रहा है, लेकिन जिम्मेदार ‘सब कूल-कूल’ के अंदाज में आंख मूंदे बैठा है।

मजदूरों का शोषण
हैंड लोडिंग में लगे मजदूरों को कोई सुरक्षा, बीमा या पीएफ नहीं मिलता।
इन्हें ठेकेदारों के भरोसे छोड़ दिया जाता है, और कभी भी हादसा हो जाए, कोई जिम्मेदारी लेने वाला नहीं।
कई बार हैंड लोडिंग करने वालों में झगड़े और हिंसा तक हो जाती है।
कोल माफिया का वर्चस्व ‘जो देगा, वही लेगा’
रामपुर खुली खदान में ‘जो देगा, वही लेगा’ की नीति चल रही है। कोल माफिया के आगे हर सिस्टम बौना साबित हो रहा है। सवाल यह उठता है कि क्या इस पूरे खेल की जानकारी स्थानीय प्रशासन, पुलिस और खदान प्रबंधन को है, तो कार्रवाई क्यों नहीं होती? या तंत्र कमजोर है सुरक्षा गार्ड केवल वसूली में व्यस्त
ट्रकों की आवाजाही पर नज़र रखने के लिए सुरक्षा गार्ड तैनात किए गए हैं, लेकिन उनकी असली भूमिका प्राइवेट गुंडों की तरह वसूली करवाने की है।
जो ट्रक ‘न्यूनतम प्रति टन नहीं देता, उसे खदान के अंदर घुसने ही नहीं दिया जाता। प्राइवेट वसूली एजेंटों की तैनाती
खदान के बाहर प्राइवेट लोग बिठाए गए हैं, जो ‘सही ट्रक’ और ‘गलत ट्रक’ का फैसला करते हैं।
जिन ट्रकों से वसूली नहीं हो पाती, उन्हें अंदर जाने नहीं दिया जाता।

सरकारी मशीनरी की चुप्पी ‘ऊपर तक खेल फैला हुआ है!’
रामपुर OCM में चल रही अवैध वसूली और कोयला हेराफेरी को लेकर सबसे बड़ा सवाल यही है कि जिम्मेदार अधिकारी क्यों चुप हैं?
क्या यह मुमकिन है कि बिना ‘ऊपर’ की मिलीभगत के यह सब चल सके?
क्या रोड सेल इंचार्ज, ट्रांसपोर्टर, कांटा बाबू और मैनेजर अकेले यह खेल चला रहे हैं, या फिर इसका हिस्सा ‘बड़े साहब’ भी हैं?

कोल माफिया का साम्राज्य कब तक चलेगा?
Secl की सोहागपुर एरिया की रामपुर खुली खदान का यह घोटाला सिर्फ एक उदाहरण है। यह पूरा तंत्र इस बात का सुबूत है कि कोल माफिया का प्रभाव इतना मजबूत है कि सरकारी नियम, प्रशासन और कानून इनके सामने बौने साबित हो जाते हैं।
हर दिन कोई न कोई ट्रक अवैध रूप से लोड होकर निकलता है, हर दिन कोई न कोई मजदूर इस शोषण का शिकार बनता है ।
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