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शहडोल का एक गांव”विचारपुर, जहां हर गली में जन्म लेते हैं फुटबॉल सितारे”

शहडोल का एक गांव”विचारपुर, जहां हर गली में जन्म लेते हैं फुटबॉल सितारे”

विचारपुर फुटबॉल के जरिए बदली तकदीर, अब ‘मिनी ब्राजील’ के नाम से मशहूर
कोच रईस अहमद की मेहनत ने बनाया विचारपुर को ‘मिनी ब्राजील’, हर घर से निकल रहे फुटबॉल चैंपियन!
मध्य प्रदेश के शहडोल जिले का एक छोटा-सा गांव विचारपुर आज देशभर में अपनी फुटबॉल प्रतिभा के लिए पहचाना जाता है। यह वही गांव है, जहां कभी शराब और नशे की जड़ें गहरी थीं, लेकिन अब यहां के युवा फुटबॉल के मैदान में अपनी चमक बिखेर रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने भी इस गांव की तारीफ अपने ‘मन की बात’ कार्यक्रम में की थी, जहां उन्होंने इसे ‘मिनी ब्राजील’ का खिताब दिया।

शराब से फुटबॉल तक संघर्ष और बदलाव की कहान
90 के दशक में विचारपुर एक ऐसा गांव था, जहां अवैध शराब का धंधा चरम पर था। गांव के युवाओं का जीवन दिशाहीन था और अपराध बढ़ते जा रहे थे। इसी दौर में पूर्व राष्ट्रीय फुटबॉल खिलाड़ी रईस अहमद ने इस गांव को एक नया रास्ता दिखाने का बीड़ा उठाया। उन्होंने गांव के युवाओं को फुटबॉल के प्रति जागरूक किया और उन्हें मैदान की ओर मोड़ा।
संभावनाओं से भरे युवाओं ने जब फुटबॉल को अपनाया, तो यह खेल धीरे-धीरे गांव की संस्कृति बन गया। आज स्थिति यह है कि इस गांव के हर घर में एक फुटबॉल खिलाड़ी मौजूद है, जो किसी न किसी स्तर पर खेल चुका है।

फुटबॉल बना जीवन का आधार
विचारपुर के युवा अब न सिर्फ शहडोल जिले बल्कि राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी पहचान बना रहे हैं। यहां से लगभग 200 से अधिक खिलाड़ी मध्य प्रदेश टीम के लिए खेल चुके हैं और कई खिलाड़ी आई-लीग और संतोष ट्रॉफी में भी हिस्सा ले चुके हैं।
गांव के सचिन सिंह, दीपक मरावी, अभिषेक सिंह और रोशन बैगा जैसे खिलाड़ी अब राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बना रहे हैं। इनकी सफलता ने अन्य युवाओं को भी प्रेरित किया है, जिससे गांव में फुटबॉल का जुनून और भी बढ़ता जा रहा है।

प्रशासन और सरकार की नजर में आया विचारपुर
प्रधानमंत्री मोदी के ‘मन की बात’ में विचारपुर का जिक्र होने के बाद अब राज्य सरकार और खेल विभाग भी इस गांव के विकास पर ध्यान देने लगे हैं। सरकार ने यहां एक फुटबॉल अकादमी स्थापित करने की योजना बनाई है, ताकि भविष्य में और भी प्रतिभाशाली खिलाड़ी यहां से निकल सकें।
स्थानीय प्रशासन ने भी यहां स्टेडियम और प्रशिक्षण सुविधाएं विकसित करने की घोषणा की है, जिससे गांव के खिलाड़ी बेहतर कोचिंग प्राप्त कर सकें और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का प्रतिनिधित्व कर सकें।
सही दिशा में प्रयास से बदलाव संभव है विचारपुर गांव इस बात का प्रमाण है कि अगर सही मार्गदर्शन मिले तो कोई भी समुदाय अपनी पहचान बदल सकता है।
खेल नशे और अपराध से दूर रखने का माध्यम बन सकता है: फुटबॉल ने इस गांव को नशे की दलदल से बाहर निकाला और युवाओं को सही राह दिखाई।
स्थानीय नेतृत्व बदलाव ला सकता है कोच रईस अहमद और अन्य वरिष्ठ खिलाड़ियों ने युवाओं को फुटबॉल के लिए प्रेरित किया, जिससे पूरे गांव का भविष्य बदल गया।

सफलता दूर नहीं, बस संघर्ष चाहिए विचारपुर के युवा अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जाने का सपना देख रहे हैं, जो इस बात को साबित करता है कि सफलता मेहनत और लगन से ही संभव है।
शहडोल जिले का विचारपुर गांव केवल एक गांव नहीं, बल्कि एक मिसाल है। यह दिखाता है कि खेल सिर्फ मनोरंजन नहीं, बल्कि सामाजिक बदलाव का भी साधन है। फुटबॉल ने यहां की युवा पीढ़ी को नया जीवन दिया और आज यह गांव ‘मिनी ब्राजील’ के रूप में पहचाना जाता है।
अगर सरकार और प्रशासन इस गांव की फुटबॉल प्रतिभा को सही दिशा में आगे बढ़ाने में सहयोग करें, तो आने वाले वर्षों में विचारपुर से निकलने वाले खिलाड़ी न केवल भारत का नाम रोशन करेंगे, बल्कि यह गांव अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल मानचित्र पर अपनी जगह बना सकता है।

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