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अपराध की कोई भी रेल हमेशा पुलिस स्टेशन पर रुकती ही है। 53 लाख के मशरुके के साथ शहडोल पुलिस ने किया बड़ा धमाका

अपराध की कोई भी रेल हमेशा पुलिस स्टेशन पर रुकती ही है। 53 लाख के मशरुके के साथ शहडोल पुलिस ने किया बड़ा धमाका


रेलवे ट्रैक मेंटेनर मनीष, जो पटरियों को सुधारने और ट्रेनों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए तैनात था मनीष का नाम चोरियों की ‘सीटी बजाने’ में इस कदर मशहूर हो गया कि उसने रेलवे कॉलोनी में चोरी की रफ्तार रेलगाड़ियों की रफ्तार से ज्यादा कर दी।
मनीष ने पटरियों के साथ-साथ चोरियों की लाइनें भी बिछाईं, पुलिस ने 20 मामलों का खोला ताला
शहडोल पुलिस ने जब 20 चोरियों की गुत्थी सुलझाई तो मालूम हुआ कि  मनीष अपने ‘अपराधी सहयोगियों’ के साथ चोरी की योजनाओं की ‘लाइनें’ खींचने में व्यस्त था । पुलिस की मेहनत और साइबर टीम की चुस्ती से यह राज़ सामने आया कि चोरी का यह नेटवर्क न केवल शहडोल, बल्कि मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के कई इलाकों में सक्रिय था।
पुलिस की सफलता का बखान
पुलिस अधीक्षक शहडोल ने बताया कि कैसे उन्होंने योजनाबद्ध तरीके से चोरियों पर नकेल कसते हुए 53 लाख रुपये की चोरी की संपत्ति बरामद की। चोरी का मुख्य मास्टरमाइंड दुर्गेश नाई, अपनी बहन, पत्नी, और सहयोगियों के साथ मिलकर सोने-चांदी के जेवरात, नकदी, और अन्य सामान को रेलवे स्टेशन के आसपास बेचता था। मनीष ने अपनी भूमिका में ‘फोन-पे’ के जरिये चोरियों का कैश फ्लो संभाला, तकनीक का उपयोग सिर्फ ट्रेनें ट्रैक पर रखने के लिए नहीं, बल्कि अपराध की रफ्तार बढ़ाने के लिए भी हो सकता है।
चोरी की पूरी ‘सवारी’
चोरी का माल जबलपुर ले जाकर बेचा जाता था, और इस काम में आरोपी रेलवे के विभिन्न स्टेशनों का इस्तेमाल करते थे। पुलिस ने 270 ग्राम सोना, 2 किलो चांदी, एक कार, नकदी, और मोबाइल समेत कई सामान जब्त कर यह साबित कर दिया कि रेलवे ट्रैक की निगरानी करने वाला व्यक्ति अपराध के ‘ट्रैक’ पर ही दौड़ रहा था।
थाना कोतवाली और साइबर सेल की टीम ने अपराधियों की गतिविधियों पर नजर रखते हुए उन्हें घेराबंदी कर पकड़ा। मुख्य आरोपी दुर्गेश नाई और उसके साथियों पर मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, और उड़ीसा में पहले से ही 25 आपराधिक मामले दर्ज थे।
कैसे एक कर्मचारी ‘रेलवे सुरक्षा’ से  लूट’ तक पहुंच सकता है। पुलिस का यह प्रयास न केवल एक बड़े अपराध का पर्दाफाश है, बल्कि यह भी दिखाता है कि अगर तकनीक का सही इस्तेमाल हो, तो चोरी के नेटवर्क भी पटरी से उतारे जा सकते हैं।

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