
मध्य प्रदेश बोर्ड परीक्षा में नकल गिरोह का भंडाफोड़ अनूपपुर जिलेपुष्पराजगढ़ के सरकारी स्कूल पोड़की शिक्षकों की करतूत उजागर
मध्य प्रदेश में बोर्ड परीक्षाएं शुरू होते ही नकल माफियाओं की सक्रियता बढ़ जाती है। हर साल प्रशासन नकल रोकने के लिए कड़े कदम उठाता है, लेकिन कुछ शिक्षकों और परीक्षा केंद्रों की मिलीभगत से यह धंधा बदस्तूर जारी रहता है। अनूपपुर जिले के पुष्पराजगढ़ तहसील के पोड़की शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां शिक्षक खुद छात्रों को नकल कराने के लिए प्रश्न बैंक से उत्तर हल कर रहे थे।
इस घटना का वीडियो वायरल होते ही प्रशासन हरकत में आया। कलेक्टर हर्षल पंचोली ने तत्काल टीम भेजकर जांच कराई और अतिथि शिक्षक मोहन लाल चंद्रवंशी, प्रेमलाल दर्केश, सहायक केंद्राध्यक्ष सुशीला सिंह, और एक प्यून को अमरकंटक थाना बुलाकर पूछताछ शुरू की गई। इस खुलासे ने पूरे शिक्षा तंत्र को झकझोर कर रख दिया है ।
26 फरवरी 2025, दोपहर का समय। पोड़की के सरकारी उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में बोर्ड परीक्षा चल रही थी। बाहर गांव के कुछ स्थानीय लोग इधर-उधर घूम रहे थे। तभी कुछ ग्रामीणों ने देखा कि स्कूल के पीछे झाड़ियों के बीच एक संकरी पगडंडी पर दो लोग बैठे हैं। वे हाथ में किताब और कागज लिए कुछ लिख रहे थे।
जैसे-जैसे ग्रामीण नजदीक पहुंचे, उन्हें समझ आया कि ये शिक्षक हैं और प्रश्न बैंक से उत्तर हल कर रहे हैं। नकल कराने की इस सुनियोजित योजना का पर्दाफाश करने के लिए ग्रामीणों ने वीडियो बना लिया और इसे प्रशासन तक पहुंचा दिया।
वीडियो में अतिथि शिक्षक मोहन लाल चंद्रवंशी और प्रेमलाल दर्केश प्रश्नों के उत्तर हल कर रहे थे। सहायक केंद्राध्यक्ष सुशीला सिंह भी इसमें संलिप्त पाई गईं, और स्कूल के प्यून की भी इस गोरखधंधे में भूमिका सामने आई।
कलेक्टर की सख्त कार्रवाई
वीडियो वायरल होते ही जिला प्रशासन हरकत में आया। कलेक्टर हर्षल पंचोली ने तुरंत जांच टीम गठित कर मौके पर भेजी। जांच में नकल कराने की पुष्टि होते ही सभी आरोपियों को अमरकंटक थाना बुलाया गया।
अब इन शिक्षकों और स्कूल प्रशासन से कड़ी पूछताछ की जा रही है। FIR दर्ज करने की प्रक्रिया जारी है और इनके खिलाफ शिक्षा अधिनियम की धारा 144 के तहत कठोर कार्रवाई की जा सकती है।
कैसे चल रहा था नकल का खेल?
शिक्षक परीक्षा केंद्र के अंदर उत्तर लाने में असमर्थ छात्रों की मदद कर रहे थे।
प्रश्न बैंक से मिलते-जुलते प्रश्न हल किए जा रहे थे।
झाड़ियों के पीछे बैठकर पर्चियां तैयार की जा रही थीं, ताकि छात्रों को सही उत्तर आसानी से मिल जाएं।
सहायक केंद्राध्यक्ष और प्यून भी इस नेटवर्क का हिस्सा थे, जो पर्चियां अंदर पहुंचाने में मदद कर रहे थे।
यह पूरा मामला दर्शाता है कि कैसे परीक्षा केंद्रों में नकल माफिया गहराई तक जड़ें जमा चुके हैं।
बोर्ड परीक्षाओं में नकल का काला सच
मध्य प्रदेश में हर साल बोर्ड परीक्षा के दौरान नकल के मामले सामने आते हैं। ग्रामीण इलाकों में तो यह और भी गंभीर है, जहां कुछ स्कूल प्रशासन और स्थानीय लोग मिलकर इस धंधे को बढ़ावा देते हैं।
इस साल नकल रोकने के लिए मोबाइल फोन प्रतिबंध, परीक्षा कक्षों में सीसीटीवी कैमरे और सख्त पर्यवेक्षण के नियम लागू किए गए थे। बावजूद इसके, यह मामला दर्शाता है कि किस तरह नियमों की धज्जियां उड़ाई जाती हैं।
क्या होगा अब?
आरोपियों के खिलाफ FIR दर्ज होगी।
इन शिक्षकों की सेवा समाप्ति तय मानी जा रही है।
परीक्षा केंद्र को ब्लैकलिस्ट किया जा सकता है।
प्रशासन सभी परीक्षा केंद्रों पर अचानक निरीक्षण करेगा।
यह मामला सिर्फ परीक्षा में नकल का नहीं, बल्कि पूरे शिक्षा तंत्र में फैली अनियमितताओं का प्रतिबिंब है। जब शिक्षक खुद नकल करवाने में शामिल हों, तो छात्रों से ईमानदारी की उम्मीद कैसे की जाए?



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