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खरगोन। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के पर्यटन को बढ़ावा देने की पहल को मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव सार्थक कर रहे हैं। पवित्र व पर्यटन नगरी महेश्वर में देवी अहिल्याबाई के 300वीं जयंती वर्ष को समर्पित डेस्टिनेशन कैबिनेट बैठक हुई। सीएम ने कहा कि प्रदेश के 17 धार्मिक शहरों में शराबंदी पर फैसला लिया गया है।
दुकानों को शिफ्ट नहीं किया जाएगा
प्रदेश में शराब बंदी को लेकर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव कैबिनेट बैठक में बड़ा ऐलान कर दिया है। उज्जैन, मंदसौर, अमरकंटक, ओंकारेश्वर, दतिया, सलकनपुर सहित 17 नगरों में शराब की दुकानें बंद करने का फैसला लिया गया है। सीएम ने यह भी किया यहां बंद हुई शराब दुकानों को दूसरी जगह शिफ्ट नहीं किया जाएगा। यह हमेशा के लिए बंद कर दी जाएंगी।
*मंडलेश्वर में होगी आमसभा*
मुख्यमंत्री डॉ. यादव महेश्वरी साड़ी तैयार करने वाली महिला बुनकरों से संवाद करेंगे। माना जा रहा है कि बैठक में महेश्वर के साथ प्रदेश के विकास के लिए कई नीतिगत निर्णय लिए जाएंगे। इसके बाद मंडलेश्वर में आमसभा होगी। कैबिनेट में शामिल होने वालों के लिए 17 प्रकार के मालवी व निमाड़ी व्यंजन हैं। मुख्यमंत्री मंडलेश्वर में 982 करोड़ 59 लाख की महेश्वर-जानापाव उद्वहन सिंचाई योजना का शिलान्यास भी करेंगे। इस योजना से तीन जिलों में पानी पहुंचेगा।
बैठक से पहले सीएम डॉ. मोहन यादव के साथ मंत्रिमंडल के सदस्यों ने मां अहिल्या को पुष्प अर्पित किए और उनकी राजगादी के दर्शन किए। इसके बाद सभी घाट पर पहुंचे और मां नर्मदा की आरती कर उन्हें चुनरी अर्पित की।
*यह है महेश्वर का महत्व*
देवी अहिल्याबाई होलकर का जन्म वर्ष 31 मई 1725 को महाराष्ट्र राज्य के चौंढी नामक गांव (जामखेड़, अहमदनगर) में हुआ था। वे एक सामान्य किसान की बेटी थीं। उनके पिता मान्कोजी शिंदे किसान थे। अहिल्याबाई रोजाना शिव मंदिर में पूजन करती थीं। 10 वर्ष की अल्पायु में ही होलकर वंशीय राज्य के संस्थापक मल्हारराव होलकर के पुत्र खंडेराव के साथ वे परिणय सूत्र में बंध गई थीं। उन्होंने कई तीर्थ स्थानों के साथ ही मंदिर, घाट, कुएं, बावड़ियों, भूखे लोगों के लिए अन्नक्षेत्र और प्याऊ का निर्माण भी कराया। साथ ही साड़ियां बनवाने के लिए बुनकरों को बसाया। यहां महेश्वरी साड़ियों का निर्माण किया जाता है। साल 1754 में जब अहिल्याबाई होलकर महज 21 साल की थीं, तभी पति खांडेराव होलकर कुंभेर के युद्ध के दौरान वीरगति को प्राप्त हो गए।
अहिल्याबाई ने पति की मौत के बाद सती होने का फैसला लिया, लेकिन ससुर मल्हार राव होलकर ने उन्हें ऐसा करने से रोक दिया। देवी अहिल्याबाई का 13 अगस्त 1795 को देवलोकगमन हुआ।
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