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कोयले के शहर से बेरोजगारी के अंधकार तक अनूपपुर की  गूंज जिले में बेरोजगारी का दंश

कोयले के शहर से बेरोजगारी के अंधकार तक अनूपपुर की  गूंज जिले में बेरोजगारी का दंश



बंद खदानें और बिखरते सपने एक कहानी जो बदलने का इंतजार कर रही है



अनूपपुर जिले की आर्थिक स्थिति और रोजगार का संकट
अनूपपुर जिले के राजेंद्रग्राम, बेनीबारी, करपा, लीलाटोला, चचाई, अमलाई, अनूपपुर, कोतमा, राजनगर, बिजुरी, रामनगर, भालूमाड़ा, जमुना-बदरा, जैतहरी, और वेंकटनगर जैसे इलाकों में बेरोजगारी ने विकराल रूप धारण कर लिया है।  लोग पलायन करने लगे हैं कोयलांचल में कोयला खदानों के बंद होने से रोजगार और आय के साधन पूरी तरह समाप्त हो चुके हैं। ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में आजीविका के सीमित विकल्पों के कारण लोग असामाजिक गतिविधि में लिप्त हो रहे हैं।
कोयलांचल की दयनीय स्थिति
कोयला खदानों के बंद होने के बाद, जिले के प्रमुख क्षेत्रों में रोजगार की स्थिति बद से बदतर होती जा रही है। स्थानीय युवाओं के पास रोजगार के लिए कोई ठोस साधन नहीं है, जिसके चलते वे मजबूरन पलायन कर रहे हैं। छोटे-छोटे व्यवसाय भी ऑनलाइन खरीदारी और बाजार में मंदी के कारण बंद हो चुके हैं। गरीब तबके के लोग लालच में पड़कर धर्म परिवर्तन कर रहे हैं  जिसका कारण उनके लिए उचित सम्मान और आर्थिक संसाधन का अभाव है।
स्थानीय शासन की भूमिका और नाकामी
स्थानीय निकायों और निर्वाचित परिषदों के पास क्षेत्र के विकास के लिए पर्याप्त फंड नहीं है। जिनके पास कुछ फंड हैं, वे उसे अपनों के बीच ही बांटने में व्यस्त हैं। निर्माण और खरीदारी के काम में पारदर्शिता का अभाव है।
बाहरी लोगों को भूखंड एलॉट करने का मामला।
स्थानीय बेरोजगारों के लिए कोई ठोस कदम नहीं।
विकास कार्यों का सीमित उपयोग, जैसे सड़कों पर बार-बार सड़क नाली  निर्माण और अनवरत रूप से पाइपलाइन का  कार्य। नगरीय निकायों में विकास को भटका दिया गया।खासकर कोयलांचल में।
राजनीति और रोजगार की उम्मीदें
बिजुरी निवासी दिलीप जायसवाल, जो स्वतंत्र प्रभार मंत्री हैं और लघु कुटीर उद्योग खादी ग्रामोद्योग बोर्ड के अध्यक्ष हैं, क्षेत्र में रोजगार सृजन की दिशा में उम्मीद की किरण वे चाहें तो बन सकते हैं। हालांकि, राजनीतिक सीमाएं और विधानसभा क्षेत्रों की प्रतिस्पर्धा यहां भी विकास में बाधा  हैं।
बाहरी लोगों को औद्योगिक क्षेत्र में भूखंड आबंटन और स्थानीय बेरोजगारों की अनदेखी।
छोटे उद्योगों की स्थापना में राजनीतिक हस्तक्षेप।
प्रशासनिक स्तर पर भ्रष्टाचार और गरीबों के अधिकारों का हनन।
यह किया जा सकता है लघु उद्योग और स्वरोजगार
कोयलांचल में छोटे-छोटे उद्योगों की स्थापना की जा सकती है , जो स्थानीय युवाओं को रोजगार दे सके।
खादी ग्रामोद्योग और लघु कुटीर उद्योग को प्रोत्साहन देकर आत्मनिर्भरता का मार्ग प्रशस्त किया जा सकता है।प्रशासनिक पारदर्शिता
औद्योगिक क्षेत्र में भूखंड आबंटन में पारदर्शिता और स्थानीय युवाओं को प्राथमिकता दी सकती है।
विकास कार्यों में भ्रष्टाचार पर अंकुश तो संभव नहीं पर जनसुविधाओं का सही उपयोग तो  हो।
प्रशिक्षण और शिक्षा
युवाओं को नए कौशल सिखाने और स्वरोजगार के लिए तैयार करने के कार्यक्रम में तेजी लाई जा सकती है।
डिजिटल माध्यमों और ऑनलाइन व्यवसाय के लिए प्रशिक्षण तो  दिया ही जा सकता है।
सामुदायिक विकास
कोयलांचल क्षेत्र में सामुदायिक योजनाओं को बढ़ावा देकर लोगों को रोजगार और स्थायित्व का अवसर दिया जा सकता है
2025 उम्मीदों का साल?
क्षेत्र के लोग इस उम्मीद में हैं कि दिलीप जायसवाल जी   स्वतंत्र प्रभार राज्य मंत्री द्वारा 2025 में लघु उद्योग और रोजगार सृजन के ठोस प्रयास करेंगे। अगर कोयलांचल में उद्योग स्थापित होते हैं, तो यह न केवल क्षेत्र के युवाओं को रोजगार देगा बल्कि पलायन और असामाजिक गतिविधियों पर भी रोक लगेगी।
आखिर किसकी जिम्मेदारी है?
बेरोजगारी और क्षेत्र की दुर्दशा का जिम्मेदार प्रशासन, निर्वाचित प्रतिनिधि, और राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी है। वोट बैंक की राजनीति और भ्रष्टाचार ने क्षेत्र के विकास को रोक रखा है।
अनूपपुर जिले के युवाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है। लघु उद्योग और स्वरोजगार के माध्यम से ही इस क्षेत्र को नवजीवन दिया जा सकता है। उम्मीद की जाती है कि आने वाले समय में राजनीतिक सीमाओं से ऊपर उठकर स्थानीय जनता के हित में कार्य किया जाएगा। अनूपपुर का भविष्य अब उज्जवल है, और यह उम्मीद मंत्री दिलीप जायसवाल जी के नेतृत्व और लोगों के सामूहिक प्रयासों पर निर्भर करती है

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Kailash Pandey
Anuppur
(M.P.)

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