
भालूमाड़ा क्या यह लापरवाही का मामला है, या किसी गहरी साजिश की ओर इशारा करता है
जमुना कोतमा, 22 मार्च 2025 – भीआईपी गेस्ट हाउस में कार्यरत महिला मजदूर श्रीमती कोदी बाई की ड्यूटी के दौरान संदेहास्पद परिस्थितियों में मौत हो गई। यह घटना कई सवाल खड़े कर रही है, क्योंकि उनकी बिगड़ती हालत को नजरअंदाज किया गया, और उन्हें उचित समय पर चिकित्सा सहायता नहीं मिली। ऐसा बताया जा रहा है।
सूत्रों के अनुसार, 22 मार्च की दोपहर करीब 12 बजे कोदी बाई को ड्यूटी के दौरान चक्कर महसूस हुआ। वहां मौजूद प्रबंधन से जुड़े लोगों ने उन्हें एक कमरे में लेटाया और बेलपत्र जैसी पारंपरिक चीजें खिलाने की कोशिश की। इसके बाद उनकी तबीयत पर कोई ध्यान नहीं दिया गया।
गंभीर सवाल यह उठता है कि क्या मेडिकल सुविधा उपलब्ध थी? अगर उन्हें समय रहते उचित इलाज मिलता, तो क्या उनकी जान बच सकती थी?
कोल इंडिया के चेयरमैन का दौरा और प्रबंधन की व्यस्तता
सूत्रों के मुताबिक, 23 मार्च को कोल इंडिया के चेयरमैन का दौरा प्रस्तावित था। ऐसे में पूरा प्रबंधन दौरे की तैयारियों में व्यस्त था। इसी कारण कोदी बाई की बिगड़ती हालत की अनदेखी की गई और किसी ने उनकी स्थिति की गंभीरता को नहीं समझा।
करीब 2:30 से 3:00 बजे के बीच जब लोग कमरे में पहुंचे, तब तक कोदी बाई अचेत अवस्था में मिलीं। आनन-फानन में उन्हें अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।
प्रबंधन की लापरवाही पर उठते सवाल

ड्यूटी के दौरान किसी कर्मचारी की तबीयत बिगड़ने पर क्या आपातकालीन चिकित्सा सहायता उपलब्ध थी?
क्या प्रबंधन ने स्थिति को हल्के में लिया और समय रहते उचित कदम नहीं उठाए?
क्या यह एक प्राकृतिक मौत थी, या इसमें कोई और पहलू छिपा हुआ है?
क्या महिला कर्मचारियों के लिए पर्याप्त स्वास्थ्य सुरक्षा उपाय मौजूद हैं?
कानूनी और प्रशासनिक प्रक्रिया में देरी की आशंका
कोदी बाई की मृत्यु के बाद पोस्टमार्टम रिपोर्ट और बीटीसी (बॉडी ट्रांसपोर्ट सर्टिफिकेट) प्रक्रिया को लेकर भी सवाल खड़े हो रहे हैं।
क्या पोस्टमार्टम रिपोर्ट निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से तैयार की गई?
क्या परिवार को रिपोर्ट समय पर मिली?
क्या मृत्यु के पीछे कोई दबाव या प्रबंधन की ओर से कोई लापरवाही छिपाई जा रही है?
आश्रितों को मुआवजा और रोजगार कब तक?
ड्यूटी के दौरान हुई मौत के बाद पीड़ित परिवार को मिलने वाले मुआवजे और आश्रित को रोजगार देने की प्रक्रिया भी सवालों के घेरे में है।
क्या पीड़ित परिवार को जल्द मुआवजा मिलेगा या यह मामला भी फाइलों में दब जाएगा?
कोदी बाई के आश्रित को स्थायी रोजगार कब मिलेगा?
क्या सरकार या प्रबंधन इस मामले को गंभीरता से लेगा?
जांच की मांग और निष्पक्ष कार्रवाई की जरूरत
इस पूरे मामले में एक निष्पक्ष और गहन जांच की जरूरत है, ताकि यह स्पष्ट हो सके कि कोदी बाई की मृत्यु प्राकृतिक थी या लापरवाही का नतीजा। यदि प्रबंधन की लापरवाही सामने आती है, तो दोषियों पर कार्रवाई सुनिश्चित होनी चाहिए।
अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि प्रशासन और कोल इंडिया प्रबंधन इस मामले में कितनी पारदर्शिता और तत्परता से कार्रवाई करता है। क्या कोदी बाई के परिवार को न्याय मिलेगा? या यह मामला भी अन्य मामलों की तरह अनदेखा कर दिया जाएगा?
सवाल जो अब भी बने हुए हैं
1. ड्यूटी के दौरान हुई मृत्यु की जिम्मेदारी कौन लेगा?
2. आश्रितों को मुआवजा और नौकरी देने में कितना समय लगेगा?
3. पोस्टमार्टम रिपोर्ट और मेडिकल प्रक्रियाओं में कोई हेरफेर तो नहीं हुआ?
4. क्या महिला श्रमिकों की सुरक्षा और स्वास्थ्य के लिए उचित कदम उठाए जाएंगे?
अब इस पूरे प्रकरण पर सभी की नजरें टिकी हैं। क्या यह मामला सिर्फ एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना है या फिर इसके पीछे कोई गंभीर लापरवाही छिपी है? जवाब अब प्रशासन और जांच एजेंसियों के हाथ में है।
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